पढ़िए दैनिक भास्कर के डीबी स्टार (extra shot) में प्रकाशित मेरा व्यंग..............
व्यंग लिखने का ये मेरा पहला प्रयास था :-)
पार्टी पूरे जोर पर
थी......ग्लास पर ग्लास खाली किये जा रहे थे......म्यूजिक ज़रा सा धीमा हुआ तो
शर्मा जी ने अपने लाडले बेटे को आवाज़ दी......फिर फ़ख्र से दोस्तों की ओर मुखातिब
होकर बच्चे की पीठ ठोकते हुए बोले, “ अपना बच्चा भी आजकल वेस्टर्न म्यूजिक सीख रहा
है....भई क्या गाता है !
सुनाओ बेटा वो गाना...जो आज आप सुबह बाथरूम में गा रहे थे ...”
बेटा थोड़ा झिझकता हुआ शुरू हो जाता है......उसका भी नया नया शौक था और ऐसी शानदार ऑडीयंस उसको कहाँ मिलनी थी | भरे मन से ही सही सबने तालियाँ बजाईं | बाप का सीना गर्व से चौड़ा हो गया| ये देख कर वर्मा जी ने भी जल्दी से आख़री घूँट गले से नीचे लुढ़काया और अपने बेटे से पूरी स्पीच ही सुनवा डाली जो उसने टीचर्स डे के लिए रटी थी | फिर खुद ही खी खी करते हुए बोल पड़े....भई ये कान्वेंट वालों का एक्सेंट तो अपने पल्ले ही नहीं पड़ता |
मुखर्जी साहब का तो दिमाग ही खराब हो गया.....बीवी की ओर देख कर भुनभुनाये , ”कहा था तुम्हारे लड़के से कि गिटार लेकर चलो,मगर मेरी तुम लोग सुनते कहाँ हो...” और वहाँ कोने में बैठा बेटा मन ही मन दुहरा रहा था बाप के डायलाग जो उसने घर पर आज ही मारे थे----“क्यूँ रे ! दिन भर ये टुनटुना लेकर क्यूँ बैठा रहता है, कुछ पढ़ लिख लो श्रीमान वरना यही बजाते रह जाओगे “.....
अग्रवाल साहब का बच्चा आया नहीं था इसका उन्हें बड़ा अफ़सोस था.....फिर भी मौका देख कर उन्होंने सुना ही दिया.....हमारे बेटे को तो पढ़ने के सिवा कोई काम नहीं भाता....शायद इसी का फल है कि कॉलेज से पास आउट होने के पहले ही 25 लाख का पैकेज ऑफर हुआ है उसको |
सुनाओ बेटा वो गाना...जो आज आप सुबह बाथरूम में गा रहे थे ...”
बेटा थोड़ा झिझकता हुआ शुरू हो जाता है......उसका भी नया नया शौक था और ऐसी शानदार ऑडीयंस उसको कहाँ मिलनी थी | भरे मन से ही सही सबने तालियाँ बजाईं | बाप का सीना गर्व से चौड़ा हो गया| ये देख कर वर्मा जी ने भी जल्दी से आख़री घूँट गले से नीचे लुढ़काया और अपने बेटे से पूरी स्पीच ही सुनवा डाली जो उसने टीचर्स डे के लिए रटी थी | फिर खुद ही खी खी करते हुए बोल पड़े....भई ये कान्वेंट वालों का एक्सेंट तो अपने पल्ले ही नहीं पड़ता |
मुखर्जी साहब का तो दिमाग ही खराब हो गया.....बीवी की ओर देख कर भुनभुनाये , ”कहा था तुम्हारे लड़के से कि गिटार लेकर चलो,मगर मेरी तुम लोग सुनते कहाँ हो...” और वहाँ कोने में बैठा बेटा मन ही मन दुहरा रहा था बाप के डायलाग जो उसने घर पर आज ही मारे थे----“क्यूँ रे ! दिन भर ये टुनटुना लेकर क्यूँ बैठा रहता है, कुछ पढ़ लिख लो श्रीमान वरना यही बजाते रह जाओगे “.....
