इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Monday, June 25, 2012

तारों की घर वापसी

मेरी यह रचना भास्कर भूमि में.http://bhaskarbhumi.com/epaper/index.php?d=2012-06-26&id=8&city=Rajnandgaon


जानते हो !!
मखमली घास पर 
बिखरा है जो 
हरसिंगार 
वो फूल नहीं है,
वो तारे हैं..
जिन्हें आसमान  ने 
पिछली रात 
घर निकाला दे डाला है.
ज़रूर झगड़े होंगे 
किसी बात पर......


रात भर रोते रहे वो तारे
और उनके आंसुओं को 
तुमने ओस समझ कर 
रौंद डाला.......


चांदी का थाल लिए 
उन फूलों को जो चुन रही है
वो कोई और नहीं..
वो चाँद है !!!
पहचानते नहीं क्या????
तारों की चिरौरी कर
उन्हें मना कर ले जाने 
धरती पर उतरा  है चाँद...


तारों बिना आसमान 
सूना जो हो गया
चाँद अकेला जो हो गया ....


-अनु 





38 comments:

  1. तारों की चिरौरी कर
    उन्हें मना कर ले जाने
    धरती पर उतरा है चाँद...

    बहुत सुंदर .....

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  2. बहुत ही बढ़िया



    सादर

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  3. आकाश से झरती हँसी और हरसिंगार ....

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  4. तारों की चिरौरी कर
    उन्हें मना कर ले जाने
    धरती पर उतरा है चाँद..

    वाह ,,, बहुत सुंदर रचना,,,

    RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,

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  5. तारों बिना आसमान
    सूना जो हो गया
    चाँद अकेला जो हो गया ....
    Sahi kaha....sath rehna hi jivan h. . .

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  6. तारे होते बेदखल, सूरज आँखे मूंद |
    अद्वितीय अनुकल्पना, आंसू शबनम बूंद |

    आंसू शबनम बूंद, सूर्य को तपना भाये |
    किन्तु वियोगी चाँद, अकेला रह न पाए |

    उतर धरा पर चाँद, इकट्ठा करे संभारे |
    छूकर प्रभु के चरण, गगन पुनि चमकें तारे ||

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  7. हारसिंगार के फूल और तारों का बिम्ब .... बहुत सुंदर और प्यारी रचना

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  8. वाह, हारसिंगार के फूल बिखरे सितारों जैसे , बहुत बढ़िया बिम्ब . रूठे सितारे फिर से फलक पर . . .

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  9. अनुपम भाव लिए उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ... आभार

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  10. झगडना ,चिचोरी,जैसे शब्द जहाँ कविता में चुलबुलाहट दाल रहे हैं वहीँ, हरसिंगार और तारों का बिम्ब गज़ब की खूबसूरती बिखेर रहा है. और तस्वीर भी क़यामत सी है.
    बहुत प्यारी लगी ये कविता आपकी.

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  11. कोमल सुंदर भाव लिये ...बहुत प्यारी रचना ...!!
    शुभकामनायें अनु ...

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  12. muahhhh ... kitni pyaari si rachnaa hai mere pasandida foolon ke liye

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  13. अनु ! एक बात खटक रही है...चाँद पुर्लिंग है "फूलों को जो चुन रहा है " होना चाहिए था शायद.

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    1. चाँद तो पुर्लिंग है शिखा जी मगर चाँद सी जो है वो तो स्त्री है......
      जैसे चौदवीं का चाँद स्त्री के लिए प्रयुक्त हुआ न..
      :-)

      पता नहीं मैं आपको कनविंस कर पायी या नहीं...????

      सादर.

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  14. तारों बिन बेचारा अकेला चाँद !
    खूबसूरत , कोमल अहसास .

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  15. एक ही शब्द .... 'मोहक'

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  16. Very beautiful lines-Kaash sabhi jhagarne wale aise hi mana lete.

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  17. सुंदर मनमोहक प्यारी रचना !!!

    सस्नेह

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  18. बहुत सुन्दर भाव
    कोमल सी रचना...
    :-)

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  19. बड़ा मीठा-सा दर्द और कोमल-सा भींगा अहसास गुंथा है इस रचना में।

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  20. अति सुन्दर...वैसे स्त्रीलिंग की तुलना पुलिंग से करना जंचता नहीं है..व्याकरण की दृष्टि से..

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  21. बहुत ही सुन्दर चित्रण

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  22. सुन्दर मनमोहक रचना....

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  23. बड़ी सुन्दर कल्पना.....!!

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  24. अक्सर हमें दूसरों के आंसू दिखाई नहीं देते अनु ...
    बढ़िया अभिव्यक्ति के लिए बधाई !

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  25. बहुत ही सुन्दर रचना..

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  26. बड़ी सुन्दर सी कविता :) :) :)

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  27. रात भर रोते रहे वो तारे
    और उनके आंसुओं को
    तुमने ओस समझ कर
    रौंद डाला,,,

    bahut khoob.... aur dher saari badhayiyaan.... aapki book ke liye...

    :)

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  28. अनुपम भाव लिए प्यारी सी रचना..बहुत सुन्दर ..अनु..

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  29. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  30. बहुत सुंदर !
    घर निकाला नहीं दिया था
    बस चाँद ने तारों से
    कुछ कुछ कह दिया था
    तारों को बुरा लग गया था
    एक तारा कूद पड़ा गुस्से में
    आसमान से जब उस समय
    बचाने को उसको तारों
    का झुंड भी कूद पड़ा था
    बात बहुत छोटी सी थी
    चाँद ने तारों से बस यही
    तो कह दिया था
    कि जगे रह्ते हें वो रात भर
    थोड़ा सोते क्यों नहीं हैं !

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