इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Monday, August 13, 2012

ख़्वाबों का आना और जाना....

ख़्वाबों का आना
फिर चले जाना
एक दस्तूर है....

और इसे बा-काएदा
निभाते हैं ख्वाब..
आते हैं......चले जाते हैं.

इस दस्तूर को,
इस रिवाज़ को
तोड़ कर ये
ठहर क्यूँ नहीं जाते
कभी मेरी पलकों पर.....

गर ठहरें कुछ दिन
तो मुझे वक्त मिले
उन  ख़्वाबों को चुनने का,
उन्हें  सुलझा कर
सच के चरखे पर कातने का...

हां एक रोज ठहरा तो था...
पिछली रात का,
एक कसमसाया  सा ख्वाब...
ठहर  गया था
मेरी पलकों पर,
एक बूँद बन कर...

और सारा  दिन
आँखें भारी रहीं थीं...
और मन  भी.

शायद  अच्छा ही है
ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
ठहरते नहीं !!

-अनु

60 comments:

  1. शायद अच्छा ही है
    ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
    ठहरते नहीं !!
    बिल्‍कुल सच कहा ... आपने बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ...आभार

    ReplyDelete
  2. सच कहा अनु.
    .ख़्वाबों का आना फिर चले जाना
    एक दस्तूर है....पर कभी कभी कुछ ख़्वाबों को भ्रम बनाए रखने के लिए संजोए रखना भी जरूरी हो जाता है....बहुत सुन्दर भाव..शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  3. ख्वाब ठहर जाएँ तो तकलीफ देते हैं ... क्योंकि वो बस ख्वाब ही होते हैं असलियत नहीं ...
    भ्रम से जितना जल्दी निकल सके उतना अच्छा ...

    ReplyDelete
  4. very soft and subtle...beautifully expressed...

    ReplyDelete
  5. अगर ख्वाब ठहर जाते तो सब कुछ बहुत हसीं हो जाता :)

    Lovely.. :-)

    ReplyDelete
  6. आँखों में इक ख्वाब सजाना बहुत अच्छा,
    दिल में न उसे बसाना, और भी अच्छा!

    ReplyDelete
  7. शायद अच्छा ही है
    ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
    ठहरते नहीं !!
    jinke thahar jaate hain ख्वाब we apne saath-saath dusaron kaa bhi jivan sanvaar jaate hain .... !!

    ReplyDelete
  8. ख़्वाबों की दुनिया भी क्या खूब है.... मन राम जाए तो लगता है ख्वाब टूटे ही ना....

    और जो न रमे तो बैचेन कर जाते हैं ये ख्वाब...
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

    keep dreaming... :)

    ReplyDelete
  9. Beautiful and Touchy :)

    ReplyDelete
  10. वाह अनु जी बहुत खूब ,
    सपने नहीं अपने
    बहुत-२ बधाई इस सुन्दर रचना के लिए

    ReplyDelete
  11. शायद अच्छा ही है
    ख्वाब आते हैं, चले जाते हैं
    ठहरते नहीं !
    बहुत सुन्दर रचना ।

    ReplyDelete
  12. ख्वाबों को सजाने, सवारने और उसे हकीकत में ढालने की कला ही तो जीवन की चहलकदमी है.

    ReplyDelete
  13. खुबसूरत भाव |
    ख़्वाब बाँध लेंगे अगर, करें ख़्वाब न सैर |
    जीवन दुखमय भोगते, बिना ख़्वाब के गैर |
    बिना ख़्वाब के गैर, पैर पर चले कुल्हाड़ी |
    परिवर्तन अंधेर, बोर हो जाय अनाड़ी |
    खिलंदड़ा अंदाज, नहीं कुछ भी तुम बांधो |
    तरह तरह से साज, साज के सरगम साधो ||

    ReplyDelete
  14. ख़्वाबों का आना
    फिर चले जाना
    एक दस्तूर है....
    .........सुन्दर रचना ।

    ReplyDelete
  15. बहुत सही कहा अनु...
    जब ये ठहर जाएँगे तो ख्वाब कहाँ रह जाएँगे...
    इनका चले जाना ही अच्छा !!!
    सस्नेह

    ReplyDelete
  16. बहुत ही भावमय रचना .............सही कहा अनु जी ख्वाब का चले जाना ही अच्छा .....

