तुम्हारे लिए प्यार था
ज़मीं से फलक तक साथ चलने का
वादा
और मैं खेत की मेड़ों पर हाथ
थामे चलने को
प्यार कहती रही....
तुम चाँद तारे तोड़ कर
दामन में टांकने की बात को
प्यार कहते रहे
मैं तारों भरे आसमां तले
बेवजह हँसने और
बतियाने को
प्यार समझती रही….
तुम सारी दुनिया की सैर
करवाने को
प्यार जताना कहते,
मेरे लिए तो पास के मंदिर तक जाकर
संग संग दिया जलाना प्यार
था...
तुम्हें मोमबत्ती की रौशनी
में
किसी आलीशान होटल में
लज़ीज़ खाना, प्यार लगता था
मुझे रसोई में साथ बैठ,एक थाली से
एक दूजे को
निवाले खिलने में प्यार
दिखा...
शहंशाही प्यार था
तुम्हारा...बेशक ताजमहल सा तोहफा देता... मौत के बाद भी.
मगर मेरी चाहतें तो थी छोटी
छोटी
कच्ची-पक्की
खट्टी मीठी.......चटपटी
ठीक ही कहते थे तुम
शायद पागल ही थी मैं.
अनु
(खामोश ख़ामोशी और हम से....)
वाह ...कितना सही लिखा है आपने ...कोई छोटी छोटी बातों में प्यार तलाश लेता है..तो किसी के लिए सारी कायनात भी छोटी पड़ जाती है..
ReplyDeleteअनु जी -- मन को भारी कर देने वाली रचना-
ReplyDeleteमैं तारों भरे आसमां तले
ReplyDeleteबेवजह हँसने और बतियाने को
प्यार समझती रही….
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एक सहज सौम्य सी रचना
प्यार ... छोटी छोटी चाहतें ही हैं
ReplyDeleteSundar Rachna
ReplyDeleteछोटी छोटी
ReplyDeleteकच्ची-पक्की
खट्टी मीठी.......चटपटी
चाहतों को ही प्यार कहते हैं।
बाकि तो सब दिखावा है।
सुन्दर रचना।
अनु बहन!! मुझे तो ऐसा लगा कि इस पूरी कविता में ज़मीं से लेकर आसमान तक का विस्तार था.. दिए से मोमबत्ती तक रोशनी की लकीर थी... समझ, विश्वास, भरोसा, वफ़ा, यकीन यदि हो तो यह प्रेम का विस्तार बन जाता, न हो तो गहरी खाई!!
ReplyDeleteबहुत ही संवेदनशील कविता, बहुत ही सहज अभिव्यक्ति!!
प्यार अपना अपना, ख़याल अपना अपना .
ReplyDeleteसच.. हम औरतें पागल ही होती हैं :)
lovely... first time here... like what i read ..
ReplyDeletetc and have a nice day
सच ही तो है हमारे लिए छोटी-छोटी खुशियाँ ताजमहल से कहीं ज्यादा मायने रखती हैं... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteप्यार में सरल होता है....
ReplyDelete... जब प्यार के मायने न समझ पाएं,वही प्यार है ।
ReplyDeleteमासूम सी खुबसूरत चाहत ही प्यार है..बहुत सुन्दर..अनु
ReplyDeleteमुझे आपसे पूर्ण सहानुभूति है, क्या कीजिएगा, विवाहोपरान्त प्रथम वर्ष का प्रेम जीवनपर्यंत नहीं रह पाता, यही रीति है
ReplyDeleteसादर
मनोज
"as is where is" type true love .
ReplyDeleteexcellent .
खुबसूरत चाहत ही प्यार है,,,संवेदन सील रचना,,,
ReplyDeleterecent post: वह सुनयना थी,
♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
* मैं खेत की मेड़ों पर हाथ थामे चलने को
प्यार कहती रही....
* मैं तारों भरे आसमां तले
बेवजह हँसने और बतियाने को
प्यार समझती रही…
* मेरे लिए तो पास के मंदिर तक जाकर
संग संग दिया जलाना प्यार था...
* मुझे रसोई में साथ बैठ, एक थाली से
एक दूजे को निवाले खिलने में प्यार दिखा...
आऽऽहा हाऽऽऽ... !
सच्चा प्यार यही तो है !!
आदरणीया अनुलता जी
सुंदर भाव ! सुंदर शब्द !
ख़ूबसूरत रचना !
बधाई एवं आभार !
ऐसे ही सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन करती रहें …
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
सुन्दर भाव लिए है कविता.
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनाएँ अनु.
शहंशाही प्यार था तुम्हारा...बेशक ताजमहल सा तोहफा देता... मौत के बाद भी.
ReplyDeleteमगर मेरी चाहतें तो थी छोटी छोटी
कच्ची-पक्की
खट्टी मीठी.......चटपटी
ठीक ही कहते थे तुम
शायद पागल ही थी मैं.(NEW POST-- CHEHARA AUR KHICHADI)
अपनी-अपनी आरजू...अपनी -अपनी जुस्तजू..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और सरल सहज परिभाषा दी है प्यार की आपने |उम्दा रचना के लिए बधाई |
ReplyDeleteआशा
सही है , प्यार परिभाषित हुआ . बढ़िया
ReplyDeleteअनुलता जी ,
ReplyDeleteआपकी प्यार की परिभाषा पढ़ी !
