प्रेम की दूसरी किश्त तो जुदाई ही हो सकती है...कौन सा प्रेम है जिसने जुदाई का दर्द न भोगा हो.....जब जुदाई है तो दर्द है...और दर्द है तभी तो उपजी है कविता...
पहले मेरे दिल में तुम्हारा प्रेम पला करता था
अब तुम्हारे लौट आने की उम्मीद...
तुम्हारे प्रेम से उत्सर्जित
पराबैंगनी किरणों ने
मुझे दृष्टिहीन कर दिया है...
नष्ट हो जाती है
प्रेमोन्माद में
ओजोन लेयर.......
(प्रेम ह्रदय में एक झूठी आस का दीप जला देता है.....और रोशन रहता है मन इस की लौ से )
तेरे जाने के बाद
जिए हैं मैंने
एक बरस में कई बरस..
कुछ साल
तुमसे
बड़ी हो गयी हूँ
उम्र में ..
अब तो मान लो मेरा कहा .....
पराबैंगनी किरणों ने
मुझे दृष्टिहीन कर दिया है...
नष्ट हो जाती है
प्रेमोन्माद में
ओजोन लेयर.......
(प्रेम ह्रदय में एक झूठी आस का दीप जला देता है.....और रोशन रहता है मन इस की लौ से )
तेरे जाने के बाद
जिए हैं मैंने
एक बरस में कई बरस..
कुछ साल
तुमसे
बड़ी हो गयी हूँ
उम्र में ..
अब तो मान लो मेरा कहा .....
(प्रेम याचक बना देता है
कभी कभी,या शायद हमेशा...प्रेम देता अधिकार से है मगर इसके पास मांगने के हक़ नहीं हुआ करते...)
तय होती है
सबके हिस्से की ज़िन्दगी
जन्म के पहले से ही....
तेरे साथ
उन चंद सालों में
जी ली मैंने
अपने हिस्से की
पूरी ज़िन्दगी...
अब कहो-
कैसे गुजारूं
अपनी बाकी की उम्र ?
(तेरा यूँ साथ छोडना मुझे
गवारा नहीं....जिद्द है तुझे फिर पाने की,मगर कैसे कहूँ???)
अब तुम यूँ मिले हो कि पास होकर भी जाने कितनी दूरियां हैं हमारे दरमियान...कितना अनकहा है हमारे बीच, मगर शब्द नहीं हैं...
चुप्पी से बेहतर है अब तुम यूँ मिले हो कि पास होकर भी जाने कितनी दूरियां हैं हमारे दरमियान...कितना अनकहा है हमारे बीच, मगर शब्द नहीं हैं...
की जायें कुछ
बातें बेवजह....
प्यार का न सही
कोई पुल
तकरार का ही बने
तेरे मेरे दरमियान......
अब नहीं तो क्या....कभी तो
था तेरा मुझसे कोई वास्ता.
तू चला गया इसका क्या गम करूँ.....कभी पास था ये सुकून है......
क्या हुआ जो सुखान्त नहीं,
तेरी मेरी एक कहानी तो है..............
बढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार -
बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
ReplyDeleteअभिव्यक्ति........
अगर आखिर में प्रमियों का मिलन न हो तो क्या वो प्रेम कहानी नही होती?? .. बहुत ही गहरे और उम्दा भावों के साथ पेश की गयी कविता मानो मन की गहराई को छु के निकल गयी हो।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
एक यादगार किश्त मिलन और बिछोह प्रकृति के शाश्वत सत्य हैं |आभार
ReplyDeleteक्या हुआ जो सुखान्त नहीं,
ReplyDeleteतेरी मेरी एक कहानी तो है....
वाह ... बहुत ही बढिया।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....चुप्पी से बेहतर है
ReplyDeleteकी जायें कुछ
बातें बेवजह....
प्यार का न सही
कोई पुल
तकरार का ही बने
तेरे मेरे दरमियान......बेहतरीन पंक्तियाँ
भाव प्रवण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
ReplyDeleteअनु जी ,
ReplyDeleteबहुत रूमानी और बहुत प्यारी पेशकश .
---------चुप्पी से बेहतर है
की जायें कुछ
बातें बेवजह....----- इस हिस्से में 'की हो जाए....' ऐसा होना चाहिए.
दूसरी बात : ब्रेकेट में विवरण देना आवश्यक है...? पाठक इतना तो ताड़ सकते है--- नहीं...?