    ReplyDelete
  17. ख्वाब देखना आसान है, पूरा करना मुश्किल ..
    और ये बोझिल नहीं रह जाएगी जब ख्वाब पूरे हो जाएँगे ...
    सुंदर प्रस्तुति !

    ReplyDelete

  18. हां एक रोज ठहरा तो था...
    पिछली रात का,
    एक कसमसाया सा ख्वाब...
    ठहर गया था
    मेरी पलकों पर,
    एक बूँद बन कर...भावनाओ की ओस में भीगी रचना मन तक पहुची

    ReplyDelete
  19. ख़्वाबों का आना
    फिर चले जाना
    एक दस्तूर है...
    इस दस्तूर को,
    इस रिवाज़ को
    तोड़ कर ये
    ठहर क्यूँ नहीं जाते
    कभी मेरी पलकों पर....
    वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

    ReplyDelete
  20. ख्वाब के ठहरने से सारा दिन आँखें भारी रहीं ..... अच्छा ही है कि नहीं टिकते ख्वाब .... बहुत खूबसूरती से लिखा है

    ReplyDelete
  21. ख़्वाबों का आना-जाना तो लगा ही रहता है। कई बार हम ख़ुद ही ख़ाब बुनने लगते हैं।

    ReplyDelete
  22. खाब आतें हैं ,मन हलका जातें हैं ,अतृप्त वासना ,भर जातें हैं,रीते प्याले ,खाब निराले आते जाते ,रहतें हैं बतियाते ....खाब ठहर गये फिर खाबों का क्या होगा ...उर्दू शायरी खाब कहती है ख़्वाब को ,बढिया रचना है बांधती है मन की गागर में उड़ेल जाति है इत्ते शब्द ... ram ram bhai
    मंगलवार, 14 अगस्त 2012
    क्या है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा की बुनियाद ?
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    ReplyDelete
  23. ख्वाबों की दुनिया ही ऐसी है ,जहाँ जाने के बाद आने का मन नही करता.
    और जो उस दुनिया में ठहर जाये वो लौटकर दुबारा वापस आ नही सकता.

    शायद अच्छा ही है
    ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
    ठहरते नहीं !!

    उपरोक्त लाईने बिलकुल सही हैं.एक लाइन में बहुत बड़ी हकीकत लिए.




    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    ReplyDelete
  24. ख्वाब इतने भारी हैं तो आकर चले जाना ही ठीक !
    खूबसूरत अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  25. ख्वाब यदि ठहर जाएँ तो सच होकर दुःख दे सकते हैं . इसलिए बस देखने में ही भला है .
    सुन्दर रचना .

    ReplyDelete
  26. सचमुच अच्छा है ख्वाबों का आना और चले जाना, ठहर जाते तो नए ख्वाब कैसे बुनते, उलझ ना जाते... बहुत सुन्दर अनु जी

    ReplyDelete
  27. वाह! अनु जी,बहुत सुन्दर लिखा है आपने.
    जिंदगी एक ख्वाब ही है.

    भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार.

    ReplyDelete

  28. गर ठहरें कुछ दिन
    तो मुझे वक्त मिले
    उन ख़्वाबों को चुनने का,
    उन्हें सुलझा कर
    सच के चरखे पर कातने का... काश , ठहर जाए दिन और सच के धागे से बुन जाए

    ReplyDelete
  29. ख़्वाब चले जाते हैं इसीलिये ख़्वाब हैं नहीं तो हक़ीकत न बन जाएँ ........

    ReplyDelete
  30. अनुलता जी नमस्कार...
    आपके ब्लॉग 'my dreams n expressions'से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 14 अगस्त को 'ख्वाबों का आना और जाना...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
    धन्यवाद
    फीचर प्रभारी
    नीति श्रीवास्तव

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया नीति जी.
      आपका और अतुल जी का आभार.

      Delete
  31. यह कविता तो कन्फ्यूज़ कर रही है ख्वाब वाले मामले में। आयें, ठहरें, जांय। हम तो सबके लिए तैयार बैठे हैं।:)

    ReplyDelete
  32. अनु जी....वाह...!! लाजवाब रचना.....!!

    ReplyDelete
  33. अच्छा लगा पढ़कर..

    ReplyDelete
  34. शायद अच्छा ही है
    ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
    ठहरते नहीं !!