आपने बिलकुल सटीक कहा है ,एक औरत सिर्फ भावना चाहती है दिल से है ना !
लेकिन पुरुष भावना को नहीं समझ पाता !
एक महिला को सिर्फ साथ सच्चे साथ की ही चाहत होती है ,लेकिन हम पुरुष दुनिया की बाकी सारी चीजें अपने साथी को देने के लिए तैयार रहते हैं ,सिवाय अपने गुणात्मक साथ के ! अब आप चाहे इसे हारमोंस का प्रभाव कहें या कुछ और ,लेकिन हकीकत यही है ,है ना ?
आपको पुनः साधुवाद , अच्छी कविता लिखी है आपने
डॉ नीरज
http://achhibatein.blogspot.in/
वाह..सुन्दर शब्द. इसे बस सुन्दर कविता कहना कम होगा. आपने परिभाषा ही बयाँ कर दी. सच्चे प्यार की और बनावटी प्यार की.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्यार भरी रचना .......
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना, अनुलताजी. दरअसल "प्यार की परिभाषा" सब की नज़र में अलग अलग होती है. लेकिन सच्चे प्यार का वर्णन तो छोटी छोटी बातों में से झलक जाता है. बेहद सरल और बहुत ही प्यारी है यह "प्यार की परिभाषा"
ReplyDeleteप्यार एक बेहद खूबसूरत अहसास है ,जो जितना कोमल और सहज हो उतना ही आकर्षक होता है .... बेहद खूबसूरत , नाजुक सी रचना .
ReplyDeleteहर छोटी छोटी चीजों में ...हर एक पल में मोहब्बत बसी है .. बहुत खूब
ReplyDeleterecent poem : मायने बदल गऐ
मगर मेरी चाहतें तो थी छोटी छोटी
ReplyDeleteकच्ची-पक्की
खट्टी मीठी.......चटपटी
....
............. अनंत बस अनंत
दोनों तरह का प्यार प्यार ही है,
ReplyDeleteबस जतलाने का तरीका अलग अलग है
बहुत प्यारी रचना !!
किसी के लिए प्यार दिखाने की चीज़ होती है, किसी के लिए बस साथ जीना ही प्यार है।
ReplyDeleteबहुत अच्छे से अभिव्यक्त हुई हैं,सबके दिल की बातें
बहुत ही प्यारी दिल को छू लेनेवाली रचना...
ReplyDeleteमेरी सोच को शब्द दे दिया है आपने...
वो होटल वाली बात
मंदिर के पास घूमना .....
सुपर्ब .....
:-)
प्यार की परिभाषा सबकी अलग अलग होती है !
ReplyDeletesuperb expression indeed...:-)
ReplyDeleteShayad har koi in ehsaason mein khud ko kahin na kahin jod sakta hai...komal ehsaas...:-)
बहुत सुन्दर ...."शहंशाही प्यार था तुम्हारा...बेशक ताजमहल सा तोहफा देता... मौत के बाद भी".
ReplyDeleteप्यार में छोटी चाहतें भी दिल को अंदर तक छू जाती हैं.
ReplyDeleteअत्यंत भावनात्मक कविता.
काफी देर से पहुंचा मै ...........पर आपकी इन लाइनो ने कुछ यादे ताजा कर दी
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteवाह जी बढ़िया. छोटी सी सुंदर बात.
ReplyDeleteबहुत संवेदनशील रचना ,
ReplyDeleteसादर
आपकी रचना सोये को नीद से जगाने वाली साबित हुयी कम से कम मेरे सन्दर्भ में
ReplyDeleteफर्क तो बस सोच का ही रहा ... प्यार तो फिर भी एक था .. सच्चा .. दिल का दिल से ...
ReplyDeleteआपकी रचना सोते हुए को नीद से जगाने वाली साबित हुयी . कम से कम मेरे सन्दर्भ में
ReplyDeleteलाजवाब....मन को छु गई
ReplyDelete"दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा"
ReplyDeleteसुन्दर कविता !!
छोटी-छोटी बातों में कितना ढेर सारा प्यार बसा होता है.. :) मगर प्यार भी अजीब ही है... कभी आँचल में समाता ही नहीं...~ सीमाहीन.... :)
ReplyDelete<3
प्यार की परिभाषा बहुत सही ....बहुत दिल को भायी यह
ReplyDeleteमैं तारों भरे आसमां तले
ReplyDeleteबेवजह हँसने और बतियाने को
प्यार समझती रही….
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शायद पागल ही थी मैं.
वास्तविकता यही है
सच प्यार की समझने में एक उम्र गुजर जाती हैं ..फिर भी ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..
प्यार की परिभाषा...
ReplyDeleteसबकी अपनी अपनी...
किसी की छोटी छोटी चाहतें....
और किसी की बड़ी बड़ी बातें....!
सुन्दर....अति सुन्दर....
सबका अलग अलग अंदाज़ होता है प्यार का .... लेकिन कहीं प्यार का दिखावा भी होता है ।
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