मेरी इस कविता को सुन्दर स्वर दिए हैं दीपक सिंह जी ने ...आप भी सुनिए..सराहिये......
https://soundcloud.com/topgundeepak/smritiyaan
तुम्हारी स्मृतियाँ पल रही हैं
मेरे मन की
घनी अमराई में |
कुछ उम्मीद भरी बातें अक्सर
झाँकने लगतीं है
जैसे
बूढ़े पीपल की कोटर से झांकते हों
काली कोयल के बच्चे !!
इन स्मृतियाँ ने यात्रा की है
नंगे पांव
मौसम दर मौसम
सूखे से सावन तक
बचपन से यौवन तक |
और कुछ स्मृतियाँ तुम्हारी
छिपी हैं कहीं भीतर
और आपस में स्नेहिल संवाद करती हैं,
जैसे हम छिपते थे दरख्तों के पीछे
अपने सपनों की अदला बदली करने को |
तुम नहीं
पर स्मृतियाँ अब भी मेरे साथ हैं
वे नहीं गयीं तेरे साथ शहर !!
मुझे स्मरण है अब भी तेरी हर बात,
तेरा प्रेम,तेरी हंसी,तेरी ठिठोली
और जामुन के बहाने से,
खिलाई थी तूने जो निम्बोली !!
अब तक जुबां पर
जस का तस रक्खा है
वो कड़वा स्वाद
अतीत की स्मृतियों का !!
-अनुलता-
https://soundcloud.com/topgundeepak/smritiyaan
तुम्हारी स्मृतियाँ पल रही हैं
मेरे मन की
घनी अमराई में |
कुछ उम्मीद भरी बातें अक्सर
झाँकने लगतीं है
जैसे
बूढ़े पीपल की कोटर से झांकते हों
काली कोयल के बच्चे !!
इन स्मृतियाँ ने यात्रा की है
नंगे पांव
मौसम दर मौसम
सूखे से सावन तक
बचपन से यौवन तक |
और कुछ स्मृतियाँ तुम्हारी
छिपी हैं कहीं भीतर
और आपस में स्नेहिल संवाद करती हैं,
जैसे हम छिपते थे दरख्तों के पीछे
अपने सपनों की अदला बदली करने को |
तुम नहीं
पर स्मृतियाँ अब भी मेरे साथ हैं
वे नहीं गयीं तेरे साथ शहर !!
मुझे स्मरण है अब भी तेरी हर बात,
तेरा प्रेम,तेरी हंसी,तेरी ठिठोली
और जामुन के बहाने से,
खिलाई थी तूने जो निम्बोली !!
अब तक जुबां पर
जस का तस रक्खा है
वो कड़वा स्वाद
अतीत की स्मृतियों का !!
-अनुलता-
Bohot hi adbhut :)
ReplyDeleteHindi ki poems hamesha se meri favorite rahi he. maza aagya padh kar ise :)
http://simplysaid22.blogspot.in/
अतीत की स्मृतियों हमेशा याद रहती ,,,
ReplyDeleteRECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
क्या बात है .....बढ़िया ...सुन्दर ...
ReplyDeleteआपकी यह पोस्ट आज के (२८ अक्टूबर , २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - कौन निभाता किसका साथ - पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDeleteऔर जामुन के बहाने से,
ReplyDeleteखिलाई थी तूने जो निम्बोली !!...................................................
बहुत खूब |
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २९ /१० /१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है ।
ReplyDeleteजैसे हम छुपते थे दरख्तों के पीछे
ReplyDeleteअपने सपनों कि अदला बदली करने
यादों कि स्मृतियों की खूबसूरत यात्रा ...... सुंदर रचना .
