इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Monday, October 22, 2012

जगा देना मुझे गर.....

गहरा रही है उदासी
थकन हद से ज्यादा
जी है उकताया सा
पलकें नींद से बोझिल....

अब बस सो जाना चाहती हूँ...
एक लंबी सी नींद.

तुम जगा देना मुझे
गर बीत जाय ये पतझर
और फूटें गुलाबी कोंपलें इन ठूँठों पर....

तुम  जगा देना मुझे
जब  समंदर खारा न रहे
और बुझा लूँ मैं प्यास,मोती खोजते खोजते....

तुम जगा देना मुझे
जिस रोज आसमां कुछ नीचा हो जाय
और चूम सकूँ मैं चाँद का चेहरा....

तुम जगा देना मुझे
गर मैं छू सकूँ तारे, बस हाथ बढ़ा कर
और तोड़ कर सारे बिखरा दूँ आँगन में अपने..

जाने क्यूँ इन दिनों हरसिंगार भी झरता नहीं.....


जगा देना मुझे
इस युग के बीतते ही.....
-अनु
"मधुरिमा" दैनिक भास्कर में प्रकाशित16/१/२०१३
http://epaper.bhaskar.com/magazine/madhurima/213/16012013/mpcg/1/

52 comments:

  1. कोई जरुरत नहीं है सोने की ..जागो...जागो कि आसमान बस आने ही वाला है मुट्ठी में :).
    बहुत सुन्दर लिखा है..

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  2. jahan pr jhil me dhoya tha chehra, vhan pani abhi tak gunguna hai,panktion ke sath aapki samvednaon ka swagat,bahut accha, तुम जगा देना मुझे
    जब समंदर खारा न रहे
    और बुझा लूँ मैं प्यास,मोती खोजते खोजते....

    तुम जगा देना मुझे
    जिस रोज आसमां कुछ नीचा हो जाय
    और चूम सकूँ मैं चाँद का चेहरा....

    तुम जगा देना मुझे
    गर मैं छू सकूँ तारे, बस हाथ बढ़ा कर
    और तोड़ कर सारे बिखरा दूँ आँगन में अपने..

    जाने क्यूँ इन दिनों हरसिंगार भी झरता नहीं.....

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  3. जय माँ |
    शुभकामनायें ||

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  4. अनु सिर्फ मुस्कुरा दो ...हर तरफ जैसा आलम चाहती हो ......बन जायेगा ....सच्ची !!!!

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  5. अनु दी,, सरस जी ठीक कह रही है...
    बहुत ही अच्छी रचना..
    मन के भावो की कोमल अभिव्यक्ति..
    :-)

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  6. जैसी कामना है वह पूरी होने ही वाली है.
    कहीं पलकें न झपक जाएँ
    :)
    सस्नेह


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  7. यह युग ही अपना होगा ....
    चलो बसंत लायें
    एक फूल लगायें
    एक नदी बनायें
    सबके मन में आशा के दीप जलाएं ......... सोना मत

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  8. जहाँ चाह वहाँ राह. सोने से पहले ये सारे कम निपटा लीजिये .

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  9. waah bahut acchi chahat ....jarur puri hogi ....

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  10. क्या अनु आप भी .........
    अभी तो मस्ती के दिन बस ,शुरू ही होने वाले हैं !!

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  11. सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  12. वैसे ये जगाने का काम किसे सौंपा है ? :):)

    खूबसूरत खयाल

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    1. सारे सोये पड़े हैं दी......
      ऊपर वाला ही सुलाता है वही जगायेगा :-)

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  13. बहुत उम्दा है यह रचना !

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  14. जाग दर्द -ए -इश्क जाग
    दिल को बेकरार कर
    छेड़ दे खुशियों का राग :)

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  15. तुम जगा देना मुझे
    गर मैं छू सकूँ तारे, बस हाथ बढ़ा कर
    और तोड़ कर सारे बिखरा दूँ आँगन में अपने..

    बहुत सुंदर

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  16. वाह ... बहुत खूब

    सादर

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  17. जाने क्यूँ इन दिनों हरसिंगार भी झरता नहीं.. uff usne bhi neeyat kharab kar lee apne foolon par ...moh nahi chhod paa raha ...sundar anu bahut sundar

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  18. बहुत कठिन शर्तें रखी हैं जगाने की . :)

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  19. तुम जगा देना मुझे
    गर मैं छू सकूँ तारे, बस हाथ बढ़ा कर
    और तोड़ कर सारे बिखरा दूँ आँगन में अपने.....बहुत खुबसूरत भाव अनु..शुभकामनाएं..

