इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Sunday, December 2, 2012

मुनिया

("रूबरू दुनिया" के नवंबर अंक में प्रकाशित )


नन्ही सी मुनिया ने
करवट यूँ बदली थी....
उसने  अलसाए 
ख़्वाबों में
देखी एक झलकी थी...


वो  महलों में पलती 
नन्ही एक  रानी थी..

गहनों के ढेर लगे
दासी चांवर झलती थीं..
ढेरों उसकी सखियाँ
स्नेह बड़ा वे करती थीं 
पर भीतर उससे  जलती थीं..
यूँ सुखमय सा जीवन उसका 
वो फूलों पर चलती थी......


-ये मीठा  उसका स्वप्न ही था..
जो देख वो
खुद को छलती थी ,
अलसाए  ख्वाब की 
छोटी सी ये झलकी थी.
टूटी सी खटिया पर वो
बैठी आँखें मलती थी..


कहाँ की रानी...
कैसा  महल !!!!!
मुनिया तो
अपनी माँ की
पाँचवी अभागी लड़की थी,
दिन  भर खटती,
गढ़री पर सोती और
टुकड़ों पे पलती थी..


-अनु 

९/११/२०११ 

41 comments:

  1. मुनिया की आँखों में ख्वाब जरुरी है ताकि जिंदगी की तल्खियों में भी मुस्कुरा सके !

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  2. कटु सत्य...हम आसपास ऐसी कितनी ही मुनियाओं को देखते हैं
    मन व्यथित भी होता है पर चाहकर भी कुछ कर नहीं पाते
    जरूरत पड़ने पर ये मुनिया हमारे घर भी बरतन माँजती नजर आती है
    सस्नेह

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  3. ओह! मुनिया अपने स्वप्नों के उड़ान को हकीक़त में पा जाए .. इसके लिए हम सभी को प्रयासरत रहना चाहिए ..
    सुन्दर सार्थक पंक्तियाँ दीदी।
    सादर
    मधुरेश

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  4. बेहद मार्मिक पोस्ट ..पड़ते ही एक रुआंस सा फुट पड़ा .... मुनिया ने जो ख़्वाब देखे काश वो सच्च हो जाये.

    आभार!!
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/11/3.html

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  5. काश मुनिया के सपने सच हो जायें । सुंदर रचना ।

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  6. ह्रदय को भीतर तक झकझोरती है आपकी ये सुन्दर रचना
    अरुन शर्मा
    www.arunsblog.in

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  7. हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति ....अनु
    गहराइ भरी सार्थक रचना .....
    शुभकामनायें।

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  8. yahi hai sach...khwab tho bas khwab hi hai...kitne bacche aise hi jeete hain....kash sab baccho kay khwab sach ho jaye....jo footpath par din raat kam karte hain

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  9. एक सत्य जो सबसे कटु है ..... अगर वो महलों में जन्मी होती तब भी रहती तो लड़की ही ....
    इस मानसिकता से कब उबरेंगें पता नहीं ......
    आभार आपका कि आपने महसूस किया ।

    ReplyDelete
  10. एक सत्य जो सबसे कटु है ..... अगर वो महलों में जन्मी होती तब भी रहती तो लड़की ही ....
    इस मानसिकता से कब उबरेंगें पता नहीं ......
    आभार आपका कि आपने महसूस किया ।

    ReplyDelete
  11. कहाँ की रानी...
    कैसा महल !!!!!
    मुनिया तो
    अपनी माँ की
    पाँचवी अभागी लड़की थी,
    दिन भर खटती,
    गढ़री पर सोती और
    टुकड़ों पे पलती थी..

    कटु सत्य को उजागर करती मार्मिक रचना

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  12. बहुत ही अच्छी कविता बधाई |समय मिले तो मेरे ब्लॉग सुनहरी कलम पर हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ पढने का कष्ट करें |
    www.sunaharikalamse.blogspot.com

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  13. ग़रीबों के हंसी ख्वाब .गरीबी की स्वादिष्ट ख़ुराक...शुक्र है ! इस पे किसी का कॉपी-राइट नहीं !
    बेहतरीन एहसास !
    मुबारक हो !

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  14. क्षणिक ही सही ...यह भुलावे भी सहारा बन जाते हैं जीवन से जूझने के लिए ....

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  15. बल श्रम एक धब्बा है समाज पर . सच्चाई बुनती कविता

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  16. काश इस मुनिया के सपने भी सिंड्रेला की तरह सच हों... और कोई जादू इस मुनिया को भी अपने राजकुमार से मिला दे.. और ये ख्वाब कभी न टूटें!!