    ख़्वाब तो ऐसे ही होते हैं।

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  35. लाजवाब रचना...अच्छा लगा |

    ReplyDelete
  36. देखा एक ख़्वाब
    तो ये सिलसिले हुए
    ग़र सिलसिला चले
    तो कोई ख़्वाब न देखे

    ReplyDelete
  37. ख्वाब जो आकार ठहर जाए तो नए ख्वाब कैसे सजे? बहुत सुन्दर रचना, बधाई.

    ReplyDelete
  38. बिलकुल सही कहा... शायद  अच्छा ही है
    ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
    ठहरते नहीं !!
    स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत ............शुभकामनाएँ.........
    .............जयहिन्द............
    ............वन्दे मातरम्..........







    ReplyDelete
  39. कुछ ख्वाब अच्छे होते हैं
    कुछ ख्वाब बोझिल होते हैं पर
    ख्वाबों पर किसका वश है
    हर ख्वाब गर साकार हो जाए
    जीना दुश्वार हो जाए
    अच्छा है ख्वाब आते हैं और चले जाते हैं
    ठहरते नहीं...

    एक सुंदर रचना के लिए बधाई।


    ReplyDelete
  40. beautiful...khwaab aate jaate rahein...shayad yahi theek hai :)

    ReplyDelete
  41. शायद अच्छा ही है
    ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
    ठहरते नहीं !!

    anu ji khwabon me gahari anubhuti de gayee apki rachana ...sadar badhai.

    ReplyDelete
  42. "हां एक रोज ठहरा तो था...
    पिछली रात का,
    एक कसमसाया सा ख्वाब...
    ठहर गया था
    मेरी पलकों पर,
    एक बूँद बन कर...

    और सारा दिन
    आँखें भारी रहीं थीं...
    और मन भी.

    शायद अच्छा ही है
    ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
    ठहरते नहीं !!"
    बहुत ही सुंदर ! भावों की कसमसाहट रचना में रूचि बनाए रखती है। बधाई !

    ReplyDelete
  43. बेहतरीन रचना

    ReplyDelete
  44. ज़िन्दगी ख्वाब है...
    ख्वाब में झूठ है क्या...
    और भला सच है क्या...

    अच्छे ख्वाब टूटते हैं तो दुःख होता है...और कोई दु:स्वप्न ठहर जाये तो क्या हो...अच्छा ही है जो ख्वाब टिक के नहीं रहते...

    ReplyDelete
  45. ख़्वाब आते हैं ,
    ख्याल उगाते हैं ,
    ख्वाहिशें जागते हैं ,
    खता कराते हैं ,
    और खुद तो टूटते ही हैं ,
    हमें भी बिखेर जाते हैं |

    ReplyDelete
  46. और सारा दिन
    आँखें भारी रहीं थीं...
    और मन भी.

    शायद अच्छा ही है
    ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं
    हाँ अनु जी बचपन की यादों सा ये ख्वाब भी अच्छा है आते हैं कुछ दिखाते हैं सोचने को उकसाते हैं कुछ हंसी ख़ुशी कुछ बूंदे आँखों में दे फिर खो जाते हैं ...न जाएँ तो न जाने क्या हो जाए ....जय हिंद
    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाये आप को तथा सभी मित्र मण्डली को भी
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  47. कृपया 'जागते' के स्थान पर 'जगाते' पढ़ें |

    ReplyDelete
  48. बहुत सुंदर !
    ख्वाब एक रोका मोती बना दिया !

    कुछ लोग लेकिन ख्वाब
    रोकने में माहिर भी होते हैं
    रोकते हैं फुसलाते हैं और
    बेच देते हैं इतने शातिर
    भी होते हैं कैसे करते होंगे?

    ReplyDelete
  49. अनुजी,
    कुछ आँखें नींद से उतनी नहीं भरी... जितनी सपनों से भरी है...
    ओ सपने... मेरे सफ़र में लौट कर मत आना.....

    ReplyDelete
  50. प्रभावपूर्ण रचना..

    ReplyDelete
  51. शायद अच्छा ही है ख्वाब आते हैं चले जाते हैं । नही, कुछ ख्वाब जो सच हो जाते हैं हमारे दिल में बस जाते हैं ।
    बहुत कोमल रचना ।

    ReplyDelete
  52. अतिसुन्दर रचना |

    " शायद अच्छा ही है
    ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
    ठहरते नहीं !! "

    बेहतरीन पंक्तियाँ... बहुत अची रचना ...

    ReplyDelete
  53. ठहर गया था
    मेरी पलकों पर,
    एक बूँद बन कर...
    .
    वाह

    ReplyDelete

नए पुराने मौसम

मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...