इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Sunday, March 17, 2013

डायरी का एक और सीला पन्ना....

सफ़र में होंगे कांटें भी
इस बात से बेखबर न थे
मगर
खबर न थी
के चुभेंगे इस कदर
कि तय न हो सकेंगी
ये लम्बी दूरियां कभी.....

(या कौन जाने ,कोई चुनता रहा हो कांटे मेरी राह के अब तक.... पैरों तले मखमली एहसास  यूँ ही तो नहीं था अब तक.......
यकायक मंजिल दूर चली गयी हो जैसे....)




अनु

36 comments:

  1. बहुत सुन्दर अहसास...अनु

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  2. स्नेह जो अब तलक अतिरिक्त था,
    न रहा अब और सब रिक्त कर गया ।

    यही प्रकृति है ।

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  3. जैसे दो छोटी कवितायेँ , एक '()' के अंदर और दूसरी बाहर |
    सुन्दर

    सादर

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  4. वाह! बहुत सुन्दर...

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  5. हकीक़त से रु ब रु होने के नाते .... मुझे ये रचना एक बेटी के जज्बात लगे ....
    पिता से विछुड़ने की अभिव्यक्ति दिल को छू रही है ....
    शुभकामनायें !!

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  6. वो भी एक एहसास, ये भी एक एहसास -अंतर समय का बता दिया एहसासों का अंतर -आभार
    latest postऋण उतार!

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  7. यकायक मंजिल दूर चली गयी हो जैसे..
    ---------------
    समझ सकता हूँ ....

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  8. जी सफर में काटें तो मिलते ही है,सुन्दर प्रस्तुति.

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  9. दोनों ही बातें एक दूसरे की पूरक हैं. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  10. शब्दों का इतना सुन्दर शिल्प आपकी कलात्मकता का परिचय देता आप को जब भी पड़ती हूँ हमेशा ही ये दीखता है बधाई की पात्र हैं

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  11. मखमली अहसास
    देता है , अपनों का साथ।

    दिल के सच्चे उदगार।

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  12. सहजता से कही गयी मन की अनुभूति
    बहुत सुंदर

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  13. sometimes things doesn't turn out the way we think..
    u beautifully expressed that thought

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  14. एकदम सटीक और सार्थक प्रस्तुति आभार

    बहुत सुद्नर आभार अपने अपने अंतर मन भाव को शब्दों में ढाल दिया
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    एक शाम तो उधार दो

    आप भी मेरे ब्लाग का अनुसरण करे

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  15. ~वो मखमली एहसास ना भूलेगा कभी....
    जब-जब चुभेंगे काँटे.. याद आयेगा..और भी...~
    तुम्हारे दुख का बहुत दुख है... अनु!
    <3

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  16. aapki lekhni me dusron ko mahsoos karaa dene ki kshamta hai.......!!!

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  17. बहुत खूब!
    इस यथार्थ एवं भावपूर्ण रचना के लिए सादर बधाई।

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  18. कौन तय कर सका है ये लम्बी दूरियां अनु जी... उनका आशीर्वाद और प्यार हमेशा आपके साथ रहेगा... शुभकामनायें

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  19. Shayad Khud ko samjhaane bhar ka tarika ho sakta hai ye pr zindagi ki yahi sachhayi hai...

    Namskar :)

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  20. बहुत उम्दा. दो भिन्न भाव में बहुत सहजता से घुमाव लेती हुई रचना.

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  21. यही यथार्थ है और इसी के साथ जीना होता है...

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  22. इस बात से बेखबर न थे
    मगर
    खबर न थी
    के चुभेंगे इस कदर
    सच ... मन को छूते शब्‍द

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  23. काँटों के साथ जीवा पड़ता है ... हर समय तो कोई नहीं रहता कांटे दूर करने को ...
    गहरा एहसास लिए ...

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  24. ऊपर की पंक्तियों का उत्तर स्वयं आपने ही दे दिया है
    वो भी बड़ी खूबसूरती से ...बहुत सुन्दर ..

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  25. sundar eahsaas anu ji pahale ki bhi post padhi acchi lagi sabhi ke liye badhai

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  26. बहुत गहरी अभिव्यक्ति ...

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  27. हर सफर का फ़साना है .... बहुत खूब अनु!

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