१- प्यार इन्द्रधनुष है-
जब है तो रंगीन
लुभावना...
मगर रहता कहाँ है टिक कर???
२-प्यार बेर है-
कभी खट्टा
कभी मीठा
अकसर कीड़े वाला
तभी ना शबरी ने चख चख कर खिलाए !!!
३-प्यार नारियल है-
जितना भीतर जाएँ
उतना मीठा और नर्म...
मगर बाहर से सख्त इतना कि भीतर जाएँ कैसे????
४-प्यार भगवान है-
मानों तो है,
न मानों तो नहीं....
दिखता मगर किसी को नहीं है.........
५-प्यार लॉटरी है-
कभी लगी
तो कभी नहीं...
यहाँ सारी गणनाएं फेल हैं.
६-प्यार एब्स्ट्रेक्ट पेंटिंग है-
जिसने किया वही समझा
बाकियों के लिए अर्थहीन/बकवास...
और कुछ समय बाद, जिसने किया उसके लिए भी अर्थहीन.....
७-प्यार ताजमहल है-
खूबसूरत
आलीशान
भीतर की मुर्दानगी दिखती कहाँ....
-अनु
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प्यार जीवन है, इर्द-गिर्द महकता है..दिखता नहीं..
ReplyDeleteतुरंती पर एडवांस में क्षमा
ReplyDeleteबरसात होनी चाहिए, छटा इन्द्रधनुषी जताए ।
मुलाक़ात होनी चाहिए, बेर-बेर क्यों बेर खाए ।
इक जुगाड़ होना चाहिए, नारियल पानी पिलाए ।
अपरम्पार होना चाहिए, तभी जाकर प्यार भाये ।
सौभाग्य होना चाहिए, लाटरी जो निकल आये ।
रंगीन सपने चाहिए, प्रभु तब पेंटिंग बनाए ।
खूबसूरती है साथ में, ताज फिर क्यूँकर बनाए ।।
good...good
Deleteमनो तो भगवन ....
ReplyDeleteन मनो तो पत्थर ...
प्रेम से पेज ...बहुत सुंदर भाव ...
शुभकामनायें अनु जी .
प्यार एब्स्ट्रेक्ट पेंटिंग है-
ReplyDeleteजिसने किया वही समझा
बाकियों के लिए अर्थहीन/बकवास...
और कुछ समय बाद, जिसने किया उसके लिए भी अर्थहीन.....
सभी क्षणिकाएं एक से बढ़ कर एक ... यह सबसे ज्यादा पसंद आई ...
प्यार के विभिन्न जायकों को शब्द देने में बहुत मेहनत की है आपने...!!!
ReplyDeleteगहरे विश्लेषित हुआ, सागर यहाँ अथाह।
ReplyDeleteजो डूबा वो पा गया, देव दरश की राह॥
नवरात्र के ४दिन की आपको बहुत बहुत सुभकामनाये माँ आपके सपनो को साकार करे
ReplyDeleteआप ने अपना कीमती वकत निकल के मेरे ब्लॉग पे आये इस के लिए तहे दिल से मैं आपका शुकर गुजर हु आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
मेरी एक नई मेरा बचपन
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: मेरा बचपन:
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/03/blog-post_23.html
दिनेश पारीक
बहुत सुन्दर विश्लेषण किया है आपने !!
ReplyDeleteप्रेम जीवन है..
ReplyDeleteइंद्रधनुष ,कभी बेर , श्रीफल
ReplyDeleteयह प्यार कभी भगवान है.
लाटरी, एब्स्ट्रेक्ट पेंटिंग
कभी ताज आलीशान है.
सुंदर परिभाषायें......
वह भाई भाई ||
Deleteवाह भाई भाई |
Deletebadhiya
Deleteप्यार में जो भी मिले उसे पी यार
ReplyDeleteपी सकते है इसको तभी करो प्यार.........
प्यार लॉटरी है-
ReplyDeleteकभी लगी
तो कभी नहीं...
यहाँ सारी गणनाएं फेल हैं.
:))))))
good one...
pyaar tends to infinity.... ha ha
प्यार की सुन्दर परिभाषाएं .
ReplyDeleteतीसरी सबसे बढ़िया लगी .
वाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,......
ReplyDeleteकाव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.
अनु जी आप ने प्यार के सुन्दर राह मिला दी ! सतरंगी इन्द्रधनुषी ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteप्यार ताजमहल है-
ReplyDeleteखूबसूरत
आलीशान
भीतर की मुर्दानगी दिखती कहाँ....
beautiful masha-allah
खेद है,इन कविताओं में सब है-सिवाए प्रेम के।
ReplyDeleteप्रेम को छिपकर रहने की आदत है राधारमण जी! खोजने से ही मिल पाता है ...
