इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Sunday, July 29, 2012

निम्बोली



याद  मुझे वो सावन आया

आई  याद वो पुरवाई..

याद मुझे है अब भी-
 

गाँव की भीगी  अमराई

उस बूढ़े पेड़ की कोटर में 

चिड़िया का बच्चा...

और याद मुझे वो कोयल आई.......

नंगे पाँव- 

वो लुका छुपी का खेल 

दरख्तों के पीछे

चोरी-चोरी,तेरे-मेरे

सपनो का मेल...

याद  मुझे है
 

बचपन से यौवन तक

पगडण्डी पर दौड़ना,

आषाढ़ से सावन तक

संग तेरा न छोडना...

याद मुझे है...

कच्ची पक्की अम्बियाँ...

तेरी झूठी सच्ची बतियाँ...

वो शहर को तेरा जाना..

लौट के फिर न आना....

याद मुझे है...

तेरा मुझको वो खिजाना

फिर मेरा तुझे सताना....

तेरा जामुन के धोखे में  

मुझे निम्बोली खिलाना.... 

सब याद है मुझे........
 

अब तक जुबां पर वो कड़वा   स्वाद जो रक्खा है......

-अनु
 (aug 11/2011)

53 comments:

  1. चोरी-चोरी,तेरे-मेरे

    सपनो का मेल...


    याद है मुझे.....

    ..................

    बहुत ही सुन्दर

    सुबह की भीनी-भीनी खुशबू



    जैसी.....

    ReplyDelete
  2. वाह... कड़वे अनुभव की कड़वी याद

    ReplyDelete
  3. Anu ji, Your poem is so refreshing,beautiful and sublime.Have a great Sunday! Warm Regards Ram

    ReplyDelete
  4. कड़वी होकर भी मीठी मीठी यादें! हम भी लौटे उन अतीत की पगडंडियों पर इन सतरों के सहारे!

    ReplyDelete
  5. वो शहर को तेरा जाना..

    लौट के फिर न आना....

    याद मुझे है...

    ये बहुत सुन्दर पंक्तियाँ लगीं.अपने आप में एक जज्बात और एक शिकायत लिए बड़ी ही भावनात्मक लगीं.बहुत बहुत सुन्दर रचना.

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    ReplyDelete
  6. बहुत कुछ कहती निम्बोली

    ReplyDelete
  7. अब तक जुबां पर वो कड़वा स्वाद जो हमेशा के लिए रक्खा है.... !!

    ReplyDelete
  8. यादों के घुंघरू जब-तब छनछना उठते हैं।
    प्रभावशाली रचना।

    ReplyDelete
  9. ultimately deceit overshadows the pleasant moments-well said anu.

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर .
    सावन में किसी की कडवी यादों ने बचपन की मीठी यादें ताज़ा कर दीं .

    ReplyDelete
  11. कड़वी मीठी यादें एक नया स्वाद लिये हुए.

    शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  12. वाह अनु जी कितनी सुन्दर है ये निम्बोली, बधाई स्वीकार करें

    ReplyDelete
  13. "Nimboli" is a powerful thought in the garb of a simple poem. I 'm at a loss of words, and even if I were not they wouldn't have sufficed!

    ReplyDelete
  14. संवेदनशील भाव व्यक्त करती रचना..
    मीठी मीठी बाते कड़वी हो गयी..
    कड़वी हो गयी और
    यादे बन गयी...
    :-)

    ReplyDelete
  15. मीठी यादें कभी कभी कड़वी भी हो जाया करती हैं समय के साथ ....
    सुंदर भावाभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  16. याद मुझे है अब भी-

    गाँव की भीगी अमराई

    उस बूढ़े पेड़ की कोटर में

    चिड़िया का बच्चा...

    और याद मुझे वो कोयल आई.......

    नंगे पाँव-

    वो लुका छुपी का खेल

    दरख्तों के पीछे

    चोरी-चोरी,तेरे-मेरे

    सपनो का मेल...
    बहुत सुन्दर रचना.....!

    ReplyDelete
  17. बहुत ही बढ़िया


    सादर

    ReplyDelete
  18. अभिव्यक्ति शानदार है ..

    ReplyDelete
  19. क्या बात है...कडवे स्वाद के साथ मीठी यादों का संयोजन क्या खूब रंग लाया है...

