इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Thursday, October 18, 2012

एक दबी चाह ....आयी है तेरे शहर से गज़ल बन कर

त्योहारों की आमद पर पुराना कबाड तलाशते अकसर कुछ ऐसा हाथ लग जाता है जो खुशियों पर एक गहरा साया सा डाल देता है....जाने हम ऐसा कबाड सहेजते क्यूँ हैं? क्यूँ पुरानी डायरियां सम्हाली जाती हैं जबकि उनमें सिवा दर्द के आपने कुछ उकेरा नहीं होता.....क्या हम खुद ही अपने ज़ख्मों को कुरेदना चाहते हैं??? या शायद उम्मीद होती है दिल को कि इस कड़वी ,आंसुओं से भीगी यादों के पन्नों से चिपका कोई और ऐसा लम्हा भी चला आये जो कुछ पल को महका दे आपका धूल भरा कमरा.......

आज सोचती हूँ कोई एक याद ऐसी खोज निकालूँ  जो मरहम सी लगे...ठंडी हवा की बयार सी छुए....मीठे पानी सा हलक में उतरे....हरसिंगार सा मेरे बदन को छू के झरे.....जूही की कलि सा मेरा आँचल महकाए......
कहो ??? कोई याद होगी क्या ऐसी.....कहीं डायरी के पन्नों में दबी सी....
हाँ  है तो सही...एक दबी हुई गज़ल......दिल गुनगुना तो रहा है...


हवाओं  में तेरे एहसासों  की छुअन पायी है 
ये बयार क्या  तेरे शहर से आयी है ?

एक सुरीली सी धुन कानों ने सुनी
क्या  बांसुरी तेरे शहर ने बजाई है ?

एक मधुर संगीत से झूमा सा है मन
कोई धुन क्या तेरे शहर ने गुनगुनाई है ?

महका सा है आँगन,और रूह भी है महकी
क्या जूही की कलियाँ तेरे शहर ने झरायीं हैं ?

पानी के एक घूँट से बेताबी और बढ़ी
मेरे गाँव की नदी क्या तेरे शहर से बह आयी है ?

अनु




 


72 comments:

  1. हवाओं में तेरे लम्स की छुअन पायी है
    ये बयार क्या तेरे शहर से आयी है ?
    बहुत सुन्दर भाव रचे है अनु आपने , वाकई ...

    कल मैंने भी पुरानी पत्रिकाएं फेंकने के लिए निकाल रही थी तो
    एक दस साल पहले लिखी रचना मिल गई थी ..वही लगाई है ब्लॉग पर !
    पता नहीं कब कोई याद ताजा हो कह नहीं सकते !

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    1. bahut sundar anu ji .......maine bhi apni dairy saath me rakhi hai kai kitabe band hai purani hawa ka jhokha kabhi bhi pawan sang aa jata hai :) bachpan ke sundar madhur pal samaye panne nahi chut pate , :) mai bhi lagaungi ek panna kabhi blog par :) yahan aana ek khushboo ke saman hai

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  2. पुरानी पर उत्कृष्ट प्रस्तुति |
    बधाई आदरेया ||

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  3. पुरानी डायरी अपने साथ बहुत कुछ समेटे रहती है. कभी उसे पढ़कर आँखें भर आती हैं, कभी एक मुस्कुराहट सी होठों पर तैर जाती है, कभी कुछ मीठी सी यादें गुदगुदाकर कर चली जाती हैं.
    बहुत ही प्यारी लगीं ये पंक्तियाँ, ताजी हवा के झोंके सी :)

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  4. ये डायरियां इस्लिये सहेजी जाती हैं शायद कि जब अव्साद भरे दिनों में इन्हें पढा जाये तो खुद को बताया जा सके कि ऐसा दौर पहले भी आया था जब लगा था कि अब जी पाना मुमकिन नहीं और फिर वो गुज़र भी गया था, हमें थोडा समझदार बना कर.. और खुद को तसल्ली दी जा सके कि ये भी गुज़र जायेगा, फक़त एक दौर ही तो है...

