इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Friday, April 5, 2013

यादों के पदचिन्ह

आगे बढ़ते बढ़ते
अनायास
कोई खींचता है पीछे....
मुझे बेबस सा करता हुआ.
एक कदम पीछे रखती हूँ और
धंसती चली जाती हूँ
यादों के दलदल में
गहरे, बहुत गहरे...
डूबती उतराती हूँ
छटपटाती हूँ बाहर आने को...
कभी मिल जाता है किसी हाथ का सहारा
कभी खुद-ब-खुद निकल आती हूँ
लगा देती हूँ अपनी पूरी शक्ति
चल पड़ती हूँ आगे...
मगर इन पाँव का क्या?
ये तो सन जाते  हैं यादों की मिट्टी से
और छोड़ जाते  हैं अपने निशाँ
शायद,पीछा करती यादों के लिए.......

अनु
5/4/2013
एक महीना बीत गया......

40 comments:

  1. yaaden kabhi bhi pichha nahi chorti ........khud ko bhul jaaye par .......apnon ko nahi bhul sakte .....anu jee ...

    ReplyDelete
  2. बड़ी सख्त जान होती हैं ये यादें जीवन भर पीछा करती हैं, परछाई की तरह... गहन भाव ...

    ReplyDelete
  3. स्मृतियाँ बांधे रखती हैं.....

    ReplyDelete
  4. ये यादें सच बड़ी सुलझी हुई उलझन हैं ......

    ReplyDelete
  5. बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
    --
    आपकी पोस्ट की चर्चा आज शनिवार (06-04-2013) के चर्चा मंच पर भी है!
    सूचनार्थ...सादर!

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर आदरेया अनु जी!
    क्या भाव उकेरे हैं,
    ये तो सन जाते है यादों की मिट्टी से
    और छोड़ जाते हैं अपने निशां...
    लाजवाब!

    ReplyDelete
  7. यह 'यादें' टिप्पणी से परे हैं ।

    ReplyDelete
  8. Kuchh chijhen bas yaad me rah jaati hai aur unhen yaad karke hum aaj me jite hain...

    ReplyDelete
  9. अनु यादों से वावस्ता दर्द ...हरदम सालता है ...ख़ास तौर पर जब ज़ख्म हरे हों...पर समय ही तो है ..जो हर वक़्त ...मरहम सा एक पर्त बना जाता है उन ज़ख्मों पर .....ताकि दर्द कुछ कम हो....!!!

    ReplyDelete
  10. यादों का सफर तो हमारे साथ साथ चलता ही रहता है,बेहतरीन अभिव्यक्ति.

    ReplyDelete
  11. यादें तो हमेशा ही साथ होती हैं ...
    पर जिन्दगी की भाग-दौड़ में हमेशा भूली रहती हैं .....??
    आप की भाग-दौड़ अभी बाकी है !

    ReplyDelete
  12. बहुत बेहतरीन सुंदर रचना !!!यादें हमेशा स्मृतियों को सहेजे रखती है,,,,

    RECENT POST: जुल्म

    ReplyDelete
  13. मगर इन पाँव का क्या?
    ये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से
    और छोड़ जाते हैं अपने निशाँ
    शायद,पीछा करती यादों के लिए.......बेहतरीन रचना.

    ReplyDelete
  14. कुछ कहने के लिए नहीं मिला
    शुभकामनायें !!

    ReplyDelete
  15. यादें कभी पीछा नहीं छोड़तीं

    ReplyDelete
  16. शायद,पीछा करती यादों के लिए.......
    सच
    भावमय करते शब्‍द

    सादर

    ReplyDelete
  17. memories...
    leaves its imprints in so many ways..