    ReplyDelete
  20. YEH KACHHI KADWEE NIBOLI MEETHE ANGOOR KI TARAH PRASTUT HUI HAI ATAH
    MAZA AA GAYA .

    ReplyDelete
  21. I recall the days.. thanks for writing such beautiful lines for us to read.

    ReplyDelete
  22. मान में बसी मीठी यादें...सुन्दर रचना, बधाई.

    ReplyDelete
  23. Ak ak shabad sachaai se bhara huaa hai ..
    Yaad dila di aapne bachpan ki..
    Bahut hi khubsurat rachna....

    ReplyDelete
  24. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...!!

    ReplyDelete
  25. बचपन की यादगार यादो को भुलाया नही जा सकता,,,,,

    RECENT POST,,,इन्तजार,,,

    ReplyDelete
  26. those good old days...loved it :)

    ReplyDelete
  27. जामुन के धोखे निबौली या रमास के धोखे मिर्च खिलाना... बचपन की खूबसूरत शरारतें हुआ करती थी । वे यादें जो जीवन भर हमारे साथ चलतीं हैं ।

    ReplyDelete
  28. खट्टा मुझे लगता था ,
    आँखें वह मीच लेती थी,
    शर्त में मिर्च खाता मैं था,
    आँखे उसकी झरझराती थीं,
    सब याद है,
    बस यादों में उनकी,
    मैं नहीं |

    ReplyDelete
  29. Replies
    1. बहुत सुन्दर और सार्थक सृजन , बधाई.

      Delete
  30. अनु, आपकी इस कविता ने
    मुझे भी अपने गाँव की याद आई
    सुंदर अहसासो भरी रचना ....

    ReplyDelete
  31. वाह ... बहुत ही बढिया ...आभार

    ReplyDelete
  32. दिल्ली में यह सब देखने को ही नहीं मिलता :(

    ReplyDelete
  33. बेहतरीन
    कडवी चीज़ों के स्वाद का मीठी याद बनकर रह जाना

    ReplyDelete
  34. गाँव की यादें मधुर हैं. निम्बोली का स्वाद भी ऐसा कड़ुवा नहीं होता कि उसे कोई याद न रखना चाहे. ऐसे में कविता का स्वाद अच्छा लग रहा है.

    ReplyDelete
  35. ब्लॉग की दुनिया से दूर हुए सच में चार महीने हो गए !
    जामुन निम्बोली..... बहुत बढ़िया स्मरण ...!
    आभार आपका !

    ReplyDelete
  36. very b'ful complialtion of memories !!

    ReplyDelete
  37. कुछ यादे खट्टी मीठी सी ...

    ReplyDelete
  38. bahut khubsurat, bahut asardaar....Anu ji-

    ReplyDelete
  39. किशोर मन की यादों के दरीचों से यकसां सदा आती है ...बहुत बढ़िया किशोरपन को दुलारती दोहराती मधुरिम रचना .

    ReplyDelete
  40. इस कड़वे खट्टे-कसैले स्वाद के बाद शीतल पानी मुंह में डालिए तो बड़ा मीठा लगता है।

    ReplyDelete
  41. वाह बहुत बढ़िया अनु जी ! बहुत प्यारी रचना है ! कितनी मीठी यादें और बाद में निम्बोली सा कड़वा अंत, सब कुछ मन पर गहरा असर डालते हैं और ना जाने कितने छूटे हुए सूत्र हाथों में पकड़ा जाते हैं ! बहुत खूब ! साभार !

    ReplyDelete
  42. ummm....nostalgia overpowering me....

    ReplyDelete
  43. हम तो कहेंगे, कडुवे अनुभव की मीठी याद नहीं तो कविता ही नहीं बन पाती. बहुत सुन्दर.

    ReplyDelete
  44. बहुत खूबसूरत अंदाज़ में कही गई कविता वाह

    ReplyDelete
  45. बहुत बढ़िया किशोरपन को दुलारती सुन्दर खट्टी मीठी यादें..

    ReplyDelete
  46. a nostalgic peep transforming into a beautiful poem!
    सुन्दर!

    ReplyDelete
  47. बहुत प्यारी रचना |

    सादर

    ReplyDelete

नए पुराने मौसम

मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...