हर रात कहता,
दर्दे-जुदाई है
नींद नहीं आती.............
और सुबह सुनाता कोई ख्वाब
जिसमे वो होता ...मैं होती.....
झूठा कहीं का!!!!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मेरे दिल के हर राज़
जान लेता.
शायद दिल के ताले की चाभी है उसके पास...
"मास्टर की" कहता खुद को...
तभी हो जाता, हर किसी दिल पर फिट!
चोर कहीं का!!!!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
वो मेरा है
वो चाँद है
सभी को लगता,
कि वो मेरा है......
चालबाज़ कहीं का!!!!!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कहता था
तुम अलग हो...
सबसे जुदा हो.
तभी रहती हूँ तन्हाइयों में,
सबसे जुदा........
कभी सच भी कहता था वो!!!!!!
-अनु
दर्दे-जुदाई है
नींद नहीं आती.............
और सुबह सुनाता कोई ख्वाब
जिसमे वो होता ...मैं होती.....
झूठा कहीं का!!!!!
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मेरे दिल के हर राज़
जान लेता.
शायद दिल के ताले की चाभी है उसके पास...
"मास्टर की" कहता खुद को...
तभी हो जाता, हर किसी दिल पर फिट!
चोर कहीं का!!!!!
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वो मेरा है
वो चाँद है
सभी को लगता,
कि वो मेरा है......
चालबाज़ कहीं का!!!!!
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कहता था
तुम अलग हो...
सबसे जुदा हो.
तभी रहती हूँ तन्हाइयों में,
सबसे जुदा........
कभी सच भी कहता था वो!!!!!!
-अनु
Simple words yet elegantly expressed
ReplyDeleteखट्टी-मीठी प्रेम chemistry प्रस्तुत करती सुन्दर रचना...
ReplyDeleteबहुत खूब .. नया अंदाज़.. नई शैली
ReplyDeleteझूठा, चोर , चालबाज बताने के बाद सच को स्वीकार किया...अब आपको क्या कहूँ अनु :))
ReplyDeleteसच्चा कहीं का :-)
ReplyDeleteमस्त !
kabhi kabhi mann '+' "-" hota rahta hai...achhe shabd diye bhawo ko...
ReplyDeleteछलिया का मनमोहक चित्रण ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ती ...
मुग्ध करता कवित्व...! सच्ची!
ReplyDeleteकि वो मेरा है......
ReplyDeleteचालबाज़ कहीं का!!!!!
sach me anu jee maza aa gaya padhkar.....aakhir chalchalkar usne aapke dil par sikka jama hi liya......
ऐसी बातों में सच का समावेश तो होता ही है। क्षणिकाओं ने गहरा अर्थ समेटा हुआ है।
ReplyDeleteकहता था
ReplyDeleteतुम अलग हो...
सबसे जुदा हो.
तभी रहती हूँ तन्हाइयों में,
सबसे जुदा........
कभी सच भी कहता था वो!!!!!!.... चलो कुछ तो सच्चाई हुई
सभी क्षणिकाएं गजब की अनुभूति दे रही हैं .... बहुत खूब
ReplyDeleteगंभीर चिंतन |
ReplyDeleteशीर्षक देखा तो सोचा की गुलेरी जी की प्रसिद्ध कहानी "उसने कहा था" के बारे में कुछ लिखा होगा . उसने जो भी कहा पुरे मनोयोग से कहा इसीलिए तो अंत में सफल रहा , छलिया ही सही . मन प्रफुल्लित हुआ .
ReplyDelete~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ReplyDeleteवो मेरा है
वो चाँद है
सभी को लगता,
कि वो मेरा है......
चालबाज़ कहीं का!!!
वाह!!!!!!बहुत सुंदर रचना,अच्छी प्रस्तुति........
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
प्रेम का नटखट सा किन्तु मीठा अहसास...वाह: अनु नया तेवर...बहुत खूब.....
ReplyDeleteशायद! वो सच्चा ही हो....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
really nice one..Congrats :)
ReplyDeleteऐसा सच ... जिसपे यकीन करना ज़रा मुश्किल था ... पर सच तो था
ReplyDeleteवाह, वाह!...वाह, वाह!....
ReplyDeleteवो मेरा है
वो चाँद है
सभी को लगता,
कि वो मेरा है......
चालबाज़ कहीं का!
...वह तो ऐसा ही है!....सुन्दर रचना!...आभार!
झूठा,चोर,चालबाज़....
ReplyDeleteफिर भी सच्चा है..
तभी तो तेरा है...!!
बहुत सुन्दर....
वो मेरा है
ReplyDeleteवो चाँद है
सभी को लगता,
कि वो मेरा है......
चालबाज़ कहीं का!!!!
:)))))
वाह!क्या लाइन्स हैं!
सादर
"वो मेरा है
ReplyDeleteवो चाँद है
सभी को लगता,
कि वो मेरा है......
चालबाज़ कहीं का!!"
वाह ! !, चालबाज़ भाव...सुन्दर...
one can keep this reading again and again and then again .....
ReplyDelete:-) surely an eye opener ??
Deleteबहुत खूब !!!!!! बहुत सुन्दर !!!!!!!!अनुजी .....
ReplyDeleteमाशाअल्लाह... क्या खूब कहा...
ReplyDeleteहर रात कहता,
दर्दे-जुदाई है
नींद नहीं आती.............
और सुबह सुनाता कोई ख्वाब
जिसमे वो होता ...मैं होती.....
झूठा कहीं का!!!!!
सभी क्षणिकाएं बहुत कोमल, मधुर और प्रेमपूर्ण. बधाई अनु जी.
बेहतरीन!!
ReplyDeletewah kuch hat ke likha :)
ReplyDeleteदिल को छूते अहसास वाली खूबसूरत लाइनें ।
ReplyDeletewah kya baat.....deep
ReplyDeleteबहुत सुंदर क्षणिकाएँ.
ReplyDeleteसुंदर शब्दमालिका।
ReplyDeleteअनछुए भाव।
अच्छी प्रस्तुति ....
ReplyDeleteअलग सा एक्सप्रेशन ....
ReplyDeleteशुभकामनायें !
कहता था
ReplyDeleteतुम अलग हो...
सबसे जुदा हो.
तभी रहती हूँ तन्हाइयों में,
सबसे जुदा........
कभी सच भी कहता था वो!
बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
बहुत खूब.......................
ReplyDeleteवह सब कुछ है...उसे कोई भी नाम दो उसे सब स्वीकार है...पाजी कहो तब भी वह राजी है...
ReplyDelete:) :) :)
ReplyDeleteमस्त!!!
Just how many more times do I read them Anu? Each time I end up wishing to read once again! I'm flabbergasted..and at a loss of words to appreciate..
ReplyDeleteApki rachna achchi lagi aur yeh jooth nahi hai :)
ReplyDeleteझूठा कहीं का!!!!!
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चोर कहीं का!!!!!
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चालबाज़ कहीं का!!!!!
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कामयाबी इन्हें ही क्यों मिलती है ?
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वाह बहुत खूब
ReplyDeletewah! padh kar bahut accha laga..........
ReplyDeletewah khya khoob likha hai apne
ReplyDelete