    ReplyDelete
  18. प्रिय अनु ... बहुत ही भावमय और और यादों के निशाँ पीछा करती यादों के लिए ..उम्दा भाव ... आपने मुझे मदद की पुकार पर मदद दी... तहेदिल शुक्रिया ... अनु मैं ब्लॉग में काफी कम आ पाती हूँ ... पर आप कही काफी पीछे पायेंगे कि मैं ब्लॉग में आई हूँ... पिछले तीन महीने से मुझे डेशबोर्ड में कोई पोस्ट भी नहीं दिख रही थी ..अतः मेरा किसी भी पोस्ट पर जाना असंभव स हो गया .... और आपने इस सन्दर्भ में मेरी मदद वाली पोस्ट में जो टिप्पणी की उसके लिए हार्दिक आभार

    ReplyDelete
  19. यादों के पदचिन्ह एक अच्छी कविता |आभार अनु जी |

    ReplyDelete
  20. यादों के सुनहरे जाल से कभी निकल नहीं पाते...

    ReplyDelete
  21. ....मगर इन पाँव का क्या?
    ये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से
    और छोड़ जाते हैं अपने निशाँ
    शायद,पीछा करती यादों के लिए.......

    भाव-प्रवण प्रस्तुति...बहुत सुंदर!
    सादर/सप्रेम
    सारिका मुकेश

    ReplyDelete
  22. sundar bhaw purn avivyakti
    मगर इन पाँव का क्या?
    ये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से
    और छोड़ जाते हैं अपने निशाँ
    शायद,पीछा करती यादों के लिए.......
    sach hai

    जितना चाहा
    भूल जाऊ मैं तुम्हे
    तू याद आया
    :)

    ReplyDelete
  23. मगर इन पाँव का क्या?
    ये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से
    और छोड़ जाते हैं अपने निशाँ

    bahut sundar

    ReplyDelete
  24. बहुत गहरी संवेदना. समय यूँ ही चलता रहता है, यूँ ही सदियाँ बीत जाती है.
    KAVYA SUDHA (काव्य सुधा): सपने और रोटियां

    ReplyDelete
  25. यादों के जाल में उलझ गए तो उस से निकलना मुस्किल है
    LATEST POST सुहाने सपने
    my post कोल्हू के बैल
    l

    ReplyDelete
  26. jaane kaisi aah vedna ki :
    smritiyon men shor mchaati.

    nishaant ke dyuti aachhinn praan chetna ko jhakjhor hilaaati hai.

    yaade sadaiv saath rahti hain .

    ReplyDelete
  27. यादों के दलदल डूबता उतराता जीवन यादों से एक नया जीवन और उत्साह भी पाता है.

    सुंदर भावपूर्ण कवि़ता. सादर.

    ReplyDelete
  28. सुन्दर भाव संजोये हैं

    ReplyDelete
  29. यादें जकड लेती हैं ... बिकलने नहीं देतीं ...
    पर समय है जो खींचता है ...
    बहुत भावपूर्ण ....

    ReplyDelete
  30. very touching & emotional when it comes to memories & you have expressed it beautifully..happy to see you on by blog after awhile..waiting to hear more.SMILES:)GOD<3U

    ReplyDelete
  31. ये यादों का बड़ा इश्यू है....ये न होती तो शायद कविता भी न होती..

    ReplyDelete
  32. अच्छे लोगों की अच्छी यादें अगर हमारा पीछा करती भी हों तो अच्छा ही है! कभी कभी वो यादें ही जीवन को प्रोत्साहित भी करती हैं। सुन्दर रचना अनु दी।
    सादर
    मधुरेश

    ReplyDelete
  33. कमबख्त यादें ..........पांव के निशानों के कितना करीब चलती है . सुंदर !

    ReplyDelete
  34. कमबख्त यादें ..........पांव के निशानों के कितना करीब चलती है . सुंदर !

    ReplyDelete
  35. यादों की जकड़न जितना छुडाओ उतना ही जकड़े.

    ReplyDelete
  36. मगर इन पाँव का क्या?
    ये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से-------
    बहुत ही सजीव
    जीवन का सच
    सुंदर रचना-----बधाई

    ReplyDelete

नए पुराने मौसम

मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...