इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Wednesday, February 29, 2012

जीवन संगीत...........

आज थोडा पीछे लिए चलती हूँ आपको...डायरी का वो पन्ना जो फीका पड़ गया है....कभी कभी जीवन बड़ा व्यवहारिक हो जाता है...रूमानियत बस कहीं डायरी के पन्नों में ही दबी रह जाती है....


मिला था मुझे वो अपनी संगीत कक्षा में...उसको देखते ही मन वीणा के तार झंकृत हो गए थे...तारों का कंपन महसूस करती जब जब उसको देखती....लगता कहीं दूर कोई बांसुरी बजा रहा है...क्लास में उसके आते ही मन सरगम भूल जाता.....और जाने कौन सा सुर पकड़ लेता...
वो भी कुछ कम नहीं था...कभी देखता कहीं और ,फिर मेरे करीब आता....और कभी मुझे अनदेखा कर कुछ हौले से गुनगुनाता...मैं राग -रागिनियाँ सीखती...ह्रदय उसके गीत गाता...मुझे दादर/कहरवा कम उसका स्वर अधिक भाता.
मोहब्ब्त की पहली दस्तक थी वो....जो स्वरलहरी बन गूंजी थी मेरे मन में और आँगन में शहनाई बजवा कर ही मानी. ..
उसका होना जीवन में, बजाता है जलतरंग...
सप्तसुरों से सजा हुआ, ये उसका मेरा संग....
 -अनु

13 comments:

  1. पहली दस्तक में कामयाबी पाना...वास्तव में जीवन की सबसे बड़ी कामयाबी है,...
    बहुत अच्छी प्रस्तुति,इस सुंदर रचना के लिए बधाई,...

    MY NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
    कमेंट्स बाक्स से वर्डवेरीफिकेसन हटा ले कमेंट्स करने में परेशानी
    और समय की बर्बादी होती है,....

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  2. दिल तक उतरते ख्याल

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  3. कल 02/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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    1. आपका शुक्रिया यशवंत जी.

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  4. उसका होना जीवन में, बजाता है जलतरंग...
    सप्तसुरों से सजा हुआ, ये उसका मेरा संग....
    ..sundar tasveer ke saath sundar prastuti..

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  5. उसका होना जीवन में, बजाता है जलतरंग...
    सप्तसुरों से सजा हुआ, ये उसका मेरा संग....

    गर ऐसा हो संग...तो फिर क्या कहना...
    उसका न होना भी है जैसे उसका होना....

    सुन्दर....

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  6. बहुत ही सुन्दर
    भाव अभिव्यक्ति:-)

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  7. बांध गयी आपकी शुरुआत !

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  8. ये पल बस याद बन कर ही रह जाते हैं ....

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  9. pehle pyar ki anubhuti man mei bajta jal-tarang... khoobsurat khyal

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  10. मेरी प्यार के ऊपर लिखी हुई बहुत ही कम पंक्तियों में से एक , आपके लिए -
    मैं राह पर मुड-मुड के उसको देखता था 'काश' ,
    गली के मोड़ पर मुड़ने से पहले वो भी मुड जाती |

    सादर
    -आकाश

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