अग्रवाल साहब का बच्चा आया नहीं था इसका उन्हें बड़ा अफ़सोस था.....फिर भी मौका देख कर उन्होंने सुना ही दिया.....हमारे बेटे को तो पढ़ने के सिवा कोई काम नहीं भाता....शायद इसी का फल है कि कॉलेज से पास आउट होने के पहले ही 25 लाख का पैकेज ऑफर हुआ है उसको |
जोशी की दोनों संतानों में
प्रथम दृष्टया ऐसे कोई विशेष गुण नज़र नहीं आते थे मगर प्रदर्शन का मौका वे भी कैसे
चूकते | उन्होंने भी ग्लास बजा कर घोषणा कर दी कि उन्होंने नयी कार ख़रीदी है
सो अगली पार्टी उनके घर | तालियाँ........लोगों ने तहे दिल से उनका आमंत्रण
स्वीकार कर लिया | कोने में अलबत्ता कोई फुसफुसा रहा था......लोन पटाते पटाते लुट
जाएगा.....फैक्ट्री भी तो बंद होने की कगार पर है |
याने अपने उत्पाद का प्रचार सब करते हैं | जायज़ है ऐसा करना, क्यूंकि यदि अपने प्रोडक्ट पर आपका खुद भरोसा नहीं होगा तो कोई दूसरा क्यूँ करेगा | इसी प्रचार प्रसार के तहत प्रदर्शनियां भी लगाई जाती हैं ,तो साहब वो भी जायज़ है | अपनी बनायी चीज़ सबको अच्छी ही लगती है, धृतराष्ट्र को भी दुर्योधन और दु:शासन हीरा लगते थे | हर सफल अभिनेता या अभिनेत्री अपनी संतान को हिट करने के लिए करोड़ों रूपए फूंक डालते हैं ये जानते हुए भी कि उसे एक्टिंग का ‘A’ भी नहीं आता....
ऐसा ही हाल कवियों और लेखकों का है......अपनी हर कृति उन्हें नोबेल पुरस्कार के स्तर की लगती है और महफ़िल सजी नहीं कि वे मंच पर कब्ज़ा कर लेते हैं , भले ही वहां अंडे-टमाटरों से स्वागत हो...
ऐसे उदहारण आपको घर घर , हर गली कूचे नुक्कड़ों पर ,राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देखने को मिलेंगे | तो आप भी गर्व से प्रदर्शनी लगाइए....सबके सुर से सुर मिलाइए, गाइए ......” ये देखने की चीज़ है , हमारा दिलरुबा......ताली हो.....”
याने अपने उत्पाद का प्रचार सब करते हैं | जायज़ है ऐसा करना, क्यूंकि यदि अपने प्रोडक्ट पर आपका खुद भरोसा नहीं होगा तो कोई दूसरा क्यूँ करेगा | इसी प्रचार प्रसार के तहत प्रदर्शनियां भी लगाई जाती हैं ,तो साहब वो भी जायज़ है | अपनी बनायी चीज़ सबको अच्छी ही लगती है, धृतराष्ट्र को भी दुर्योधन और दु:शासन हीरा लगते थे | हर सफल अभिनेता या अभिनेत्री अपनी संतान को हिट करने के लिए करोड़ों रूपए फूंक डालते हैं ये जानते हुए भी कि उसे एक्टिंग का ‘A’ भी नहीं आता....
ऐसा ही हाल कवियों और लेखकों का है......अपनी हर कृति उन्हें नोबेल पुरस्कार के स्तर की लगती है और महफ़िल सजी नहीं कि वे मंच पर कब्ज़ा कर लेते हैं , भले ही वहां अंडे-टमाटरों से स्वागत हो...
ऐसे उदहारण आपको घर घर , हर गली कूचे नुक्कड़ों पर ,राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देखने को मिलेंगे | तो आप भी गर्व से प्रदर्शनी लगाइए....सबके सुर से सुर मिलाइए, गाइए ......” ये देखने की चीज़ है , हमारा दिलरुबा......ताली हो.....”
अनुलता राज नायर
भोपालhttp://epaper.bhaskar.com/bhopal/120/19052014/mpcg/1/
अब बच्चे भी "प्रोडक्ट " बन गए है जिसकी मार्केटिंग में माँ -बाप लगे रहते है..... अच्छा व्यंग .....
ReplyDelete.
.
वाह बहुत खूब लिखा है व्यँग
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रयास ।
हाँ किसी से कहियेगा नहीं
मुझे भी ऐसा ही महसूस होता है
जब कुछ भी कहीं भी
अपना लिखा हुआ
सामने से दिखता है :)
:-) :-) हम भी कौन सा मंगल ग्रह से आये हैं.....इसी दुनिया के बन्दे हैं...:-)
Deletevaah .........anuji vyang ka andaj bhi nirala hai ...........
