इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Monday, October 28, 2013

स्मृतियाँ

मेरी इस कविता को सुन्दर स्वर दिए हैं दीपक सिंह जी ने ...आप भी सुनिए..सराहिये......
https://soundcloud.com/topgundeepak/smritiyaan

तुम्हारी स्मृतियाँ पल रही हैं 
मेरे मन  की
घनी अमराई में |
कुछ उम्मीद भरी बातें अक्सर 
झाँकने लगतीं है
जैसे
बूढ़े पीपल की कोटर से झांकते हों
काली कोयल के बच्चे !!

इन स्मृतियाँ ने यात्रा की है
नंगे पांव
मौसम दर मौसम 
सूखे से सावन तक 
बचपन से यौवन तक |

और कुछ स्मृतियाँ तुम्हारी 
छिपी हैं कहीं भीतर
और आपस में स्नेहिल संवाद करती हैं,
जैसे हम छिपते थे दरख्तों के पीछे
अपने सपनों की अदला बदली करने को |

तुम नहीं 
पर स्मृतियाँ अब भी मेरे साथ हैं 
वे नहीं गयीं तेरे साथ शहर !!

मुझे स्मरण है अब भी तेरी हर बात,
तेरा प्रेम,तेरी हंसी,तेरी ठिठोली
और जामुन के बहाने से,
खिलाई थी तूने जो निम्बोली !!

अब तक जुबां पर
जस का तस रक्खा है
वो कड़वा  स्वाद 
अतीत की स्मृतियों का !!

-अनुलता-

62 comments:

  1. Bohot hi adbhut :)
    Hindi ki poems hamesha se meri favorite rahi he. maza aagya padh kar ise :)

    http://simplysaid22.blogspot.in/

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  2. क्या बात है .....बढ़िया ...सुन्दर ...

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  3. आपकी यह पोस्ट आज के (२८ अक्टूबर , २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - कौन निभाता किसका साथ - पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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  4. और जामुन के बहाने से,
    खिलाई थी तूने जो निम्बोली !!...................................................
    बहुत खूब |

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  5. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २९ /१० /१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है ।

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  6. जैसे हम छुपते थे दरख्तों के पीछे
    अपने सपनों कि अदला बदली करने
    यादों कि स्मृतियों की खूबसूरत यात्रा ...... सुंदर रचना .

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  7. अनुभूतिओं के झरोखों से झांकती खूबशूरत रचना , अपनी नजर नवाज़े मेरी नई पोस्ट पर "अश्रु मेरे दृग तेरे हैं "

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  8. तुम नहीं
    पर स्मृतियाँ अब भी मेरे साथ हैं
    वे नहीं गयीं तेरे साथ शहर !! .... सुबह उठकर आँख मलते मेरे आगे खड़ी रहती हैं
    रात सिरहाने लग निहारती हैं मुझे
    किचेन में भी रहती हैं साथ
    कोई आता है - तब भी वो अपनी तरफ खींचती हैं

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  9. सच कडुआ स्वाद ज्यादा देर तक टिका रहता है |
    नई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )

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  10. भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  11. अरे तुमको निंबोली का स्वाद कड़वा लगा ...... प्यार से खिलाया था तो मीठा लगना था न ....

    रहती हैं यादें जेहन में जस की तस ,न जाने कौन कौन से कोटर से निकल कर आ जाती है सामने ... ...खूबसूरत रचना

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  12. खूबसूरत अभिव्यक्ति
    हार्दिक शुभकामनायें

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  13. सपनों के सिराहने तले...कड़वी स्वाद के मीठे एहसास....सुन्दर .....

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  14. अब तक जुबां पर
    जस का तस रक्खा है
    वो कड़वा स्वाद
    अतीत की स्मृतियों का !
    अक्सर ये स्मृतियाँ बहुत मनोबल प्रदान करतीं हैं | आदरणीय ..सुंदर रचना |

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  15. बेहतरीन रचना है यह अनु ! बधाई !!

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  16. स्मरण शक्ति तेज है :)
    सुंदर .......
    भावपूर्ण!!

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  17. यादें सुकून देती है न अनु जी ...?
    जब न कोई सुने तुम्हारी
    तब निबाहें सिर्फ ये यारी .......
    स्वस्थ रहें!

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  18. अतीत की स्मृतियाँ से तो कडुवाहट निकल जाती है बस रीस रह जाती है मन में ... जो सकूं देना शुरू कर देती हैं ...

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  19. क्या बात.....बहुत सुन्दर

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  20. Smritiyon ko itni gaharaayi se, kintu itni sahajta ke saath ki sachmuch asar karti hai yah kavita.
    Bahut sundar!!

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  21. गाँव की स्मृतियाँ पीछा नहीं छोड़तीं कभी । शहर गाँव हो नहीं सकता किंतु स्मृतियों के झरोखे से अतीत में झाँककर गाँव की ज़िन्दगी के कुछ क्षणों को जिया तो जा ही सकता है। मुझे लगता है कि अनु को बस्तर के जंगल आज भी याद आते हैं ...बड़ी शिद्दत से ....। तभी तो इतनी ख़ूबसूरत ..नाज़ुक सी और अल्हड़ सी कविता लिखने को मचल गयीं। शुक्रिया अनु ! इस कविता के माध्यम से बस्तर के जंगलों और खेतों को याद करने के लिये ।

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  22. कुछ उम्मीद भरी बातें अक्सर
    झाँकने लगतीं है
    जैसे
    बूढ़े पीपल की कोटर से झांकते हों
    काली कोयल के बच्चे !!
    बहुत सुन्दर लगी यह पंक्तियाँ !

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    1. कविता मे कोयल शब्द स्त्री लिंग होकर अद्भुत सौंदर्य से मण्डित हो जाता है, इसीतरह कविता में पीपल की कोटर कोयल के बच्चों पलना, सीधुवाद!

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    2. कविता मे कोयल शब्द स्त्री लिंग होकर अद्भुत सौंदर्य से मण्डित हो जाता है, इसीतरह कविता में पीपल की कोटर कोयल के बच्चों पलना, सीधुवाद!

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  23. मुझे स्मरण है अब भी तेरी हर बात,
    तेरा प्रेम,तेरी हंसी,तेरी ठिठोली
    और जामुन के बहाने से,
    खिलाई थी तूने जो निम्बोली !!
    जामुन के बहाने निम्बोली का खिलाना पता नहीं प्यार में कड़वापन भी
    मीठा सा स्वाद देता है :) बहुत सुन्दर रचना अनुं,

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  24. स्मूतियां कड़वी भी और मीठी भी ... याद में रहती है ....

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  25. गांव की माटी की सोंधी सोंधी सी सुगंध फैलाती सुन्दर रचना .

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  26. 'स्मृतियों' में भी आपके कदम बहुत नपे-तुले होते हैं । प्रायः स्मृतियों में लोग भँवर में फंस जाते हैं और लड़खड़ाई हुई बातें कह पाते हैं परन्तु आपने हमेशा 'यादों की धरोहर' को बहुत अच्छे से संजोया है ।
    उत्कृष्ट रचना ।

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  27. अतीत की तो कडवी स्मृतियां भी जबरन एक मुस्कान ले आती हैं होठों पर। पर स्मृतियों के वन में विचरने का मज़ा ही कुछ और है।

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  28. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  29. कुछ खट्टी -मीठी यादों का सफर ...बहुत खूब

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  30. स्मृतियां अटल रूप से मन पर अंकित रहती हैं, बहुत सुंदर.

    रामराम.

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  31. Bahut sundar pharmaish Anu Ji ! Happy Diwali to you and family. May this Diwali bring you lots of peace and prosperity and may you enjoy good health and happiness.

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  32. आपकी इस उत्तम रचना कोhttp://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ के शुक्रवारीय अंक १/११/१३ में शामिल किया गया हैं कृपया अवलोकन के लिय पधारे शुक्रिया

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  33. सुन्दर रचना .

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  34. वाह...उत्तम लेखन ...दीपावली की शुभकामनाएं.....

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  35. स्मृतियों का सुन्दर ताना बाना .. सुन्दर प्रस्तुति .... दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं ..

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  36. बहुत सुन्दर रचना...
    दीपावली कि हार्दिक शुभकामनाएँ ...
    :-)

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  37. दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...

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  38. अरे गजब ...मज़ा आगया यह पढ़कर ....

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  39. वाह .... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति
    आभार

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  40. स्मृतियों की परतें चढ़ती जाती हैं, मगर वो सदा पारदर्शी होती हैं
    साभार !

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  41. अनु जी ,बहुत ही खूबसूरत और ताजगी भरी कविता । यादों को इतना सुन्दर जामा पहनाया है । उपमान और बिम्ब देखने लायक हैं । लेकिन अतीत की वे यादें कडवी कैसे जो एक सुन्दर रचना की प्रेरणा बनी हैं ।

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  42. बहुत सुंदर लघु कथा .बहुत अच्छा लिखा है शुभकामनायें .....!!

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  43. प्यारी लगी यह कविता। ..बधाई।

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  44. बहुत सजीव लेखन है ... बधायी ...

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  45. अब तक जुबां पर
    जस का तस रक्खा है
    वो कड़वा स्वाद
    अतीत की स्मृतियों का !

    wah bahut khoob .......badhai .

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  46. खूबसूरत .रचना ....यादों को फिर छेड़ दिया क्यूँ भला :)
    न मिठास ने साथ छोड़ा है
    न कडुवा जुबां से जाता है
    यादों का सिलसिला ....
    पल-पल मुझे सताता है

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  47. सुंदर शब्द .बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

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  48. पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
    कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
    ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (10) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  49. ati sunder lekhni hai ....padhte jaaiye ...bas imnandaree se !!

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  50. aati sunder rachna ....bas padhte jaaiye imandaree se ....sunder lekhni BADHAIYAN

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