कहा गया हर शब्द
स्थायी है
हर अक्षर होता है कालजयी...
शब्द के सृजन की प्रक्रिया अपरिवर्तनीय है...
एक बार बन जाने के बाद
शब्द भटकते हैं,
खोजते हैं ठौर...कहीं ठहर जाने को.
शब्द कभी मरते नहीं
शब्दों के दिए घाव कभी भरते नहीं....
मेरे कानों से टकराए हैं ऐसे कई शब्द
और उन्होंने स्थायी ठिकाना बना लिया
मेरे मन को...
एक के ऊपर एक
परत दर परत टिकते ये शब्द
रौंदते मेरी शिराओं को...
इनसे रिसता धीमा ज़हर फ़ैल रहा है पूरे बदन में
दर्द असह्य हुआ
तो नोच नोच कर शब्दों को उठा कर
सृजन किया एक नज़्म का...
चूंकि हर शब्द तेरा है
सो दर्द भरी इस नज़्म का सेहरा तेरे सर.....
~अनु~
स्थायी है
हर अक्षर होता है कालजयी...
शब्द के सृजन की प्रक्रिया अपरिवर्तनीय है...
एक बार बन जाने के बाद
शब्द भटकते हैं,
खोजते हैं ठौर...कहीं ठहर जाने को.
शब्द कभी मरते नहीं
शब्दों के दिए घाव कभी भरते नहीं....
मेरे कानों से टकराए हैं ऐसे कई शब्द
और उन्होंने स्थायी ठिकाना बना लिया
मेरे मन को...
एक के ऊपर एक
परत दर परत टिकते ये शब्द
रौंदते मेरी शिराओं को...
इनसे रिसता धीमा ज़हर फ़ैल रहा है पूरे बदन में
दर्द असह्य हुआ
तो नोच नोच कर शब्दों को उठा कर
सृजन किया एक नज़्म का...
चूंकि हर शब्द तेरा है
सो दर्द भरी इस नज़्म का सेहरा तेरे सर.....
~अनु~
शब्द के सृजन की प्रक्रिया अपरिवर्तनीय है...
ReplyDeleteएक बार बन जाने के बाद
शब्द भटकते हैं,
खोजते हैं ठौर...कहीं ठहर जाने को.
ख़ाली पड़े दिलों में ,परेशान हुए ज़हनों में शब्द ,अन्तत:ढूँढ लेते हैं एक घर ........ऐसा जिसका दरवाज़ा देर से खोला नहीं गया होता .........याददाश्त के बुने जालों में ,अतीत की मकड़ियां टहलती हैं . शब्द मकड़ियों को बोलना सिखाते हैं ,और मकड़ियां शब्दों को बिना शोर किये जीना .
नज़्म अच्छी बन पड़ी है . बधाई !
शब्द के सृजन की प्रक्रिया अपरिवर्तनीय है...
ReplyDeleteएक बार बन जाने के बाद
शब्द भटकते हैं,
खोजते हैं ठौर...कहीं ठहर जाने को.
ख़ाली पड़े दिलों में ,परेशान हुए ज़हनों में शब्द ,अन्तत:ढूँढ लेते हैं एक घर ........ऐसा जिसका दरवाज़ा देर से खोला नहीं गया होता .........याददाश्त के बुने जालों में ,अतीत की मकड़ियां टहलती हैं . शब्द मकड़ियों को बोलना सिखाते हैं ,और मकड़ियां शब्दों को बिना शोर किये जीना .
नज़्म अच्छी बन पड़ी है . बधाई !
शब्द कभी मरते नहीं
ReplyDeleteशब्दों के दिए घाव कभी भरते नहीं....
तार्किक उद्गार ,बहुत सुन्दर..
हर शब्द तेरा है तो इस दर्द भरी नज़्म का सेहरा तेरे सर !
ReplyDeleteकहा गया हर शब्द स्थाई होता है , मगर कागज़ पर उतरने से पहले बहुत भागते हैं इधर- उधर ये शब्द !
अक्षर कालजयी हैं ही!
ReplyDeleteऔर नज़्म भी बिल्कुल निस्संग है, रच आने के बाद सारा श्रेय ही किसी के शब्दों को ही दे रही है!
सुन्दर!!!
अद्भुत , सुन्दर , बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteफूल इतने थे कि पलकों भी थक के मुंदने लगीं
ReplyDeleteखुशबुओं ऐसी की दम घुटता रहा देर तलाक
जादू लफ़्ज़ों को कोई खेल दिखाता ही रहा
दर्द असह्य हुआ
ReplyDeleteतो नोच नोच कर शब्दों को उठा कर
सृजन किया एक नज़्म का...
