ज़िन्दगी ने
क्यों पहन लिया
ये काला लिबास...
जाने किस बात का
मातम मनाती है ज़िदगी.
ज़िन्दगी के करीब
कोई मर गया लगता है.
यूँ रोती रही ज़िन्दगी
तो किस तरह
जी पाएगी ज़िन्दगी ?
घुट घुट कर इक रोज
खुद भी मर जायेगी ज़िन्दगी.
मरते एहसासों को साँसें देना है
संवेदनाओं को आवाज़ देकर जगाना है
रंगना है दागदार दीवारों को
रवायतों को बदल कर
बेचैनियों को सुकून करना है...
बेमतलब
बेमकसद
क्षत-विक्षत और
कराहती ज़िन्दगी को
ताज़ा हवा देकर
हरा करना है......
ज़िन्दगी को नयी ज़िन्दगी देना है......
अनु
क्यों पहन लिया
ये काला लिबास...
जाने किस बात का
मातम मनाती है ज़िदगी.
ज़िन्दगी के करीब
कोई मर गया लगता है.
यूँ रोती रही ज़िन्दगी
तो किस तरह
जी पाएगी ज़िन्दगी ?
घुट घुट कर इक रोज
खुद भी मर जायेगी ज़िन्दगी.
मरते एहसासों को साँसें देना है
संवेदनाओं को आवाज़ देकर जगाना है
रंगना है दागदार दीवारों को
रवायतों को बदल कर
बेचैनियों को सुकून करना है...
बेमतलब
बेमकसद
क्षत-विक्षत और
कराहती ज़िन्दगी को
ताज़ा हवा देकर
हरा करना है......
ज़िन्दगी को नयी ज़िन्दगी देना है......
अनु
एक गीत याद आया ..
ReplyDeleteएक दिन बिक जाएगा माटी के मोल
जग में रह जायेंगे ...
जिन्दगी को वाकई ताज़ी हवा की ज़रूरत है...बहुत सुंदर अनु !!
ReplyDeleteसुन्दर विचार।
ReplyDeletesach zindagi ko nayi zindagi dena hai
ReplyDeleteज़िन्दगी के करीब
ReplyDeleteकोई मर गया लगता है. ... रिश्ता नहीं था , पर जिंदगी का अटूट रिश्ता सा लगता है ... कोई भीतर में निरंतर जलता है
ज़िंदगी ओ ज़िंदगी देना है.. सचमुच!!
ReplyDeleteबैचेन और कराहती ज़िन्दगी को सच मे किसी ताजी हवा की ही जरुरत है जिससे उसे सकुन मिल जाए..सुन्दर प्रस्तुति..अनु..
ReplyDeleteसुंदर,बहुत सुंदर, ज़िन्दगी ने
ReplyDeleteक्यों पहन लिया
ये काला लिबास...
जाने किस बात का
मातम मनाती है ज़िदगी.
ज़िन्दगी के करीब
कोई मर गया लगता
जरूरी भी है |
ReplyDeleteसादर
संवेदनाओं को आवाज़ देकर जगाना है. सही कह रही हैं.
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
संवेदनाओं को आवाज़ देकर जगाना है
ReplyDeleteरंगना है दागदार दीवारों को
रवायतों को बदल कर
बेचैनियों को सुकून करना है...
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी बनाने के लिए ये करना ही होगा .... बहुत सुंदर
संवेदनाओं को आवाज़ देकर जगाना ही जिन्दगी है,,,,
ReplyDeleterecent post: वह सुनयना थी,
समाज की असल तस्वीर
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
मरते एहसासों को साँसें देना है
ReplyDeleteसंवेदनाओं को आवाज़ देकर जगाना है
बहुत खूब...
बहुत ही अच्छी कविता |
ReplyDeleteसुन्दर विचार , जिंदगी में जान फूके.
ReplyDeleteTouched!
ReplyDeleteTouched!
ReplyDeleteसुन्दर कविता..
ReplyDeleteहाँ अनु ..जीवन के उतार चदाव ऐसे ही मोड़ पर ला खड़ा करते हैं...लेकिन खूबसूरती है ....एक पोज़िटिव एप्रोच में ...जो तुम्हारी रचना में है ....बस ज़िन्दगी ऐसे ही खूबसूरत बन सकती है.....:)
ReplyDeletesahi kaha di......zindagi ko maut say behtar banana hai
ReplyDeleteज़िन्दगी सच में मुरझा रही है, बहुत बेचैन है ... अनु ! किस अमृततुल्य पानी से सींचे इसे ... समझ नहीं आ रहा ...