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  20. जिस युग की आपने कामना की है..ईश्वर करे वह इसी क्षण आ जाए ... बहुत सुन्दर कविता!

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  21. वाह! बहुत उत्कृष्ट भावाभिव्यक्ति...

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  22. एक ऐसी ख्वाहिश जिसे नकारने को जी न चाहे, खासकर ऐसे गुजारिश की गयी हो तब तो बिलकुल ही नहीं..
    अनु बहन... बहुत ही प्यारी कविता!!

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  23. जाने क्यूँ इन दिनों हरसिंगार भी झरता नहीं.....

    हरसिंगार न झरे, तो डाली पकड़ कर जोर से हिला देना चाहिए
    ये तो हमारे वश में है न .............Jokes apart beautifull poem !!

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  24. तुम्ही ने सुलाया ,
    तुम्ही को है जगाना ,
    बंद आँखों में भी हो तुम ,
    इनके खुलने पर भी ,
    तुम्ही को है पाना |

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  25. नहीं सोने देंगे इतनी गहरी नींद में,
    जगा देंगे थोड़े से आराम के बाद ....बहुत सुन्दर भाव अनु जी

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  26. अच्छी रचना....

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  27. बेहतरीन...बेहतरीन..बेहतरीन...

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  28. बहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......

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  29. तुम जगा देना मुझे
    जिस रोज आसमां कुछ नीचा हो जाय
    और चूम सकूँ मैं चाँद का चेहरा....

    AWSOME...asalways :)

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  30. विजयदशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं

    बढिया, बहुत सुंदर
    क्या बात

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  31. विजय दशमी की शुभ कामनाएं ...

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  32. सुंदर प्रस्तुति...भावपूर्ण
    happy dushahra:)

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  33. तुम जगा देना मुझे
    जिस रोज आसमां कुछ नीचा हो जाय
    और चूम सकूँ मैं चाँद का चेहरा....

    इस चाहत को क्या नाम दूं, समझ में नही आता । बहुत ही सुंदर भाव। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार है।

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  34. मुझे तो यह याद आ रहा है...

    हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
    बहुत निकले मेरे अरमां मगर फिर भी कम निकले।

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  35. अनुजी उदासी और थकान को मारो गोली ... बिंदास जिओ और सब कुछ अपनी आँखों से देखो की केसे समुन्दर मीठा हो रहा है और कैसे आसमां निचे आ गया है और कैसे आप तारों को तोड़ रहे हो।

    .. सुन्दर प्रस्तुती :)

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  36. काश ऐसा ही हो कि वह स्वर्णिम क्षण आये शीघ्र ही, और बाकी सारी पुरानी बातें बस स्वप्न सी लगे.. ऐसे कि जैसे अभी अभी ही तो जगे हैं... एक नवजीवन में, नव-अनुभूति में..
    हमेशा की तरह सुन्दर गहन अभिव्यक्ति,
    सादर
    मधुरेश

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  37. म जगा देना मुझे
    गर बीत जाय ये पतझर
    और फूटें गुलाबी कोंपलें इन ठूँठों पर....

    तुम जगा देना मुझे
    जब समंदर खारा न रहे
    और बुझा लूँ मैं प्यास,मोती खोजते खोजते....

    तुम जगा देना मुझे
    जिस रोज आसमां कुछ नीचा हो जाय
    और चूम सकूँ मैं चाँद का चेहरा....

    अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति, आफरीन!!

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  38. तुम जगा देना मुझे
    जिस रोज आसमां कुछ नीचा हो जाय
    और चूम सकूँ मैं चाँद का चेहरा....

    बहुत ही सुंदर भाव। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार है।

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  39. उम्मीद करता हूँ , ये नींद ज्यादा लंबी न हो |

    तूने उम्र तो कुछ दिन की ही अता की और ,
    ख्वाहिशों से सारा आकाश भर दिया |

    सादर
    आकाश

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  40. बहुत सुन्दर अभिभूत कर गई ये पंक्तियाँ

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  41. ब्लॉग बुलेटिन की ११०० वीं बुलेटिन, एक और एक ग्यारह सौ - ११०० वीं बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  42. मत सोओ, कि कोशिश ख़ुद को करनी पड़ेगी !

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