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  5. ये जो ज़रा ज़रा सा खुमार है...
    क्या तेरे शहर में फैला बुखार है... ;) ~ ये बुखार 'प्यार का बुखार' है !
    बहुत सुंदर...गुनगुनाती हुई रचना अनु !:-))

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  6. हवाओं में तेरे लम्स की छुअन पायी है
    ये बयार क्या तेरे शहर से आयी है ?
    वाह ... क्‍या बात है
    लाजवाब करती पंक्तियां ... आभार इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिये

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  7. purani dairy me kuchh aise ehsas mil jana tazzub ki baat hai to lijiye mera ek comment bhi usi shahar se aa gaya hai :-)

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  8. डायरी का पन्ना हँसा गया
    यह क्या तेरे शहर से उड़ती आई हैः)

    बहुत सुंदर रचना अनु!
    सस्नेह

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  9. tazgi liye shabdo ne aap ka fan bana diya

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  10. tazgi liye shabdo ne aap ka fan bana diya

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  11. पोस्ट दिल को छू गयी.बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .,,

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  12. वाह! बहुत सुँदर , काश मेरे पास भी ऐसी डायरी होती.

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  13. महका सा है आँगन,और रूह भी है महकी
    क्या जूही की कलियाँ तेरे शहर ने झरायीं हैं ?

    बहुत खूब !!
    अनु जी .... मुझे भी क्यूँ लगा .....
    ये सवाल मैं आपसे करूँ .... :)

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  14. एक सुरीली सी धुन कानों ने सुनी
    क्या बांसुरी तेरे शहर ने बजाई है ?

    bahut sundar..:-)

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  15. शायद वो खुद आया हो अपने शहर से :).

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  16. एक सुरीली सी धुन कानों ने सुनी
    क्या बांसुरी तेरे शहर ने बजाई है ?

    ....बहुत सुन्दर...ठंडी हवा की तरह मन को आह्लादित करती रचना..

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  17. बहुत ही सुन्दर, प्यारी-प्यारी , फ्रेश - फ्रेश करती रचना...
    :-)

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  18. पानी के एक घूँट से बेताबी और बढ़ी
    मेरे गाँव की नदी क्या तेरे शहर से बह आयी है ?..... अपने गांव की महक,उसका स्वाद - बहुत ही बढ़िया

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  19. हाँ ये तेरे दिल के शहर से आई है..खुबसूरत सुरीली धुन सी.. शुभकामनाएं..अनु

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  20. एक मधुर संगीत से झूमा सा है मन
    कोई धुन क्या तेरे शहर ने गुनगुनाई है ?waah meethi meethi byaar si sundar rachna ..bahut sundar likha hai anu aapne ...

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  21. बेहतरीन रचना !


    हम निकले थे भटकते हुए तेरे कूचे से ,
    फिर मुझको ही होश न रहा मेरे खुद का

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  22. http://vyakhyaa.blogspot.in/2012/10/blog-post_18.html

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया रश्मि दी..

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  23. बहुत दिनों बाद....एक कली आज मुस्काई है :-))
    खुश रहें!

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  24. ...कितनी मोटी है यह डायरी :-)

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  25. dairy to mere pass bhi hai, par usme copy paste material hai, kabhi pahle apne soch ko sahejne ki koshish hi nahi ki:)
    aapke abhivyakti ka jabab hi nahi hota mere pass:)

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  26. डायरी के पन्नों में भी संगीत छुपा रहता है.

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  27. आपका बहुत आभार रविकर जी.

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  28. अच्छा लगा दर्द का सिलसिला टूटा आपकी कविताओं में.. यह अभिव्यक्ति भी गज़ल के रूप में अच्छी लगी!!

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  29. very soft n subtle...loving it !

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  30. पुरानी यादों में ताज़गी कि खुशबु भरती एक प्यारी सी गज़ल.... बहुत खूब!

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  31. क्या खूब दिवानगी है... खुदा खैर करे... जिन्दगी की शामत आने वाली है। सुंदर अभिव्यक्ति प्रेम भावना के प्रदर्शित करती।

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  32. हरसिंगार के फूल सी महकती रचना, बधाई.

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  33. सुन्दर रचना.

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  34. सीधे मन के कोने तक जाती हुई पंक्यियाँ...बहुत खूब |

    सादर |

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  35. महका सा है आँगन,और रूह भी है महकी
    क्या जूही की कलियाँ तेरे शहर ने झरायीं हैं ?....
    बहुत सुन्दर अनु :)

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  36. महक जाती हैं हवाएं गुजर कर उनसे ,
    उन हवाओं में हम अपना बसर करते हैं |

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  37. mast....एक सुरीली सी धुन कानों ने सुनी
    क्या बांसुरी तेरे शहर ने बजाई है ? :) :)

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  38. पुरानी डायरियां दर्द ही देती हो तो उन्हें सहेजना क्यों ...बात तो ठीक है !
    अच्छी ग़ज़ल!

