कहते हैं हर रिश्ता मोहब्बत पर टिका होता है .....मगर कुछ रिश्तों की आदत पड़ जाती है........फिर उनमे प्यार हो न हो वे टूटते नहीं.......एक दूसरे की कोई खास ज़रूरत बेशक न हो मगर इक-दूजे बिना काम भी नहीं चलता.......बेशक ढेरों शिकायतें हो एक दूसरे से,मगर हैं संग संग.........
साथ रहने की कोई मजबूरी नहीं फिर भी साथ हैं,साथ की आदत जो है !!!!!
कहीं ये आदत ही तो प्यार नहीं????
साथ रहने की कोई मजबूरी नहीं फिर भी साथ हैं,साथ की आदत जो है !!!!!
कहीं ये आदत ही तो प्यार नहीं????
पुकारता है मुझे
मेरे नाम से
और कहता है कि
पहचानता नहीं !
जानती हूँ कि
वो जानता है मुझे,
और ये भी सच है कि
पहचानता नहीं...
तभी तो
तभी तो
बेपरवाह है मुझसे
कोई फ़िक्र नहीं मेरी...
कहती हूँ
छोड़ दे मेरा साथ...
मगर
ये बात भी मेरी
वो कमबख्त
मानता नहीं...
(भीतर ही भीतर डरती भी हूँ कि कहीं मान न ले...)
-अनु
(भीतर ही भीतर डरती भी हूँ कि कहीं मान न ले...)
-अनु