आँखें खाली
ज़हन उलझा
ठिठुरते रिश्ते
मन उदास....
सही वक्त है कि उम्मीद की सिलाइयों पर
नर्म गुलाबी ऊन से एक ख्वाब बुना जाय !!
माज़ी के किसी सर्द कोने में कोई न कोई बात,
कोई न कोई याद ज़रूर छिपी होगी
जिसमें ख़्वाबों की बुनाई की विधि होगी,
कितने फंदे ,कब सीधे, कब उलटे......
बुने जाने पर पहनूँगी उस ख्वाब को
कभी तुम भी पहन लेना..
कि ख़्वाबों का माप तो हर मन के लिए
एक सा होता है |
कि उसकी गर्माहट पर हक़ तुम्हारा भी है.....
~अनुलता~
ज़हन उलझा
ठिठुरते रिश्ते
मन उदास....
सही वक्त है कि उम्मीद की सिलाइयों पर
नर्म गुलाबी ऊन से एक ख्वाब बुना जाय !!
माज़ी के किसी सर्द कोने में कोई न कोई बात,
कोई न कोई याद ज़रूर छिपी होगी
जिसमें ख़्वाबों की बुनाई की विधि होगी,
कितने फंदे ,कब सीधे, कब उलटे......
बुने जाने पर पहनूँगी उस ख्वाब को
कभी तुम भी पहन लेना..
कि ख़्वाबों का माप तो हर मन के लिए
एक सा होता है |
कि उसकी गर्माहट पर हक़ तुम्हारा भी है.....
~अनुलता~