इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Monday, July 2, 2012

मेरी कविताएं या तुम?????

भास्कर भूमि में प्रकाशित http://bhaskarbhumi.com/epaper/index.php?d=2012-07-06&id=8&city=Rajnandgaon

सोचती हूँ...

किसकी ज्यादा दीवानी हूँ मैं??
कौन अधिक प्रिय है मुझे????

मेरी कवितायें या तुम ???

शायद तुम!!!

तुमसे बेपनाह मोहब्बत जो है मुझे...

या नहीं!!!
मेरी कवितायें...

जिनमें तुम हो....

तुम.........जिससे बेपनाह मोहब्बत है मुझे...

मेरी कवितायें  मेरी जिंदगी हैं....

ये मुझे छलती तो हैं , 
मगर  कहती हैं कि
तुम्हें भी मोहब्बत है मुझसे...


-अनु 



51 comments:

  1. मेरी कविताएं तुम सुन्‍दर रचना है अल्‍प शब्‍दो में दिल की भावना स्‍पष्‍ट रूप से व्‍यक्‍त की है आपके ब्‍लाग को ज्‍वाईन कर लिया है आप भी करे तो खुशी होगी

    यूनिक तकनीकी ब्‍लाग

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  2. बहुत खूब अनु जी ||

    छलिया को पहचान के, होते क्यूँ मजबूर ?
    शंका की गुंजाइशें, है भैया भरपूर |
    है भैया भरपूर, लगे रचना निज प्यारी |
    किन्तु हकीकत क्रूर, विरह में रचती सारी |
    ले सुकून की सांस, ढूँढ़ते गोकुल गलियां |
    मिल जाता वो काश, वही तो असली छलिया ||

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    1. शुक्रिया रविकर् जी

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  3. वाह ... बहुत खूब ।

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  4. poem will only say what your heart says-take care!

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  5. ज़िन्दगी, कविता और 'तुम': सब आपस में एक दूसरे के पर्याय ही प्रतीत होते हैं...!
    सुन्दर:)

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  6. वाह: अनु बहुत खूब ..कविता जीवन और तुम तीनों ही एक दूसरे के पूरक हैं..एक दूसरे के विना सब अधूरे हैं..

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  7. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आकर चर्चामंच की शोभा बढायें

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    1. शुक्रिया राजेश जी , आभार

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  8. Anu,
    I want your consent for inclusion in a research like post by a fine fellow blogger and friend on 'Evolution of Hindi poetry bloggers etc..'
    I need to mail you the details if you please provide me your ID. Kindly contact me ASAP. Regards...amit

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  9. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,बहुत खूब अनु जी ,,,

    MY RECENT POST...:चाय....

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  10. बहुत सुंदर रचना
    क्या कहने



    मेरी कवितायें मेरी जिंदगी हैं....
    ये मुझे छलती तो हैं ,
    मगर कहती हैं कि
    तुम्हें भी मोहब्बत है मुझसे...

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  11. वाह अनु जी बहुत खूब

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  12. सच्ची हैं आपकी कवितायें..

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  13. मेरी कवितायें मेरी जिंदगी हैं....
    ये मुझे छलती तो हैं ,
    मगर कहती हैं कि
    तुम्हें भी मोहब्बत है मुझसे...

    तुम कविता और मैं .... सुंदर प्रस्तुति

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  14. क्या बात है अनु जी..... प्रेम की कशमकश का सुन्दर इज़हार!

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  15. प्यारा सा छल...बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति !!

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  16. समबाहु त्रिकोण है जी .तो समकोण भी तो होगा , तो आप, आपकी कविता और वो , हम तो तीनो को एक दुसरे के पूरक की तरह देख रहे है

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  17. ये भ्रम क्यों? प्रीत का स्थाई भाव किसके प्रति? समर्पण किसके प्रति?...... प्रिय के प्रति या कविता के?
    कविता कभी छल नहीं कर सकती। परन्तु प्रिय ........
    इस सुन्दर रचना के लिए आभार !!