चूंकि हर शब्द तेरा है
सो दर्द भरी इस नज़्म का सेहरा तेरे सर.--bahut khub,sundar abhivyakti
latest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
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ReplyDeleteखूब ...सुंदर सधे हुए शब्द .....
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ReplyDeleteचूंकि हर शब्द तेरा है
ReplyDeleteसो दर्द भरी इस नज़्म का सेहरा तेरे सर.....
तेरा तुझको अर्पण ....मेरा क्या है ...सब तेरी ही माया है ...!!
गहन सुंदर अभिव्यक्ति अनु ...!!
'तू होगा मेरा दुश्मन ...पर दोस्त भी हुआ करता है
ReplyDeleteकभी ख़ुशी कभी नज़्म दिया करता है ....'- शिखा
बहुत खूबसूरत
चूंकि हर शब्द तेरा है
ReplyDeleteसो दर्द भरी इस नज़्म का सेहरा तेरे सर......superb di...positive rehnay ki prerna deti rachna....
wahhh sunnar chitrankan ..
ReplyDeleteशब्द कभी मरते नहीं
ReplyDeleteशब्दों के दिए घाव कभी भरते नहीं....वाह बहुत खूब..
दर्द असह्य हुआ
ReplyDeleteतो नोच नोच कर शब्दों को उठा कर
सृजन किया एक नज़्म का...
चूंकि हर शब्द तेरा है
सो दर्द भरी इस नज़्म का सेहरा तेरे सर.....
वाह लाजवाब भाव, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
shbad kahan marte hain aur ghaaw kahan bharte hain ..bahut sundar rachna anu
ReplyDeleteइस सच्चाई पर कमेंट क्या करूँ
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
शब्दों का स्थायित्व ही कहता है कि मन के विचलित क्षण में चुप ही होना बेहतर है
ReplyDeleteइतने सारे शब्द टिका लिए थे कि एक नज़्म का सृजन हो गया ..... सुंदर और भाव भरी नज़्म ।
ReplyDeletetrue words... truly said... all the best !!
ReplyDeleteशब्द भटकते हैं,
ReplyDeleteखोजते हैं ठौर...कहीं ठहर जाने को.
पा गए ना ठौर बन गए कालजयी…
सुन्दर सृजन ….शुभकामनाएं ....
बहुत बहुत शुक्रिया शास्त्री जी.
ReplyDeleteशब्द कभी मरते नहीं
ReplyDeleteशब्दों के दिए घाव कभी भरते नहीं...
बहुत उम्दा सुंदर सृजन ,,,
RECENT POST : जिन्दगी.
तेरा तुझको अर्पण...
ReplyDeleteबहुत सुंदर अनु...
<3
अक्षरों से शब्दों का सफर, नयी सोच लिए खूबसूरत प्रस्तुति.
ReplyDeleteसही है जिसने दर्द दिया उसके हिस्से में भी तो कुछ आना ही चाहिए न जी... :) सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteशब्द कभी मरते नहीं
ReplyDeleteशब्दों के दिए घाव कभी भरते नहीं.
सही कहा , सोच समझ कर बोलना चाहिए
गहन भाव
ReplyDeleteशब्दों की अनवरत खुबसूरत अभिवयक्ति...... .
ReplyDeleteएहसास जन्म देते हैं शब्दों को ...और उधड़ने लगें जब शब्द तो एहसास नज़्म बनकर उभरते हैं.....और उसका सेहरा..जो दिलके सबसे करीब होता है उसीपर होता है .....बहुत सुन्दर
ReplyDeleteशब्द दर्द देते हैं ... पर दर्द पे किसी का क्या इख्तियार ...
ReplyDeleteशब्द तो वही हैं ... भाव होते हैं तो नज़्म का रूप लेते हैं ...
गहन भावों की खुबसूरत प्रस्तुति !!
ReplyDeleteशब्दों के सर्जन से जन्म मेरा है ....
ReplyDeleteगहन भावों से भरपूर कविता .. बहुत ही सुन्दर!
ReplyDeleteअनु जी : कवि और शब्द का नाता बड़ा रूमानी होता है. कवि शब्द को लाड लड़ाते कभी नहीं थकेगा...!! इस रचना में शब्द की शामिलियत के साथ आप ने दर्द के अदि से निर्वाण तक की यात्रा खींची है--- सुरेख.
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअक्सर ऐसे दर्द से उपजे शब्द ही नज्म का रूप ले लेते हैं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, साभार!
वाह .... बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह....कितना सच !!बहुत बहुत सुन्दर...!
ReplyDeleteek bahut hi important shabd hamari taraf se aap ke naam ..... love love n love di
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