ब्रेकेट में विवरण देने की कोशिश नहीं है राजू जी....वो भी कविता का हिस्सा ही समझ लिया जाय....पद्य/गद्य का फर्क हो शायद...मेरे पाठक तो दिल की बातें जान जाते हैं...जो न लिखा है वो भी :-)
Deleteआपका बहुत शुक्रिया..
यूँ ही स्नेह व मार्गदर्शन बनाए रखें
dard pyaar ...uff ye nasha
ReplyDeleteक्या कहने
ReplyDeleteबहुत सुंदर
एक फिल्म थी 'मिलन',नूतन और सुनील दत्त की
ReplyDeleteऐसा मिलन जो यहाँ न होकर उस जहाँ में हुआ...
यह मिलन है या जुदाई...
ऐसी फिल्में हिट हो जाती हैं क्योंकि एक कहानी तो होती है
सस्नेह
बहुत बहुत शुक्रिया राजेश जी...
ReplyDeleteप्रेम और विछोह दोनों भावों से भरी यह प्यारी सी रचना /रचनाएं.
ReplyDeleteगहरे और उम्दा भावों के साथ मन की गहराई को छूती रचना,,
ReplyDeleterecent post...: अपने साये में जीने दो.
बेहतरीन पोस्ट
ReplyDeleteसादर
तेरे जाने के बाद
ReplyDeleteजिए हैं मैंने
एक बरस में कई बरस..
कुछ साल
तुमसे
बड़ी हो गयी हूँ
उम्र में ..
अब तो मान लो मेरा कहा ..बेह्तरीन अभिव्यक्ति .
प्रेम के विविध रंग व अनूठी छटा बिखेरती सुन्दर पोस्ट!
ReplyDeleteप्रेम के बाद जुदाई ! अच्छा हुआ हमें किसी से प्रेम नहीं हुआ. :)
ReplyDeleteलेकिन रचना पढ़कर अच्छा लगा.
बेहतरीन अंदाज में मन के भावों को
ReplyDeleteव्यक्त करती अति सुन्दर रचना..
कोमल और भावपूर्ण...
:-)
गहन संवेदनाओं भरी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteप्रेम के अनूठे रंग...!!
प्रेम ह्रदय में एक झूठी आस का दीप जला देता है और रोशन रहता है मन इस की लौ से
ReplyDeleteतेरे जाने के बाद
ReplyDeleteजिए हैं मैंने
एक बरस में कई बरस..
कुछ साल
बहुत अच्छी रचना. शब्द शब्द भावों से लबरेज.
तेरे जाने के बाद
ReplyDeleteजिए हैं मैंने
एक बरस में कई बरस..
कुछ साल
तुमसे
बड़ी हो गयी हूँ
उम्र में ..
अब तो मान लो मेरा कहा .....
सुंदर भावप्रबल अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर!! कुछ कड़ियों पर तो मैं पहले भी कह चुका हूँ.. इसलिये दोहराता नहीं!!
ReplyDeleteअपनी बात कहने का यह अनोखा अंदाज़ बहुत पसंद आया ........:)
ReplyDeletebehatreen !!
ReplyDeleteक्या हुआ जो सुखान्त नहीं,
ReplyDeleteतेरी मेरी एक कहानी तो है..............
बहुत खूब..प्रेम को इस नज़रिए से देखने वाले कम ही मिलते हैं।।।।
क्या हुआ जो सुखान्त नहीं,
ReplyDeleteतेरी मेरी एक कहानी तो है..............
बहुत खूब...प्रेम को इस नज़िरए से देखने वाले आज के दौर में कम ही मिलते हैं।।।
प्यार में दर्द नहीं होता....
ReplyDeleteदर्द होता भी है, तो उसमे दर्द नहीं होता....
जुदाई स्पेशल अच्छी लगी . वियोगी होगा पहली कवि , आह से उपजा होगा गान।--
ReplyDeleteइस पृथ्वी पर सबसे अमीर और सौभाग्यशाली वो ही है जिसके पास एक बेपनाह मोहब्बत करने वाला होता है , अन्यथा सारे भौतिक सुख फीके होते हैं
ReplyDeleteप्रेम की दो स्थितियों का गहन विश्लेषण।
ReplyDeleteकविता का अंत संबंध की एक नई परिभाषा प्रस्तुत कर रहा है।
तू चला गया इसका क्या गम करूँ.....कभी पास था ये सुकून है |
ReplyDeleteयही तो लाइफ लाइन है |
निशब्द करते भाव , बहुत बारीकी से पिरोये हुए मोती हैं इस रचना में |
ReplyDeleteसादर