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    1. कविता नहीं छलती मगर रचनाकार छल कर सकता है आत्मसंतुष्टि के लिए....खुद को भुलावा देने के लिए....
      कविता अपनी है सो समर्पण भी उसके प्रति ही होगा....

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  18. अच्छी रचना है मोहब्बत .है एक मानसी सृष्टि .

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  19. अच्छी रचना है मोहब्बत .है एक मानसी सृष्टि .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    रविवार, 1 जुलाई 2012
    कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?

    डरा सो मरा
    http://veerubhai1947.blogspot.de/

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  20. ऐसी कविताएं आप रचती रहें जिसमें वह “तुम” हो और यह “मुहब्बत”!

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  21. prem ki sundar kashmakash....sach bahut khub...

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  22. मेरी कवितायें मेरी जिंदगी हैं....
    ये मुझे छलती तो हैं ,
    मगर कहती हैं कि
    तुम्हें भी मोहब्बत है मुझसे...

    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति .... !!

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  23. बहुत सुंदर भाव ....मन हिलोर लेता रहता है ....प्रेम और छल के बीच और ढूंढ लाता है अनमोल मोती ...!!यही खोज बनी रहे ....!!
    शुभकामनायें अनु जी .

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  24. बहुत सुन्दर ...हमारी कवितायेँ वह सब कहती हैं....जो हम सुनना चाहते हैं...वह सब दिखाती हैं, जो देखना चाहते हैं........और मोहब्बत ....वहींसे तो उद्गम होता है उसका

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  25. वाह बहुत खूबसूरत एहसास हैं। शुभकामनायें

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  26. Bohot sundar aur saral shabdo me keh diya... really touching :)

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  27. तुम न होते तो किस सत्य के मै गीत गाती.......

    इसलिए पूरक है एकदूसरे के सुंदर रचना !

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  28. बहुत कोमल अहसास..बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...

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  29. wow...must say ...beautiful poetry!!!

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  30. कविताओं में प्रेम है उसके लिए , इसलिए कवितायेँ उससे भी ज्यादा प्रिय होनी ही हैं !

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  31. तुम हो तभी कवितायेँ हैं तुम्हारी.....

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  32. बहुत सुन्दर अनु जी ! बहुत खूबसूरती के साथ भ्रम की सृष्टि की है ! भ्रम की यह स्थति मन को कहीं न कहीं बड़ा सुकून बड़ी आत्मसंतुष्टि दे जाती है ! बहुत ही प्यारी रचना ! बधाई स्वीकार करें !

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  33. kavitayein chhalti nahi saty kahati hain...bahut sundar anu ji....

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  34. मेरे विचार से कविताओं में ही 'तुम' का एहसास भी छुपा होता है

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  35. यह तो वही बात है कि सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी।

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  36. ......बहुत खूबसूरत एहसास ...बेहतरीन रचना

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  37. dil se nikli hui baat hi dil tak pahunchati hai. bahut sundar bhav. aap sachmuch apne dil mein rahti hain.

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    उम्दा प्रस्तुति के लिए आभार


    प्रवरसेन की नगरी
    प्रवरपुर की कथा



    ♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥

    ♥ पहली फ़ूहार और रुकी हुई जिंदगी" ♥


    ♥शुभकामनाएं♥

    ब्लॉ.ललित शर्मा
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  39. क्योंकि इन कविताओं कों आप खुद ही तो बुनती हैं ... जो चाहो कहलवा लो ...
    लाजवाब कविता है ..

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  40. चंद पंक्तिया और बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

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  41. तुम हो तो सब है...!
    बहुत खूब...!

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  42. adrniy anu g nmskr ,aapke dil ki kavyatmak prastuti hain apki sari kavitayen jo kaisa hai meri ek ghazal ki in panktiyon sa bahut kuchh hai .........washington london dimaag se /dil se nai dilli lagti hai........

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  43. मुझमें तू है , तुझमें मैं हूँ ,
    भेद रहा न कोय |
    कुछ इसी तरह की .

    सादर

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