ReplyDelete<3
बेमतलब
ReplyDeleteबेमकसद
क्षत-विक्षत और
कराहती ज़िन्दगी को
ताज़ा हवा देकर
हरा करना है......
ज़िन्दगी को नयी ज़िन्दगी देना है......
wah....... prabhavshali prastuti ke liye abhar anu ji
बेहद जरुरी हो गया है, इस ज़िन्दगी को नयी ज़िन्दगी देना ...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय
ReplyDeleteकभी ये रुलाये कभी ये हंसाये ....
जीते रहने की सजा ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी......
ReplyDeleteबढ़िया, सुन्दर
यूँ रोती रही ज़िन्दगी
ReplyDeleteतो किस तरह
जी पाएगी ज़िन्दगी ?
घुट घुट कर इक रोज
खुद भी मर जायेगी ज़िन्दगी.bahut badhiya sahi kaha behtreen anu
यूँ रोती रही ज़िन्दगी
ReplyDeleteतो किस तरह
जी पाएगी ज़िन्दगी ?
घुट घुट कर इक रोज
खुद भी मर जायेगी ज़िन्दगी
वाह क्या बात कही दीदी
सादर
मरते एहसासों को साँसें देना है
ReplyDeleteसंवेदनाओं को आवाज़ देकर जगाना है
....बिल्कुल सच...आज इसी ज़ज्बे की ज़रुरत है..बहुत सुन्दर
जिंदगी,साँसों में जीती सी जिंदगी
ReplyDeleteबेचैनी स्वाभाविक है ...
ReplyDeleteएक एक ईंट जोड़कर की अच्छा घर बनेगा. बस हम सब को प्रण लेने की जरूरत है की समाज की जो समस्याएं है उसको बस अपने अपने घर में ठीक करना है. समाज और राष्ट्र निर्माण स्वतः हो जाएगा तब . सुन्दर विचार.
ReplyDeleteहाँ जिन्दगी को भी जिन्दगी देने की जरूरत है , इसके लिए खुद को दृढ करने की जरूरत है।
ReplyDeleteहाँ जिन्दगी को भी जिन्दगी देने की जरूरत है , इसके लिए खुद को दृढ करने की जरूरत है।
ReplyDeleteकाले लिबास में लिपटी जिंदगी को नई जिंदगी देना का प्रयास ...
ReplyDeleteबहुत खूब है सपनो की उड़ान ...
बेमतलब
ReplyDeleteबेमकसद
क्षत-विक्षत और
कराहती ज़िन्दगी को
ताज़ा हवा देकर
हरा करना है......
ज़िन्दगी को नयी ज़िन्दगी देना है......
आमीन ...
jindagi to bach jayegi par isko satrangi kaise banayen...!!
ReplyDeleteजीवन में धूप भी है...
ReplyDeleteज़िन्दगी को नयी ज़िन्दगी देना है......
ReplyDeleteKYA KHOOB KAHA...
ज़िंदगी की उदासियों को सुनहरी धूप मिले ... और ज़िंदगी फिर से लहलहा जाए ...
ReplyDeletebahut khoob....
ReplyDeleteज़िन्दगी को नयी ज़िन्दगी देना है......
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने ....
सुन्दर रचना ...
सादर !
जिंदगी को नयी जिंदगी देना एक सुंदर अहसास. सुंदर कविता के लिये बधाई.
ReplyDeleteलोहड़ी, मकर संक्रांति और माघ बिहू की शुभकामनायें.
बेमतलब
ReplyDeleteबेमकसद
क्षत-विक्षत और
कराहती ज़िन्दगी को
ताज़ा हवा देकर
हरा करना है......
ज़िन्दगी को नयी ज़िन्दगी देना है......
ये पंक्तियां आपकी जिजीविषा और ऊर्जा को दर्शाती हैं। बहुत सुन्दर और दिल को छूने वाली कविता है।
बहुत ही अच्छी कविता बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमुस्कुराहट पर ...ऐसी खुशी नहीं चाहता
सच....
ReplyDeleteघुट घुट कर इक रोज
खुद भी मर जायेगी ज़िन्दगी.
सुन्दर कविता..
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