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  17. बेहद मार्मिक रचना..
    इतना मीठा ख्वाब मुनिया ने देखा
    जो पूरा नहीं हो पाया कितना दुःख होता है बच्चो को..

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  18. सुख अक्सर ख्वाबों में ही मिलता है।
    अधिकांश की सच्चाई।

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  19. bahut sacchi acchi rachna lagi yah anu ..sundar abhiwykati

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  20. कल 03/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका यशवंत...

      Delete
  21. एक कटु सत्य..बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..

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  22. एक कटु सत्य..बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  23. अनु जी , पहली बार आपके ब्लॉग से रूबरू हुई हूँ सुखद अनुभूति हुई आपकी निर्मल कलम को सलाम। मेरे ब्लॉग पर आने का धन्यवाद।

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  24. कहाँ की रानी...
    कैसा महल !!!!!
    मुनिया तो
    अपनी माँ की
    पाँचवी अभागी लड़की थी,
    दिन भर खटती,
    गढ़री पर सोती और
    टुकड़ों पे पलती थी..
    एक सच जो अकसर मन को झकझोर जाता है ...
    आभार इस भावमय प्रस्‍तु‍ति के लिये

    सादर

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  25. कहीं से कोई परी मिल जाती और मुनिया के सारे सपने सच हो जाते ...... सस्नेह :)

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  26. कड़वा सच.
    सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  27. न जाने कितनी मुनिया देखता हूँ अपने आस-पास... हर रोज़, हर नुक्कड़ पर.. :(

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  28. आपके अद्भुत लेखन को नमन
    बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
    बहुत सुंदर

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  29. अनुजी, बहुत ही करुण रचना-

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  30. अनु जी अन्तःकरण तक पहुच गई आपकी भावनाएं बहुत सुन्दर लिखा है बधाई

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  31. मुनिया के इस हालात पर सोचता हूँ कि 'ये साजिश है वक्त की या...लकीरों की ????

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  32. बहुत खूबशूरत करुणामयी प्रस्तुति,,,,,

    recent post: बात न करो,

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  33. मुनिया जैसी न जाने कितनी बच्चियों की त्रासदी लिख दी है .... मर्मस्पर्शी रचना

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  34. सार्थक रचना !

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  35. नारी सर्वत्र पूजिते.....
    (ई पत्रिका "नव्या" में प्रकाशित)

    दृढ़ है

    अट्टालिका है
    दुर्गा है
    कालिका है
    जिसने हिम्मत कभी ना हारी है
    वो नारी है.....

    सीता है
    शक्ति है
    मीरा है
    भक्ति है
    जिसने जप-तप में उम्र गुजारी है
    वो नारी है......

    सुकोमल है
    सहृदया है
    भगिनि है
    संगिनी है
    जो हर रिश्ते पर वारी है
    वो नारी है.......

    क्रुद्ध है
    क्षुब्ध है
    व्यथित है
    बेचारी है
    जो कोख में गयी मारी है
    वो नारी है......

    मनोहर भाव संजोये है यह रचना सत्य का अंश भी -

    है कौन वह करती -

    कैट वाक (वाल्क ),

    "स्लिपड्रेस "का -

    रॉक .

    अन्तरिक्ष की पहरे दारी ,

    अब तो कंडक्टर भी है नारी .


    ReplyDelete
  36. नारी सर्वत्र पूजिते.....
    (ई पत्रिका "नव्या" में प्रकाशित)

    दृढ़ है

    अट्टालिका है
    दुर्गा है
    कालिका है
    जिसने हिम्मत कभी ना हारी है
    वो नारी है.....

    सीता है
    शक्ति है
    मीरा है
    भक्ति है
    जिसने जप-तप में उम्र गुजारी है
    वो नारी है......

    सुकोमल है
    सहृदया है
    भगिनि है
    संगिनी है
    जो हर रिश्ते पर वारी है
    वो नारी है.......

    क्रुद्ध है
    क्षुब्ध है
    व्यथित है
    बेचारी है
    जो कोख में गयी मारी है
    वो नारी है......

    मनोहर भाव संजोये है यह रचना सत्य का अंश भी -

    है कौन वह करती -

    कैट वाक (वाल्क ),

    "स्लिपड्रेस "का -

    रॉक .

    अन्तरिक्ष की पहरे दारी ,

    अब तो कंडक्टर भी है नारी .


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  37. स्वप्न देखने के बाद ही हकीकत बजते हैं ... निरंतर स्वप्न जरूरी हैं ...
    लाजवाब शशक्त रचना ...

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  38. बचपन ..
    सड़क किनारे भूखा बैठा है |
    और देश प्रगति का दावा करता है |

    सादर

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