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  39. पानी के एक घूँट से बेताबी और बढ़ी
    मेरे गाँव की नदी क्या तेरे शहर से बह आयी है ?

    बहुत खूबसूरत , कोमल भावों से लिखी रचना ।

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  40. एहसासों की छुअन से महकती बहुत सुन्दर रचना... वाकई आपकी डायरी बड़ी खूबसूरत है अनु जी

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  41. बहुत खूब लिखा है | भावों से भरी बेहतरीन रचना |

    नई पोस्ट:- जवाब नहीं मिलता

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  42. सच कभी-कभी कबाड़ से भी कोई दिल को अच्छी लगने वाली या बुरी लगने वाली यकायक सामने आती है तो जाने कितने ही अच्छे-बुरे खयालात मन को खुश/उदास कर जाती है ..
    बहुत सुन्दर रचना
    नवरात्रि की शुभकामनाओं सहित

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  43. पानी के एक घूँट से बेताबी और बढ़ी
    मेरे गाँव की नदी क्या तेरे शहर से बह आयी है ?खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |

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  44. बहुत नाजुक कोमल एहसास में लिपटे शब्द बहुत सुकून मिला पढ़कर

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  45. आSहा मन को कुछ गुदगुदा गई ये गज़ल । सब कुछ जो जो मन को अचछा लगे हमारे चाहने वाले की तरफ से ही आता है । बेहद सुंदर ।

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  46. महका सा है आँगन,और रूह भी है महकी
    क्या जूही की कलियाँ तेरे शहर ने झरायीं हैं ?बहुत खूब

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  47. बहुत सुंदर रचना
    कभी कभी ही ऐसी रचनाएं पढ़ने को मिलती हैं


    एक मधुर संगीत से झूमा सा है मन
    कोई धुन क्या तेरे शहर ने गुनगुनाई है ?

    महका सा है आँगन,और रूह भी है महकी
    क्या जूही की कलियाँ तेरे शहर ने झरायीं हैं ?

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  48. बहुत मीठी सी ग़ज़ल

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  49. प्रेम में ऐसा ही जादू है..बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना !

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  50. बहुत बढ़िया अनु जी ,बहुत रोमांटिक. अगर रदीफ-काफिया के चक्कर में न पड़े तो मनभावन.

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    1. बह्र ओ रदीफ काफिया कुछ भी निभा नहीं
      अंतस कि लय निभाई मुझ को गिला नहीं
      :-)

      (शेर Ashvani Sharma ji)

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  51. हवाओं में तेरे एहसासों की छुअन पायी है
    ये बयार क्या तेरे शहर से आयी है ?.........
    नवरात्रि की शुभकामनाओं सहित बेहतरीन.....बेहतरीन......,.प्रस्तुति

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  52. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

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  53. मुझे याद करने का शुक्रिया यशवंत....

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  54. हवाओं में तेरे एहसासों की छुअन पायी है
    ये बयार क्या तेरे शहर से आयी है ?----

    वाह क्या बात है -एक कोमल एहसास

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  55. सुंदर... कभी महमान बनकर आना... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com

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  56. पानी के एक घूँट से बेताबी और बढ़ी
    मेरे गाँव की नदी क्या तेरे शहर से बह आयी है ?


    बहुत सुन्दर !

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  57. माही दा शहर भी माही वरगा!
    खूबसूरत!

    --
    ए फीलिंग कॉल्ड.....

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  58. प्रकृति-पोषण हेतु मां के समक्ष की गई यह प्रार्थना फलीभूत हो।

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  59. बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी गजल ,उम्दा पंक्तियाँ ..

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  60. गजल अच्छी है लेकिन ईमानदारी से कहूँ तो उसकी तैयार की हुई रूपरेखा बहुत ही ज्यादा अच्छी है |
    एक बरस बाद अभी , मीठा सा इक गम पाया
    दीवाली की रौनक में , तेरा खत कुछ नम पाया |

    सादर
    -आकाश

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