आस पास कुछ नया नहीं....
सब वही पुराना,
लोग पुराने
रोग पुराने
रिश्ते नाते और उनसे जन्में शोक पुराने |
नित नए सृजन करने वाली धरती को
जाने क्या हुआ ?
कुछ नए दुखों के बीज डाले थे कभी
अब तक अन्खुआये नहीं
दुखों के कुछ वृक्ष होते तो
जड़ों से बांधे रहते मुझे/तुम्हें /हमारे प्रेम को....
सुखों की बाढ़ में बहकर
अलग अलग किनारे आ लगे हैं हम |
~अनुलता ~
सब वही पुराना,
लोग पुराने
रोग पुराने
रिश्ते नाते और उनसे जन्में शोक पुराने |
नित नए सृजन करने वाली धरती को
जाने क्या हुआ ?
कुछ नए दुखों के बीज डाले थे कभी
अब तक अन्खुआये नहीं
दुखों के कुछ वृक्ष होते तो
जड़ों से बांधे रहते मुझे/तुम्हें /हमारे प्रेम को....
सुखों की बाढ़ में बहकर
अलग अलग किनारे आ लगे हैं हम |
~अनुलता ~
ये लो जी, सब सुख बुलाते है , आपको दुःख के पेड की पड़ी है . मस्त रहिये . :)
ReplyDeleteदुःख बांधते हैं ...करीब लाते हैं , यह तो जाना था ....पर दुःख की कामना करना .......सुखों के एवज में ....अनूठा लगा ......प्यारा भी .....तभी तो अलग हो सबसे ....!!!!
ReplyDeleteसचमुच जड़ों में अद्भुत शक्ति होती है बांधे रखने की …अप्रतिम भाव
ReplyDeleteसच है दुखों के भी अपने कुछ सुख होते हैं.. बहुत मार्मिक.
ReplyDeleteरामराम.
दुःख के दिन भी कई बार काम का जाते हैं .
ReplyDeleteमंगलकामनाएं !
दुःख और आक्रोश भरी रचना,बेहतरीन , आभार।
ReplyDeleteकभी इधर भी पधारें
प्राकृति दुखों के पेड़ आत्मसात कर लेती है ... बस खुशियों को ही उगने देती है ...
ReplyDeleteनारी मन से कम तो नहीं होती प्राकृति ...
ओह..
ReplyDeleteजहां सुख के पेड़ों की छांव होती है, वहां दुखों के पौधे नहीं पनपते... आप बस अपने सुख के पेड़ को सींचें
ReplyDeleteदुखों के बीज दबे ही पड़े रहें तो अच्छा है !
ReplyDeleteएक अलग भाव लिए रचना...
ReplyDeleteदुःख के प्रति भी नजरिया अच्छा हो रहा है..
बहुत बेहतरीन...
:-)
दुःख अपनों को करीब लातें हैं
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीया
bilkul sahi anu ji , badhai aapko , pyara sa srjan kiya aapne
ReplyDeleteहम बबूल बो कर आम की उम्मीद रखते हैं...
ReplyDeleteऐसे ही दुखो से भरी पड़ी है दुनिया ॥ अब दुख के वृक्ष हो जाए तो :)
ReplyDeleteबेहतरीन ...
वाह, बहुत खूब
ReplyDeletesoch ko badalne ki ek nayi koshish.
ReplyDeleteहर रिश्ता सुख के साथ दुःख भी देता है
ReplyDeleteऔर दुःख का भी अपना एक सुख होता है
आपने नए दुःख की कामना की है इस रचना में,
बहुत सुन्दर और एकदम अनूठी रचना है अनु ,
चिंता न करें सुख के बाद दुख आता ही है ,कहीं ना कहीं इस दुक का बीज हो रहा होगा अंकुरित। पर कामना तो यही है कि आप सुख पूर्वक रहें। अचछी लगी ये अलग सी रचना
ReplyDeleteबस आह! साथ में वाह भी..
ReplyDeleteचिंतन की नई धारा --सुन्दर !
ReplyDeleteनई पोस्ट लोकतंत्र -स्तम्भ
आपकी कविताओं की शैली का मैं कायल हूँ और उनमें भी खासकर प्रेमाभिव्यक्ति से संतृप्त कविताओं का..भला कौन इस तरह से प्रेम को बेहद संक्षेप में अभिव्यक्त कर पायेगा जैसा आपकी इस कविता की आखरी पंक्तियाँ कर रही हैं-
ReplyDeleteदुखों के कुछ वृक्ष होते तो
जड़ों से बांधे रहते मुझे/तुम्हें /हमारे प्रेम को....
सुखों की बाढ़ में बहकर
अलग अलग किनारे आ लगे हैं हम।
शानदार!!!
beautiful..
ReplyDeletesometimes pain brings two people together
and sometimes it does exactly the opposite..
hope u r doing fine.. it's been long since my last visit !!
दुख करीब लाता है , सुख दूर ले जाता है … उलटबांसी है मगर सच है !
ReplyDeleteभावो का सुन्दर समायोजन......
ReplyDeleteक्या बात है ..... ये ख्याल भी कुछ बुरा नहीं :)
ReplyDeleteअच्छी लगी आपकी रचना
सादर
sundar kavita
ReplyDeleteसुन्दर भाव.. दुःख में ही रिश्तों की पहचान होती है .. दुःख भी जीवन का एक आयाम है ..
ReplyDeleteसच कहा वाकई दुख ही जड़ से बांधे रखता है कुछ रिश्तों को वरना सुखों की बाड़ जड़े उखाड़ जाती है और बह जाता है सब भावनाओं के सैलाब में कहीं...दूर बहुत दूर जहां कई बार तो किनारा भी नहीं मिलता अति सुंदर भाव संयोजन...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता। दुःख सीमेंट की तरह होता है।
ReplyDeleteदुःख से ही अपने-पराये की पहचान होती है .
ReplyDeleteख्याल अनूठा है
भावपूर्ण विवेचन करती पंक्तियाँ
ReplyDeleteBahut Khoob mam.... Bhaut khoob
ReplyDelete
ReplyDeleteसुन्दर है भावाभिव्यक्ति।
तुम्हारी रचनाओं को समझना बड़ा ही रोचक रहता है अनु! यही देख रहे हैं... कि सबने अपने हिसाब से सही ही समझा ... मगर हम कुछ और ही सोच रहे हैं... बताएँगे कभी :))
ReplyDelete<3
अनिता मैं खुद सबके interpretations देख हैरान होती हूँ.....बहुत अच्छा लगता है अपनी रचना को किसी और की नज़र से देखना.....इंतज़ार रहेगा तुम्हारी सोच का :-)
DeleteStill, we can't give up on relationships and people whom we love:)
ReplyDeleteदुख के सब साथी सुख में न कोय ..... दुख बांधे रखता है .... कितनी गहनता से बात कही है ....
ReplyDeleteवैसे कहा तो ये गया है कि सुख में सब साथ देते हैं दुख में कोई नहीं .... पर सच तो ये है कि दुख आपस में दो लोगों को बांधे रहता है ।
ReplyDeleteKavita ke sandesh seedhe aakar dil ki deevaro se takrate hai....sukh dukh ki paribhasha ek alag hi sandesh de jati hai yaha...
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