अनुभूतिओं के झरोखों से झांकती खूबशूरत रचना , अपनी नजर नवाज़े मेरी नई पोस्ट पर "अश्रु मेरे दृग तेरे हैं "
ReplyDeleteतुम नहीं
ReplyDeleteपर स्मृतियाँ अब भी मेरे साथ हैं
वे नहीं गयीं तेरे साथ शहर !! .... सुबह उठकर आँख मलते मेरे आगे खड़ी रहती हैं
रात सिरहाने लग निहारती हैं मुझे
किचेन में भी रहती हैं साथ
कोई आता है - तब भी वो अपनी तरफ खींचती हैं
सच कडुआ स्वाद ज्यादा देर तक टिका रहता है |
ReplyDeleteनई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअरे तुमको निंबोली का स्वाद कड़वा लगा ...... प्यार से खिलाया था तो मीठा लगना था न ....
ReplyDeleteरहती हैं यादें जेहन में जस की तस ,न जाने कौन कौन से कोटर से निकल कर आ जाती है सामने ... ...खूबसूरत रचना
खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
सपनों के सिराहने तले...कड़वी स्वाद के मीठे एहसास....सुन्दर .....
ReplyDeleteअब तक जुबां पर
ReplyDeleteजस का तस रक्खा है
वो कड़वा स्वाद
अतीत की स्मृतियों का !
अक्सर ये स्मृतियाँ बहुत मनोबल प्रदान करतीं हैं | आदरणीय ..सुंदर रचना |
बेहतरीन रचना है यह अनु ! बधाई !!
ReplyDeleteस्मरण शक्ति तेज है :)
ReplyDeleteसुंदर .......
भावपूर्ण!!
बहुत ही सुंदर.....
ReplyDeleteयादें सुकून देती है न अनु जी ...?
ReplyDeleteजब न कोई सुने तुम्हारी
तब निबाहें सिर्फ ये यारी .......
स्वस्थ रहें!
बहुत सुन्दर कविता |
ReplyDeleteबहुत बढ़िया .
ReplyDeleteअतीत की स्मृतियाँ से तो कडुवाहट निकल जाती है बस रीस रह जाती है मन में ... जो सकूं देना शुरू कर देती हैं ...
ReplyDeleteक्या बात.....बहुत सुन्दर
ReplyDeleteSmritiyon ko itni gaharaayi se, kintu itni sahajta ke saath ki sachmuch asar karti hai yah kavita.
ReplyDeleteBahut sundar!!
गाँव की स्मृतियाँ पीछा नहीं छोड़तीं कभी । शहर गाँव हो नहीं सकता किंतु स्मृतियों के झरोखे से अतीत में झाँककर गाँव की ज़िन्दगी के कुछ क्षणों को जिया तो जा ही सकता है। मुझे लगता है कि अनु को बस्तर के जंगल आज भी याद आते हैं ...बड़ी शिद्दत से ....। तभी तो इतनी ख़ूबसूरत ..नाज़ुक सी और अल्हड़ सी कविता लिखने को मचल गयीं। शुक्रिया अनु ! इस कविता के माध्यम से बस्तर के जंगलों और खेतों को याद करने के लिये ।
ReplyDeleteकुछ उम्मीद भरी बातें अक्सर
ReplyDeleteझाँकने लगतीं है
जैसे
बूढ़े पीपल की कोटर से झांकते हों
काली कोयल के बच्चे !!
बहुत सुन्दर लगी यह पंक्तियाँ !
कविता मे कोयल शब्द स्त्री लिंग होकर अद्भुत सौंदर्य से मण्डित हो जाता है, इसीतरह कविता में पीपल की कोटर कोयल के बच्चों पलना, सीधुवाद!
Deleteकविता मे कोयल शब्द स्त्री लिंग होकर अद्भुत सौंदर्य से मण्डित हो जाता है, इसीतरह कविता में पीपल की कोटर कोयल के बच्चों पलना, सीधुवाद!
Deleteमुझे स्मरण है अब भी तेरी हर बात,
ReplyDeleteतेरा प्रेम,तेरी हंसी,तेरी ठिठोली
और जामुन के बहाने से,
खिलाई थी तूने जो निम्बोली !!