Deleteवही तो.......
Deleteसभी क्षणिकायें अच्छी लगीं...भिन्न-भिन्न रंग बिखेरती हुईं।
ReplyDeleteसल्फ़ी का पेड़ लगा दिया है, जाकर देख लिजियेगा।
मैं तो समझा था आपका नाम एक्स्प्रेशन जी है, मैने आपको इसी नाम से संबोधित किया है। यहाँ आकर पता चला कि आप का अनु है और आपके अन्दर परमाणु की शक्ति है। रहस्य मुझे आकर्षित करते हैं...सो आपके प्रोफ़ाइल फोटो और नाम ने आकर्षित किया।
लेकिन कितने भोलेपन से कह दिया आपने कि "इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........"
हूँ.... ऊँ.... मैं यहाँ पर आकर अटक गया हूँ। यह ..."इसे" पढ़ लेना इतना सरल है क्या? हर्फ़ से आगे ...हर्फ़ के अलावा ....बहुत कुछ है ...."अकल्ट".....इसकी लिपि बड़ी दुर्बोध है....ख़ुद को भी कहाँ समझ में आती है?
...और फिर जीवन का हिस्सा बन पाना...यह तो और भी मुश्किल है ....नहीं ...मुझे कुछ सोचना होगा .....अभी इतनी ज़ल्दी कोई निर्णय नहीं ....
take your time :-)
Deleteपहले अपने ब्लॉग को सल्फी से उतारें...हमारे कमेन्ट खाए जा रहा है...
सादर.
प्यार के बारे में १), २) और ५) नंबर वाली अवधारणाओं से सहमत नहीं.
ReplyDelete..प्यार के बारे में एक ही बात जानता हूँ कि यह लेन-देन का व्यापार नहीं है,यह स्वतः स्फूर्त होता है.सच्चा प्यार केवल आनंद देता है,कुछ चाहता या मांगता नहीं !
प्यार ही प्यार बेशुमार . प्यार के इतने रंग ,आपकी लेखनी के संग .सुँदर
ReplyDeleteप्यार भगवान है-
ReplyDeleteमानों तो है,
न मानों तो नहीं....
दिखता मगर किसी को नहीं है.........sach me
प्यार के विभिन्न रूप आपने दिखाए।
ReplyDeleteअंत में प्यार तो प्याए है ....
हूँ....प्यार की इतनी परिभाषाएँ पढ़कर दंग हूँ|
ReplyDelete४,५,६ बहुत अच्छी लगी|
This one made me read it again..and then one more time ...Smile inducing creation :)
ReplyDeleteप्यार हो जाये तो किस्मत.....
ReplyDeleteमिल जाये तो अदावत
न मिले तो हिमाकत
kyaa baat hai, Anu!! Ghazab!
ReplyDeleteNo.1,6 and 7 are The Best though..:)
मासूम से प्यार के इतने रूप ....वैसे प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो ......-:)
ReplyDeleteप्यार एक एहसास हैं ....अपने ही भीतर का ||
ReplyDeleteप्यार तो बस प्यार है अनु जी..दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास..आपने प्यार की बहुत ही सुन्दर परिभाषाएं दी हैं..
ReplyDeletePyar aapke shabdo main hai... bahut sundar, Anuji :)
ReplyDeletePyar ek ahsaas hai..! beautiful ~
ReplyDeleteप्यार बेर है-
ReplyDeleteकभी खट्टा
कभी मीठा
अकसर कीड़े वाला
तभी ना शबरी ने चख चख कर खिलाए !!!
सबसे खूबसूरत और सबसे गहरी |
सादर
-आकाश
Pyaar Tau Bas Pyaar hai..:)
ReplyDeleteBus pyar hi to he....sab kuch :)
ReplyDeletepyaar ko koi naam n do ...:) bahut sundar lagi yah prem panktiyaan
ReplyDeleteis arthheen abstract painting me kab samjhenge:))
ReplyDeletepyar ki shaandar paribhashayen:)
pyari pyari pyar bhari baat kahin behad sunder..... :-)
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरती से प्यार के रंगों को व्यक्त किया है अनु......
ReplyDeleteअजब है गज़ब है इसीलिए तो प्यार है
ReplyDeleteबहुत अच्छी हैं सारी क्षणिकाएं.
प्यार सिर्फ प्यार है .....
ReplyDeleteचाहे जिस रूप में मिले ...
उसकी दरकार है .....:)
सभी परिभाषाएं एक से बढ़ कर एक | मेरे लिए तो प्यार बस एक की आँखों में दूसरे के लिए थोड़ी नमी सी है |
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