ReplyDeleteबहुत सुंदर व्यंग ...!
ReplyDeleteRECENT POST - प्यारी सजनी
कुछ लोगों को शौक होता है , अपने मूँह मियां मिट्ठू बनने का !
ReplyDeleteबढिया प्रयास है !
मार्केटिंग का ज़माना है ... अब क्या करें माँ बाप भी ...
ReplyDeleteव्यंग्य लिखने का नियमित प्रयास करें, निखार आएगा।
ReplyDeleteबधाई ;-)
मजेदार ...
ReplyDeleteहाहाहा ... मेरे प्रोडक्ट की मार्केटिंग .... मेरे ही प्रयासों द्वारा ...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया यशोदा.............
ReplyDeleteअपने मियाँ मिट्ठू...हर एक में कलाकार छिपा होता है...माँ -बाप को तो अपना बेटा मोजार्ट ही नज़र आता है...
ReplyDeleteअच्छा लगा देखकर की तुम हर विधा में निपुण होती जा रही हो...बहोत खूब.....यू आर रियली एन इंस्पिरेशन
ReplyDeleteकरारा व्यंग्य! दिखावे की इस दुनियां में ऐसे मंज़र अब आम होने लगे हैं :-)
ReplyDeleteआज की सही और जीवन्त तस्वीर । प्रदर्शन पर ही निर्भर है कि कौन कितना आगे है । इस प्रतिस्पर्धा में बचपन का किस तरह कचूमर बन रहा है इसे महत्त्वाकांक्षी माता पिता कहाँ जानते या मानते हैं । बहुत बढिया व्यंग्य अनु जी ।
ReplyDeleteवाह…शानदार व्यंग .... बधाई हो
ReplyDeleteसिलसिला चलता रहे ...
वाह, अनु जी, आपका पहला प्रयास ही शोले की तरह हिट रहा!
ReplyDeleteआपको बहुत-बहुत बधाई ....
आपके कलम की धार बनी रहे !
क्या बात है बहुत ही जबरदस्त व्यंग। पढने की चीज़ है अनू जी की ये पोस्ट।
ReplyDeleteबढ़िया लिखा..
ReplyDeleteइसे आगे बढ़ाओ...हमें तो भई तुम्हारी हर विधा का लुत्फ़ उठाना हैः)
सस्नेह
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (20-05-2014) को "जिम्मेदारी निभाना होगा" (चर्चा मंच-1618) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन धरती को बचाओ - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत ही बढ़ियाँ व्यंग है अनु जी...
ReplyDeleteशुभकामनायें...
:-)
शानदार व्यंग्य बधाई अनु
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग , बढिया लिखा भी हैं , आपके लेखन में जादू हैं अनु जी धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
Samaj ka aaina hoti hai vyang,aur aapko iske liye bahut bahut badhai...Anulata ji
ReplyDeleteEk khoosurart vyang... iski gehrai ko samajhna hum sab k liye bohot zaruri he...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रहा आपका पहला व्यंग
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
एकदम नोबेल पुरस्कार पाने योग्य रचना है. और ये अच्छा है कि आप ख़ुद नहीं कह रही हैं, मैं कह रहा हूँ यानि कोई दूसरा. व्यंग्य की धार ऐसी तेज़ की लैपटॉप को बेड पर रखकर पढना पड़ा, दर था कहीं हाथ न तराश ले यह रचना. (मज़ाक)
ReplyDeleteख़ैर, इस तरह की पार्टियों का सच. बहुत ही अच्छा लघु-व्यंग्य!! बधाई!!
बेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया (नई ऑडियो रिकार्डिंग)
सटीक सधा हुआ व्यंग .......
ReplyDeleteवाह !!! वाकई ऐसा ही होता है, शालीनता से
ReplyDeleteतीखा कटाक्ष ----
बढ़िया व्यंग्य
बधाई ----
आग्रह है---
नीम कड़वी ही भली-
क्या बात है .......बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteअब व्यंग्य भी। । कुछ तो छोड़ दो :) बढ़िया लिखा है वैसे।
ReplyDeleteBest of luck for next Vyang.
ReplyDelete:):) आज कल तो बच्चे के पैदा होने से पहले ही मार्केटिंग शुरू हो जाती है :) बढ़िया व्यंग्य
ReplyDelete