जामुन के बहाने निम्बोली का खिलाना पता नहीं प्यार में कड़वापन भी
मीठा सा स्वाद देता है :) बहुत सुन्दर रचना अनुं,
स्मूतियां कड़वी भी और मीठी भी ... याद में रहती है ....
ReplyDeleteगांव की माटी की सोंधी सोंधी सी सुगंध फैलाती सुन्दर रचना .
ReplyDelete'स्मृतियों' में भी आपके कदम बहुत नपे-तुले होते हैं । प्रायः स्मृतियों में लोग भँवर में फंस जाते हैं और लड़खड़ाई हुई बातें कह पाते हैं परन्तु आपने हमेशा 'यादों की धरोहर' को बहुत अच्छे से संजोया है ।
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना ।
अतीत की तो कडवी स्मृतियां भी जबरन एक मुस्कान ले आती हैं होठों पर। पर स्मृतियों के वन में विचरने का मज़ा ही कुछ और है।
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeletekhubsoorat rachna di.......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteकुछ खट्टी -मीठी यादों का सफर ...बहुत खूब
ReplyDeleteस्मृतियां अटल रूप से मन पर अंकित रहती हैं, बहुत सुंदर.
ReplyDeleteरामराम.
Bahut sundar pharmaish Anu Ji ! Happy Diwali to you and family. May this Diwali bring you lots of peace and prosperity and may you enjoy good health and happiness.
ReplyDeleteआपकी इस उत्तम रचना कोhttp://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ के शुक्रवारीय अंक १/११/१३ में शामिल किया गया हैं कृपया अवलोकन के लिय पधारे शुक्रिया
ReplyDeleteसुन्दर रचना .
ReplyDeleteBahut badiya
ReplyDeleteवाह...उत्तम लेखन ...दीपावली की शुभकामनाएं.....
ReplyDeleteस्मृतियों का सुन्दर ताना बाना .. सुन्दर प्रस्तुति .... दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteदीपावली कि हार्दिक शुभकामनाएँ ...
:-)
दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...
ReplyDeleteHappy deepawali
ReplyDeleteअरे गजब ...मज़ा आगया यह पढ़कर ....
ReplyDeleteवाह .... बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआभार
स्मृतियों की परतें चढ़ती जाती हैं, मगर वो सदा पारदर्शी होती हैं
ReplyDeleteसाभार !
अनु जी ,बहुत ही खूबसूरत और ताजगी भरी कविता । यादों को इतना सुन्दर जामा पहनाया है । उपमान और बिम्ब देखने लायक हैं । लेकिन अतीत की वे यादें कडवी कैसे जो एक सुन्दर रचना की प्रेरणा बनी हैं ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर लघु कथा .बहुत अच्छा लिखा है शुभकामनायें .....!!
ReplyDeleteप्यारी लगी यह कविता। ..बधाई।
ReplyDeleteबहुत सजीव लेखन है ... बधायी ...
ReplyDeleteअब तक जुबां पर
ReplyDeleteजस का तस रक्खा है
वो कड़वा स्वाद
अतीत की स्मृतियों का !
wah bahut khoob .......badhai .
खूबसूरत .रचना ....यादों को फिर छेड़ दिया क्यूँ भला :)
ReplyDeleteन मिठास ने साथ छोड़ा है
न कडुवा जुबां से जाता है
यादों का सिलसिला ....
पल-पल मुझे सताता है
सुंदर शब्द .बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
ReplyDeleteBahut Bahut badhiya.....
ReplyDeletebahut sundar anu ji...................
ReplyDeleteपिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
ReplyDeleteकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (10) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ati sunder lekhni hai ....padhte jaaiye ...bas imnandaree se !!
ReplyDeleteaati sunder rachna ....bas padhte jaaiye imandaree se ....sunder lekhni BADHAIYAN
ReplyDelete