इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Saturday, May 4, 2013

मेरे कमरे का मौसम.....

मेरे कमरे में
दीवारें नहीं हैं.
बस खिड़कियाँ हैं,
खिड़कियाँ ही खिड़कियाँ ....
हर खिड़की एक मौसम की ओर खुलती
किसी खिड़की  से आतीं बारिश की मीठी बूँदें
तो किसी से जाड़े की कच्ची धूप भीतर झांकती
या कभी भीतर आकर धुंध मेरा अंतर्मन भिगोती....
एक खिड़की पर बसंत झूला करता है
(और उसकी ओट में छिपे रहते मन के सभी ज़र्द पत्ते )
फाल्गुन की खिड़की से दहकता पलाश भीतर आता
सोख लेता मन के सीलेपन को...

सारे मौसम एक साथ होते हैं जब ,
सब खिड़कियाँ बंद होतीं हैं और
मेरे कमरे में
तुम होते हो !

अहा !!
तुम, मैं और तुम्हारा बारामासी प्रेम !!!

~अनु ~


54 comments:

  1. फाल्गुन की खिड़की से दहकता पलाश भीतर आता
    सोख लेता मन के सीलेपन को
    ------------------------------
    अंतर्मन भिगोती नायाब पोस्ट ...

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  2. बारामासी प्रेम और सदाबहार कमरा .... :)

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  3. मौसम तो परिवर्तनशील है आते जाते है - बारामासी प्रेम के इन्तेजार में .
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    lateast post मैं कौन हूँ ?
    latest post परम्परा

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  4. :)... बारामासी प्रेम !!!

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  5. सारे मौसम एक साथ होते हैं जब ,
    सब खिड़कियाँ बंद होतीं हैं और
    मेरे कमरे में
    तुम होते हो !

    बहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,

    RECENT POST: दीदार होता है,

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  6. सारे मौसम एक साथ होते हैं जब ,
    सब खिड़कियाँ बंद होतीं हैं और
    मेरे कमरे में
    तुम होते हो !

    अहा !!
    तुम, मैं और तुम्हारा बारामासी प्रेम !!!

    सुंदर बहुत ही सुंदर, ऐसा तो प्रियतम (परमात्मा) के ध्यान में ही संभव है. श्रेष्ठतम रचना.

    रामराम

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    Replies
    1. कितने ज्ञानी मेरे ताऊ! ..जय हो। :)

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  7. वाह ....मन से निकली भावनाएं .....

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  8. अहा... बारहमासी बहार का मौसम... बहुत सुन्दर...शुभकामनायें अनुजी

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  9. सारे मौसम एक साथ होते हैं जब ,
    सब खिड़कियाँ बंद होतीं हैं और
    मेरे कमरे में
    तुम होते हो !
    वाह ... बहुत खूब अनुपम भाव संयोजन
    आभार

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  10. वाह खूबसूरत अहसास

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  11. बहुत ही सुन्दर कविता का सृजन.

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  12. क्या इसके बाद भी किसी और मौसम की दरकार है ...:)

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  13. gazb .........no words to say ......

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  14. wah di jes awesome....4 bar padha...man hi nahi bharta..... its really nice

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  15. तुम और तुम्हारा बारह मासी प्रेम जो अपने आप में सारे मौसम हैं... बहुत खूब सुंदर प्रस्तुति....!!

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  16. जैसे भी दिल बहले......
    शुभकामनायें!

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  17. वाह, कितना कोमल एहसास!

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  18. बेहतरीन कविता



    सादर

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  19. बारामासी प्रेम !!! :)
    kya gajab ki baat kahi aapne ..
    bahut khub

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  20. वाह ..
    बहुत सुंदर

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  21. सब मौसम एक साथ कमरे में हो और बारामासी प्रेम भी पर चाबी खोजाए ..

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  22. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (05-05-2013) के चर्चा मंच 1235 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  23. आये हाय ये बारहमासी प्रेम ..:):)

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  24. सारे मौसम एक साथ होते हैं जब ,
    सब खिड़कियाँ बंद होतीं हैं और
    मेरे कमरे में
    तुम होते हो !

