तुम्हारे और मेरे बीच अगर कुछ होगा
तो वो सिर्फ प्रेम होगा
हमारी हथेलियों पर
हर पल अंकुरित होता प्रेम
स्पर्श की ऊष्मा से....
और हमारे इर्द गिर्द फ़ैली हों
बेचैनियाँ,
हमें एक दूसरे की ओर धकेलती हुई !
किसी और को
करीब आने की नहीं होगी इजाज़त
बस एक दो जुगनू और कुछ तितलियाँ
सच मानो
बड़ी ज़िद्द की है उन्होंने....
हाँ! एक महीन अदृश्य पर्दा होगा
तुम्हारे और मेरे बीच,
कि छिपे रहें मेरे गम
कि तुम्हारी खुशियों को नज़र न लगे उनकी |
तो फिर ये तय हुआ कि
हमारे बीच अगर कुछ होगा
तो वो सिर्फ प्रेम होगा
या होगा एक पागलपन
या फिर दर्द
प्रेम के न होने का !
(तुमने क्या तय किया कहो न ?? )
~अनुलता ~
तो वो सिर्फ प्रेम होगा
हमारी हथेलियों पर
हर पल अंकुरित होता प्रेम
स्पर्श की ऊष्मा से....
और हमारे इर्द गिर्द फ़ैली हों
बेचैनियाँ,
हमें एक दूसरे की ओर धकेलती हुई !
किसी और को
करीब आने की नहीं होगी इजाज़त
बस एक दो जुगनू और कुछ तितलियाँ
सच मानो
बड़ी ज़िद्द की है उन्होंने....
हाँ! एक महीन अदृश्य पर्दा होगा
तुम्हारे और मेरे बीच,
कि छिपे रहें मेरे गम
कि तुम्हारी खुशियों को नज़र न लगे उनकी |
तो फिर ये तय हुआ कि
हमारे बीच अगर कुछ होगा
तो वो सिर्फ प्रेम होगा
या होगा एक पागलपन
या फिर दर्द
प्रेम के न होने का !
(तुमने क्या तय किया कहो न ?? )
~अनुलता ~
लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे
ReplyDeleteअब भी दिलकश है तेरा हुस्न मगर क्या कीजे!
और भी दुख हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ऐसे में प्रेम के अलावा और कुछ हो भी कैसे सकता है...क्यूंकि दूरियाँ भी तो प्रेम को ही बढ़ा देती है। तो प्रेम का होना तो तय है चाहे दूर रहें या पास ...जैस हम तुम...कहो है की नहीं :-)
ReplyDelete"या प्रेम होगा या पागलपन या फिर दर्द
ReplyDeleteप्रेम के न होने का "
वाह ...बहुत सुंदर
प्यारे प्यारे एहसास और ये शब्द ... अब क्या कहेगा कोई :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (03-12-2013) की 1450वीं में मंगलवारीय चर्चा --१४५० -घर की इज्जत बेंच,किसी के घर का पानी भरते हैं में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शास्त्री जी.
Deleteकिसी और को
ReplyDeleteकरीब आने की नहीं होगी इजाज़त
बस एक दो जुगनू और कुछ तितलियाँ
सच मानो
बड़ी ज़िद्द की है उन्होंने....
कोमल मनमोहक भाव बहुत सुन्दर
या प्रेम होगा नहीं तो नहीं होने का दर्द !
ReplyDeleteयाद आ रहा है कि जब किसी को भुलाया तो कैसे भुलाया , याद था जो , उसे ही तो !
एक महीन अदृश्य पर्दा होगा
ReplyDeleteतुम्हारे और मेरे बीच,
कि छिपे रहें मेरे गम
कि तुम्हारी खुशियों को नज़र न लगे उनकी |.. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ..
गहन अभिव्यक्ति …। प्रेम है तभी तो दर्द है ,दर्द भी तो प्रेम का एक स्वरुप है …। सुंदर शब्द …सुन्दर भाव
ReplyDeleteदोनों में से कोई भी रहे .... रिश्ता तो बना रहेगा ....
ReplyDeletedi aaj apki is kavita ney rula diya .....luved to read
ReplyDeleteपर प्रेम के बीच तय रास्ते तुम्हारे !
ReplyDeleteतो क्या किया तय - मैं तो प्रतीक्षित प्रतीक्षा हूँ
Khoobsoorat prem...
ReplyDeleteesa prem sabko nasib ho :)
तो फिर ये तय हुआ कि
ReplyDeleteहमारे बीच अगर कुछ होगा
तो वो सिर्फ प्रेम होगा
या होगा एक पागलपन
या फिर दर्द
प्रेम के न होने का
बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.
