इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Monday, November 19, 2012

प्रेम और जुदाई (दूसरी किश्त)



प्रेम की दूसरी किश्त तो जुदाई ही हो सकती है...कौन सा प्रेम है जिसने जुदाई का दर्द न भोगा हो.....जब जुदाई है तो दर्द है...और दर्द है तभी तो उपजी है कविता...

पहले मेरे दिल में तुम्हारा प्रेम पला करता था
अब तुम्हारे लौट आने की उम्मीद...
तुम्हारे प्रेम से उत्सर्जित
पराबैंगनी किरणों ने
मुझे दृष्टिहीन कर दिया है...
नष्ट हो जाती है
प्रेमोन्माद में 
ओजोन लेयर.......
(प्रेम ह्रदय में एक झूठी आस का दीप जला देता है.....और रोशन रहता है मन इस की लौ से )

तेरे जाने के बाद
जिए हैं मैंने
एक बरस में कई बरस..
कुछ साल
तुमसे
बड़ी हो गयी हूँ
उम्र में ..
अब तो मान लो मेरा कहा .....
(प्रेम याचक बना देता है कभी कभी,या शायद हमेशा...प्रेम देता अधिकार से है मगर इसके पास मांगने के हक़ नहीं हुआ करते...)

तय होती है
सबके हिस्से की ज़िन्दगी
जन्म के पहले से ही....
तेरे साथ
उन चंद सालों में
जी ली मैंने
अपने हिस्से की
पूरी ज़िन्दगी...
अब कहो-
कैसे गुजारूं
अपनी बाकी की उम्र ?
(तेरा यूँ साथ छोडना मुझे गवारा नहीं....जिद्द है तुझे फिर पाने की,मगर कैसे कहूँ???) 

अब  तुम यूँ मिले हो कि पास होकर भी जाने कितनी दूरियां हैं हमारे दरमियान...कितना अनकहा है हमारे बीच, मगर शब्द नहीं हैं...
चुप्पी से बेहतर है
की जायें कुछ
बातें बेवजह....
प्यार का न सही
कोई पुल
तकरार का ही बने
तेरे मेरे दरमियान......
अब नहीं तो क्या....कभी तो था तेरा मुझसे कोई वास्ता.

तू  चला गया इसका क्या गम करूँ.....कभी पास था ये सुकून है......
क्या हुआ जो सुखान्त नहीं,
तेरी मेरी एक कहानी तो है..............
-अनु

38 comments:

  1. बढ़िया प्रस्तुति |
    आभार -

    ReplyDelete
  2. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति........

    ReplyDelete
  3. अगर आखिर में प्रमियों का मिलन न हो तो क्या वो प्रेम कहानी नही होती?? .. बहुत ही गहरे और उम्दा भावों के साथ पेश की गयी कविता मानो मन की गहराई को छु के निकल गयी हो।

    बहुत सुन्दर।

    ReplyDelete
  4. एक यादगार किश्त मिलन और बिछोह प्रकृति के शाश्वत सत्य हैं |आभार

    ReplyDelete
  5. क्या हुआ जो सुखान्त नहीं,
    तेरी मेरी एक कहानी तो है....
    वाह ... बहुत ही बढिया।

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....चुप्पी से बेहतर है
    की जायें कुछ
    बातें बेवजह....
    प्यार का न सही
    कोई पुल
    तकरार का ही बने
    तेरे मेरे दरमियान......बेहतरीन पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  8. अनु जी ,
    बहुत रूमानी और बहुत प्यारी पेशकश .
    ---------चुप्पी से बेहतर है
    की जायें कुछ
    बातें बेवजह....----- इस हिस्से में 'की हो जाए....' ऐसा होना चाहिए.
    दूसरी बात : ब्रेकेट में विवरण देना आवश्यक है...? पाठक इतना तो ताड़ सकते है--- नहीं...?

    ReplyDelete
    Replies
    1. ब्रेकेट में विवरण देने की कोशिश नहीं है राजू जी....वो भी कविता का हिस्सा ही समझ लिया जाय....पद्य/गद्य का फर्क हो शायद...मेरे पाठक तो दिल की बातें जान जाते हैं...जो न लिखा है वो भी :-)
      आपका बहुत शुक्रिया..
      यूँ ही स्नेह व मार्गदर्शन बनाए रखें

      Delete
  9. एक फिल्म थी 'मिलन',नूतन और सुनील दत्त की
    ऐसा मिलन जो यहाँ न होकर उस जहाँ में हुआ...
    यह मिलन है या जुदाई...
    ऐसी फिल्में हिट हो जाती हैं क्योंकि एक कहानी तो होती है
    सस्नेह

    ReplyDelete
  10. बहुत बहुत शुक्रिया राजेश जी...

