सरसराती ,फन उठाती
बिन बुलाये ,
अनचाही एक
याद गुज़री.....
जाने कब की
बीती बितायी
बासी पड़ी
एक बात गुज़री...
ले गयी वो
चैन मन का
आंसुओं में
रात गुज़री.....
भीगे भीगे ख्वाब सारे
भीगे थे हर सू नज़ारे
बादलों में भीगती
बारात गुज़री.....
महके गुलाबी
कागजों में
झूठी एक
सौगात गुज़री....
बंद करके
रख दिए थे
मैंने माज़ी के दरीचे
सेंध करके
छुप-छुपाती
याद वो बलात गुज़री....
सच का चेहरा
मुझको दिखाती
आइना ले साथ गुज़री !
सरसराती फनफनाती
विष भरी
एक याद गुज़री...............
~अनुलता~
बिन बुलाये ,
अनचाही एक
याद गुज़री.....
जाने कब की
बीती बितायी
बासी पड़ी
एक बात गुज़री...
ले गयी वो
चैन मन का
आंसुओं में
रात गुज़री.....
भीगे भीगे ख्वाब सारे
भीगे थे हर सू नज़ारे
बादलों में भीगती
बारात गुज़री.....
महके गुलाबी
कागजों में
झूठी एक
सौगात गुज़री....
बंद करके
रख दिए थे
मैंने माज़ी के दरीचे
सेंध करके
छुप-छुपाती
याद वो बलात गुज़री....
सच का चेहरा
मुझको दिखाती
आइना ले साथ गुज़री !
सरसराती फनफनाती
विष भरी
एक याद गुज़री...............
~अनुलता~