    अहा !!
    तुम, मैं और तुम्हारा बारामासी प्रेम !!!दिल खुश किया आपने :)

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  25. सारे मौसमों का 'लव-शेक' आप यूँ ही सदा पीती रहे । बहुत खूबसूरत से भाव और पंक्तियाँ भी ।

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  26. सारे मौसम एक साथ होते हैं जब ,
    सब खिड़कियाँ बंद होतीं हैं और
    मेरे कमरे में
    तुम होते हो !.... सही कहा आपने अनु .... सारे मौसम एक साथ.. भई वाह!

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  27. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति अनु दी!

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  28. अनु जी : कुछ मेजिशियन/जाद्गर ऐसे प्रतिभाशाली होते है की रोज एक शो करे तब भी अपना मेजिक रिपीट न करे... हर बार कुछ नया...!! और दर्शको में एक अपेक्षा बांध जाए : इस बार क्या दिखायेगा..? --- आप की रचनाओं का बिलकुल वैसा है-- हर बार एक नया इडियम. एक नया विश्व.एक नया एंगल...!! इस रचना में -------मेरे कमरे में
    दीवारें नहीं हैं.
    बस खिड़कियाँ हैं,
    खिड़कियाँ ही खिड़कियाँ ....
    ----- यह कह कर आप ने कितनी अदभुत संकल्पना दे दी है....!! वाह--- पाठक अपनी अकाल के अनुसार इस रचना को एन्जॉय कर सकता है...जैसी जिस की पात्रता...!! बहुत बहुत धन्यवाद----

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  29. there's a whole world inside our room..
    only the owner can feel that :)

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  30. बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति भी .....!!

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  31. प्यार का अहसास तमाम अपेक्षाओं से परे एक अलग दुनिया बसाता है.

    मन के भावों का सटीक चित्रण इस सुंदर प्रस्तुति में. शुभकामनाएँ.

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  32. मन का मौसम -हर क्षण नूतन !

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  33. वाह ...क्या बात है अनु !!
    मंगल कामनाएं !

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  34. प्रेम ..... बारह महीने .... ख़ूबसूरत .... अत्यंत ख़ूबसूरत

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  35. अद्भुत एहसास .... तुम्हारे होने से सारे मौसम एक साथ ही आ जाते हैं और बिना दीवारों के कमरे की खिड़कियाँ भी बंद हो जाती हैं :):) और बारहमासी प्रेम तो गज़ब की अनुभूति :):) बहुत सुंदर

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  36. 1. फाल्गुन की खिड़की से दहकता पलाश भीतर आता
    सोख लेता मन के सीलेपन को...


    2. अहा !!
    तुम, मैं और तुम्हारा बारामासी प्रेम !!!


    अच्छा इज़हार अनु जी !

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  37. अहा !!
    तुम, मैं और तुम्हारा बारामासी प्रेम !!!
    यह एक पंक्‍ति काफी है जज्‍बात-ए-बयां को

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  38. such a cute poem...:) tumhara baramasi prem ...indeed!!
    http://boseaparna.blogspot.in/

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  39. बहुत खूब ... इस बारामासी प्यार का मौसम हो तो दूसरे मौसम की क्या जरूरत ...

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  40. मौसम सारे मन के ही तो !

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  41. तुम् मेरे पास होते हो गोया,
    जब कोई दूसरा नहीं होता!!
    अब क्या कहूँ.. कुछ कहना भी इंटरफेयर करने सा लगेगा!! <3

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  42. ख़ूबसूरत इज़हार ,अहा !!
    तुम, मैं और तुम्हारा बारामासी प्रेम !!!

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  43. प्रेम की गजब अनुभूति वह भी बारहमासी
    बहुत सुन्दर रचना
    बधाई

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  44. किसी ख़ास के साथ होने से ही साथ होते है सारे मौसम..
    बहुत सुन्दर...

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  45. AApki kavitayein padh dil prassan ho jata hai :) iss ghum mai v khusi hai.

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  46. सारे मौसम एक ही कमरे में बंद मिलें...तो क्या ही कहना!
    बहुत ख़ूबसूरत रचना अनु!
    <3

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  47. हमेशा की तरह निशब्द :)

    सादर

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