एक शोख़ नज़्म
फिसल कर मेरी कलम से
बिखर गयी
धूसर आकाश में !
भीग गया हर लफ्ज़
बादलों के हल्के स्पर्श से...
और वो बन गयी
एक सीली उदास नज़्म!
मेरी हर नज़्म
नतीजा है
मेरी लापरवाहियों का !
सिर्फ तुम्हारे प्रेम पर लिखी नज़्में
होशियारी से लिखे गए
बेमायना अल्फाज़ों का ढेर हैं !!
~अनुलता ~
फिसल कर मेरी कलम से
बिखर गयी
धूसर आकाश में !
भीग गया हर लफ्ज़
बादलों के हल्के स्पर्श से...
और वो बन गयी
एक सीली उदास नज़्म!
मेरी हर नज़्म
नतीजा है
मेरी लापरवाहियों का !
सिर्फ तुम्हारे प्रेम पर लिखी नज़्में
होशियारी से लिखे गए
बेमायना अल्फाज़ों का ढेर हैं !!
~अनुलता ~
बादलों के हल्के स्पर्श से...
ReplyDeleteऔर वो बन गयी
एक सीली उदास नज़्म!
....कमाल कर दिया उत्कृष्ट भाव संयोजन से सजी बेहतरीन भावाभिव्यक्ति।
मेरी हर नज़्म
ReplyDeleteनतीजा है
मेरी लापरवाहियों का !
....कुछ पंक्तियों में कितना कुछ है इन लफ़्ज़ों
आपके अल्फाज़ों का ढेर हमें ढेर कर जाता है .... हमेशा की तरह सुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteखूबसूरत लापरवाहियाँ....
ReplyDeleteअच्छा है , प्रेम को मायने मिले .
ReplyDeleteउदास होकर भी पार उतर गए,
ReplyDeleteसमझदार लफ्ज़मगर ... बेमानी हुए ...
~अनिता <3
इन लापरवाहियों पर कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा!!
ReplyDeleteबहुत ख़ूब!!
बेमायना अल्फाज़ों से ही बन गई एक खूबसूरत नज्म.
ReplyDeleteसुंदर अहसास !
अति सुन्दर.
ReplyDeleteसिर्फ तुम्हारे प्रेम पर लिखी नज़्में
ReplyDeleteहोशियारी से लिखे गए
बेमायना अल्फाज़ों का ढेर हैं !!
...वाह...क्या बात है...बहुत सुन्दर...
प्यार में होशियारी नही ,गुस्ताखी हो जाती है ...जो जायज़ है :-)
ReplyDeleteकमाल की नज़्म
ReplyDeleteयह शोख़ नज़्म वाकई शोख़ है |बहुत सुन्दर |
ReplyDeletedil ko chhoo liya aapki is abhiwayakti ne .......
ReplyDeleteखुबसूरत भावो का सुन्दर नज्म.. बहुत खूब..
ReplyDeleteबहुत बहुत प्यारी रचना अनु,
ReplyDeleteमन को छू गयी !
भीग गया हर लफ्ज़
बादलों के हल्के स्पर्श से...
और वो बन गयी
एक सीली उदास नज़्म!
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ है !
बेहतरीन लापरवाही जमा कर लिखे शब्दों पर भारी पड़ी !
ReplyDeleteउदास नज़्म बेपरवाही का नतीज़ा...
ReplyDeleteप्रेम की नज़्म ...
सिर्फ तुम्हारे प्रेम पर लिखी नज़्में
होशियारी से लिखे गए
बेमायना अल्फाज़ों का ढेर हैं !!
अब क्या कहूँ... कैसी नज़्म लिखो...
बहुत खूब, बधाई.
वाह .. क्या बात है... सच पूछो तो असल नज़्म तो वही है अल्हड सी ... जो बिखर गई स्वतः ही आकाश में ... सीली सीली सी ...
ReplyDeleteshbdon ki jadoogiri....umda! :)
ReplyDeleteएक सीली उदास नज़्म!
ReplyDeleteपर बेहद खूबसूरत ....
सिर्फ तुम्हारे प्रेम पर लिखी नज़्में
ReplyDeleteहोशियारी से लिखे गए
बेमायना अल्फाज़ों का ढेर हैं !!
Bahut sundar :-)
सुंदर ......लापरवाही से लिख डाला नज़मों में उन्मुक्त प्रेम ...!!कभी भीगा ...कभी सीला .....!!सुंदर अभिव्यक्ति अनु ...!!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबेमायना अलफ़ाज़ ?? नहीं नहीं ...हर हर्फ़ खूबसूरत है.:)
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत नज्म .. एक एक शब्द खूबसूरत.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत नज्म ....!!
ReplyDeleteएक अलग सोच की कविता
ReplyDeleteसुंदर रचना .
ReplyDeleteबरकरार रहे शोख़ी, मायूसी तो मुफ्त मिला करती है।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत
ReplyDeleteवाह ... क्या बात है लापरवाह होकर भी लाजवाब कर जाती है कई बार जो, कुछ ऐसी ही है ये नज्म भी
ReplyDelete
ReplyDeleteवाह !! बहुत सुंदर
उत्कृष्ट
बधाई ----
आग्रह है--
वाह !! बसंत--------
सिर्फ तुम्हारे प्रेम पर लिखी नज़्में
ReplyDeleteहोशियारी से लिखे गए
बेमायना अल्फाज़ों का ढेर हैं !!
क्या बात है..अद्भुत अनुजी।।।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसीली सी ये नज़्म
ReplyDeleteभीगे भीगे से एहसास
लगता है आज
तेरे प्रेम का आसमां
खुल के बरसा है ........
बहुत खूबसूरत रचना
बहुत खूबसूरत ....
ReplyDeleteमेरी हर नज़्म
नतीजा है
मेरी लापरवाहियों का !
Gahan...
ReplyDelete