रामराम.
Just like unconditional and eternal love:)
ReplyDeleteमहीन भावों को सुंदरता से उकेरा है..
ReplyDeleteमहीन भावों को सुंदरता से उकेरा है..
ReplyDeleteप्रेम का अनुबंध .. जो सिर्फ दर्द का होगा ... उसके न होने से ...
ReplyDeleteबहुत ही गहराई से शब्दों को अर्थ में पिरोया है ...
The way you express emotions in your poetry is simply mesmerizing.. In fact makes the love more lovable and sublime...<3
ReplyDelete.
But one thing... When the love and pure love sprouts between them, then why the condition of TUMHARI KHUSHIYON KO MERE GHAM KI NAZAR NA LAG JAYE.. Now the GHM m KHUSHI are to be shared by both.. Even otherwise a PAAGAL or PREMI can't differentiate between Khushi n Gham!! Hai na??
सच है दादा कि प्रेमी गम और खुशियाँ दोनों बांटते हैं मगर यहाँ एक तरफ़ा मत है न ....गम देना नहीं चाहता प्रेमी :-) thanks for the sweet comment !!
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteअनूठापन है इस रचना में !! मंगलकामनाएं !!
ReplyDeleteहाँ! एक महीन अदृश्य पर्दा होगा
ReplyDeleteतुम्हारे और मेरे बीच....
yahi sach hai..
दोनों तरफ से तय है - बस प्रेम ही प्रेम. बहुत प्यारी रचना, बधाई.
ReplyDeleteमनमोहक .........
ReplyDelete
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना अनु, !
एक महीन अदृश्य पर्दा होगा
ReplyDeleteतुम्हारे और मेरे बीच,
कि छिपे रहें मेरे गम
कि तुम्हारी खुशियों को नज़र न लगे उनकी |............ बहुत सुन्दर
amazingly impressive .............extraordinarily wonderful blog ....plz do visit my new post : http://swapniljewels.blogspot.in/2013/12/blog-post.html
ReplyDeleteप्यारे से अहसास लिए बहुत ही सुन्दर प्यारी रचना..
ReplyDelete:-)
वाह.......
ReplyDeletemind blowing...superb as always :)
ReplyDeleteसुखद अहसास लिए बहुत ही प्यारी रचना..अनु..
ReplyDeleteतो फिर ये तय हुआ कि
ReplyDeleteहमारे बीच अगर कुछ होगा
तो वो सिर्फ प्रेम होगा
या होगा एक पागलपन
या फिर दर्द
प्रेम के न होने का !
(तुमने क्या तय किया कहो न ?? )
शाश्वत प्रश्न....बहुत सुन्दर संवेदनशील रचना ...
जी हमने तो पागलपन तय किया है :):) बहुत सुंदर रचना ....... प्रेमपगी
ReplyDeleteआपसे यही उम्मीद थी दी :-)
Deleteवाह... उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteतो फिर ये तय हुआ कि
ReplyDeleteहमारे बीच अगर कुछ होगा
तो वो सिर्फ प्रेम होगा
या होगा एक पागलपन
या फिर दर्द
प्रेम के न होने का !
बहुत सुंदर.
हाँ! एक महीन अदृश्य पर्दा होगा
ReplyDeleteतुम्हारे और मेरे बीच,
कि छिपे रहें मेरे गम
कि तुम्हारी खुशियों को नज़र न लगे उनकी
अनु जी.. खूबसूरत रचना.. :)
सिर्फ प्रेम ही शाश्वत है.. बाक़ी सब निरर्थक.. ये पंक्तियाँ दिल छू गयीं...
तो फिर ये तय हुआ कि
ReplyDeleteहमारे बीच अगर कुछ होगा
तो वो सिर्फ प्रेम होगा
या होगा एक पागलपन
या फिर दर्द
प्रेम के न होने का !
....वाह! बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण प्रस्तुति....
बेहद खूबसूरत ........ हर शब्द प्रेम में भीगा हुआ
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteanu ji apka koi jabab nahi ........behad shaktishali rachana ...abhar
ReplyDelete☆★☆★☆
तो फिर ये तय हुआ कि
हमारे बीच अगर कुछ होगा
तो वो सिर्फ प्रेम होगा
या होगा एक पागलपन
या फिर दर्द
प्रेम के न होने का !
वाह…!
(तुमने क्या तय किया कहो न ?? )
बहुत सुंदर अनुलता जी
आपकी कविताएं भीतर कहीं छूती अवश्य हैं ...
शायद इसलिए कि आप डूब कर लिखती हैं !
:)
सुंदर श्रेष्ठ सृजन हेतु
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार