माँ के ज़ेवरों की तरह
सम्हाल रखी हैं मैंने
तुम्हारी बातें,
सहेज रखा है हर महका लम्हा
रेशम की लाल पोटली में !
सम्हाला है
स्मृतियों को
एक विरासत की तरह
अगली पीढ़ी के लिए!
कभी खोल लेती हूँ वो पोटली
देखती हूँ चमकते गहने
और
आँखों में हौले से उतर आते हैं वो मोती...
ख़ालिस सोने की बनी-
सच!!
बुरे वक्त का सहारा हैं वे स्मृतियाँ
माँ के ज़ेवरों की तरह......
~अनु~
सम्हाल रखी हैं मैंने
तुम्हारी बातें,
सहेज रखा है हर महका लम्हा
रेशम की लाल पोटली में !
सम्हाला है
स्मृतियों को
एक विरासत की तरह
अगली पीढ़ी के लिए!
कभी खोल लेती हूँ वो पोटली
देखती हूँ चमकते गहने
और
आँखों में हौले से उतर आते हैं वो मोती...
ख़ालिस सोने की बनी-
सच!!
बुरे वक्त का सहारा हैं वे स्मृतियाँ
माँ के ज़ेवरों की तरह......
~अनु~
कभी खोल लेती हूँ वो पोटली
ReplyDeleteदेखती हूँ चमकते गहने
और
आँखों में हौले से उतर आते हैं वो मोती...
..वाह अनु .....वह मोती अनमोल हैं...जो ख़ुशी से छलकते हैं....
जीवन का श्रींगार स्मृतियों का गह्ना ….……भावपूर्ण।
ReplyDeleteख़ालिस सोने की बनी-
ReplyDeleteसच!!
बुरे वक्त का सहारा हैं वे स्मृतियाँ
माँ के ज़ेवरों की तरह......
यादें भी जीने का सहारा देती हैं, बहुत ही सुंदर रचना.
रामराम.
cherish able memories:)
ReplyDeleteनाजुक एहसास।
ReplyDeleteसच है स्मृतियाँ माँ के ज़ेवरों की तरह अनमोल होती हैं..बहुत सुन्दर..अनु..
ReplyDeleteपोटली बांधके रखना ...गाहे बगाहे बहुत काम आती हैं स्मृतियां ...और संबल भी देती हैं ...:)
ReplyDelete'स्मृतियाँ' गिरवी रखने पर 'आंसू' ही मिल पते हैं बस ।
ReplyDeleteबस इन्हें कभी 'गिरवी' न रखना पड़े ।
Touched <3
ReplyDeleteइस धरोहर को संभाले रखें।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबुरे वक़्त में मीठी यादें हौसला देती हैं .... बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteसुन्दर। ह्रदय स्पर्शी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव हमेशा की तरह
ReplyDeleteस्मृतियाँ अनमोल धरोहर है ---बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletelatest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।
haan di sunhari yadein hoti hi hain aisi..... komal ehsas....
ReplyDeletepyari si smritiyan....
ReplyDeleteअति सुंदर ...भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteसुखद अहसास की कविता
ReplyDeleteस्मृतियों से ज्यादा अनमोल एवं सर्वउपलब्ध आभूषण सृष्टि में अन्य कोई भी नहीं है और उनमें भी माँ की स्मृतियाँ वो तो विशिष्टतम धरोहर है ... निश्चित रूप से हमारे बुरे वक्तों पर वो ही हमारा वास्तविक स्त्रीधन होती है ...
ReplyDeleteमाँ की अनमोल स्मृतियाँ
ReplyDelete....माँ की गोद जैसी
बहुत सुंदर रचना
सच में जब सोच के ऊपर शून्य लगता है कभी-कभी, तो यही स्मृतियाँ होती हैं जो कुछ पुराने तार छेड़ती हैं...
ReplyDeleteमाँ के ज़ेवरों की तरह
ReplyDeleteसम्हाल रखी हैं मैंने
तुम्हारी बातें, bahut umda
ख़ालिस सोने की बनी-
ReplyDeleteसच!!
बुरे वक्त का सहारा हैं वे स्मृतियाँ
माँ के ज़ेवरों की तरह......
लाजवाब, भावभीनी प्रस्तुति...
और मेरे ब्लॉग पे आ उस पोस्ट की ब्लंडर मिस्टेक से अवगत कराने के लिये शक्रिया...
स्म्रतिया अनमोल होती है
ReplyDeleteमाँ के ज़ेवरों की तरह
ReplyDeleteसम्हाल रखी हैं मैंने
तुम्हारी बातें,
सहेज रखा है हर महका लम्हा
रेशम की लाल पोटली में !
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ .
माँ के ज़ेवरों की तरह
ReplyDeleteसम्हाल रखी हैं मैंने
तुम्हारी बातें,
बहुत सुन्दर भाव , शुरू में ही कविता का पूरा कथ्य कह दिया ..
स्मृतियाँ बहुत खास होती है..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना...
:-)
ख़ालिस सोने की बनी-
ReplyDeleteसच!!
बुरे वक्त का सहारा हैं वे स्मृतियाँ
माँ के ज़ेवरों की तरह...
.......लाजवाब प्रस्तुति...
कल 01/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत.
Deleteबहुत ही प्यारे हैं आपके दिल के भाव ... :)
ReplyDelete☆★☆★☆
अनु जी
अच्छी कविता है...
खोल लेती हूं वो पोटली
देखती हूं चमकते गहने
और
आंखों में हौले से उतर आते हैं वो मोती...
वाह !
बुरे वक्त का सहारा हैं वे स्मृतिया !
बुरा वक़्त आए ही क्यों ?
:)
हार्दिक शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
सहेज रखा है हर महका लम्हा...
ReplyDeleteहमेशा के लिए..
सुखद एहसास के वो स्वर्णिम पल ..
यादों के ऐसे जेवर होना भी एक सौभाग्य है । अच्छी कविता । आपकी कहानी भी पढ ली । कथ्य अच्छा लगा । केतकी के चरित्र को कुछ और तराशा जा सकता था । फिर भी कहानी अच्छी है ।
ReplyDeleteआपका बहुत शुक्रिया...
ReplyDeleteबहुत उम्दा कविता
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeleteउम्दा कविता......मीठी यादें कभी कभी जिन्दगी का सहारा बन जाती है
ReplyDeleteउम्र भर साथ रहती है ये पोटली ...
ReplyDeleteविरासत की तरह पास ओन होती है ...
बहुत सुन्दर। यादों की पोटली को सदैव सजा के रखियेगा।
ReplyDeleteसुन्दर ,सरल और प्रभाबशाली रचना। बधाई।
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें।
ख़ालिस सोने की बनी-
ReplyDeleteसच!!
बुरे वक्त का सहारा हैं वे स्मृतियाँ
माँ के ज़ेवरों की तरह......
बिलकुल सही कहा है अनु,
सुन्दर रचना है !
वाकई स्मृतियाँ किसी अनमोल खजाने से कम नहीं होती क्यूंकि बुरे वक्त में कोई साथ दे या न दे स्मृतियाँ हमेशा साथ होती है अच्छे हम सफर की तरह...
ReplyDeleteAnmol,bhavo se bhari kavita
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