    ReplyDelete
  11. प्रेम और विछोह दोनों भावों से भरी यह प्यारी सी रचना /रचनाएं.

    ReplyDelete
  12. गहरे और उम्दा भावों के साथ मन की गहराई को छूती रचना,,

    recent post...: अपने साये में जीने दो.

    ReplyDelete
  13. बेहतरीन पोस्ट


    सादर

    ReplyDelete
  14. तेरे जाने के बाद
    जिए हैं मैंने
    एक बरस में कई बरस..
    कुछ साल
    तुमसे
    बड़ी हो गयी हूँ
    उम्र में ..
    अब तो मान लो मेरा कहा ..बेह्तरीन अभिव्यक्ति .

    ReplyDelete
  15. प्रेम के विविध रंग व अनूठी छटा बिखेरती सुन्दर पोस्ट!

    ReplyDelete
  16. प्रेम के बाद जुदाई ! अच्छा हुआ हमें किसी से प्रेम नहीं हुआ. :)
    लेकिन रचना पढ़कर अच्छा लगा.

    ReplyDelete
  17. बेहतरीन अंदाज में मन के भावों को
    व्यक्त करती अति सुन्दर रचना..
    कोमल और भावपूर्ण...
    :-)

    ReplyDelete
  18. गहन संवेदनाओं भरी अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  19. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....

    प्रेम के अनूठे रंग...!!

    ReplyDelete
  20. प्रेम ह्रदय में एक झूठी आस का दीप जला देता है और रोशन रहता है मन इस की लौ से

    ReplyDelete
  21. तेरे जाने के बाद
    जिए हैं मैंने
    एक बरस में कई बरस..
    कुछ साल

    बहुत अच्छी रचना. शब्द शब्द भावों से लबरेज.

    ReplyDelete
  22. तेरे जाने के बाद
    जिए हैं मैंने
    एक बरस में कई बरस..
    कुछ साल
    तुमसे
    बड़ी हो गयी हूँ
    उम्र में ..
    अब तो मान लो मेरा कहा .....

    ReplyDelete
  23. सुंदर भावप्रबल अभिव्यक्ति ....

    ReplyDelete
  24. बहुत बहुत सुन्दर!! कुछ कड़ियों पर तो मैं पहले भी कह चुका हूँ.. इसलिये दोहराता नहीं!!

    ReplyDelete
  25. अपनी बात कहने का यह अनोखा अंदाज़ बहुत पसंद आया ........:)

    ReplyDelete
  26. क्या हुआ जो सुखान्त नहीं,
    तेरी मेरी एक कहानी तो है..............

    बहुत खूब..प्रेम को इस नज़रिए से देखने वाले कम ही मिलते हैं।।।।

    ReplyDelete
  27. क्या हुआ जो सुखान्त नहीं,
    तेरी मेरी एक कहानी तो है..............

    बहुत खूब...प्रेम को इस नज़िरए से देखने वाले आज के दौर में कम ही मिलते हैं।।।

    ReplyDelete
  28. प्यार में दर्द नहीं होता....
    दर्द होता भी है, तो उसमे दर्द नहीं होता....

    ReplyDelete
  29. जुदाई स्पेशल अच्छी लगी . वियोगी होगा पहली कवि , आह से उपजा होगा गान।--

    ReplyDelete
  30. इस पृथ्वी पर सबसे अमीर और सौभाग्यशाली वो ही है जिसके पास एक बेपनाह मोहब्बत करने वाला होता है , अन्यथा सारे भौतिक सुख फीके होते हैं

    ReplyDelete
  31. प्रेम की दो स्थितियों का गहन विश्लेषण।
    कविता का अंत संबंध की एक नई परिभाषा प्रस्तुत कर रहा है।

    ReplyDelete
  32. तू चला गया इसका क्या गम करूँ.....कभी पास था ये सुकून है |

    यही तो लाइफ लाइन है |

    ReplyDelete
  33. निशब्द करते भाव , बहुत बारीकी से पिरोये हुए मोती हैं इस रचना में |

    सादर

    ReplyDelete

नए पुराने मौसम

मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...