इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Wednesday, May 30, 2012

उस बहकी रात की याद.......

तुम्हारे साथ बिताया हर एक लम्हा मैंने सजा रखा है अपनी यादों के नन्हे नन्हे कमरों में......
हर कमरे की खिड़की यदाकदा खोल दिया करती हूँ....यादों को धूप दिखाती हूँ ताकि कहीं फफूंद ना पड़ जाये......कुछ देर को जी लेतीं हूँ वो लम्हा फिर से.....और बंद कर देतीं हूँ वो कमरा दोबारा......
बड़ी साज सम्हाल चाहिए होती है यादों को संजोये रखने के लिए.....वरना वक्त की धूल परत दर परत चढती चली जाती है और धुंधला कर देती है यादों को.......


आज मैंने जिस याद का कमरा खोला वो महक रहा था एक भीनी भीनी खुशबु  से.......तुम्हारी खुशबु से.......और अन्दर चारों ओर चांदनी फैली थी जो जाने कैसे कैद हो गयीं थीं यादों के साथ.......
उस रात,दिन भर की बारिश के बाद चाँद निकला था.........बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी उसे ......बार बार बादलों की शैतान टोली उसे धकिया रही थी धूसर गुबार के पीछे.....
नदी का किनारा था और तुम्हारा साथ...................जंगल की गीली खुशबु से मदहोश थे हम दोनों.....
नदी में चाँद  का अक्स कैसा प्यारा दिखता था.......
लहरों के साथ चाँद भी मानों नाच रहा हो........मैं हाथ से पानी को जोर से हिलाती और कुछ देर को गुम हो जाता चाँद .................
तुम कहते देखो बहा दिया तुमने चाँद को नदी में..........मेरे चाँद तो तुम हो,मैंने इठला कर कहा था...
क्या रात थी वो.................
किसी पागल चित्रकार की मास्टरपीस पेंटिंग की तरह.......एक दम परफेक्ट........


तुम मैं और वो चाँद      
सब थे पागल
सब थे बहके..........


चाँद और बादलों के गुच्छे
उलझ पड़ते बार बार
मेरी तुम्हारी तरह......


विस्तृत आकाश
समेटे चाँद को
जैसे तुम्हारे आगोश में
सिमटी थी मैं.....


वो रात गुजर गयी......
बादल उड़ गए...
चाँद जाने कहाँ गया???
और तुम भी तो!!!!


-अनु 


43 comments:

  1. चांद ने आपकी यादों को खूबसूरत बना दिया है..
    चाँद और बादलों के गुच्छे
    उलझ पड़ते बार बार
    मेरी तुम्हारी तरह...... बेहतरीन लगी

    ReplyDelete
  2. लेकिन वह तस्वीर....जड़ गयी है एक फ्रेम में..और वोह पल टंक गया है ...खिड़की पर बंधे उस झूमर में..जो हर हवा के झोके के साथ ..उस रात की याद ताज़ा कर देता है ......बहुत सुन्दर अनुजी

    ReplyDelete
  3. uff...jajbaaton ka ufantaa sailaab...

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  5. बड़ी साज सम्हाल चाहिए होती है यादों को संजोये रखने के लिए... वर्ना यादें यूँ महकती नहीं हैं ... अनुपम शब्‍दों के साथ बेहतरीन प्रस्‍तुति।

    ReplyDelete
  6. सुनहरी यादों की भावमयी प्रस्तुति !!

    ReplyDelete
  7. पता नहीं चाँद के सहारे कहाँ-कहाँ पहुँच जाते हैं हम.....यादों में गुमसुम !!

    ReplyDelete
  8. बहुत ही बढ़िया


    सादर

    ReplyDelete
  9. //यादों को धूप दिखाती हूँ ताकि कहीं फफूंद ना पड़ जाये.....//बहुत सुंदर और गहरी बात....

    सुंदर रचना...
    सादर बधाई।

    ReplyDelete
  10. मधुर कोमल अभिव्यक्ति . ये चाँद भी ना . २४ घंटे रहता तो कित्ता अच्छा होता ना .

    ReplyDelete
  11. चाँद फिर निकलेगा..शायद कोई उजड्ड बादल आ गया होगा रस्ते में..और वो भी.. :)

    ReplyDelete
  12. लहरों में गुम होता चाँद ...पर कहाँ ? फिर झांकने लगता था शांत होते ही लहरों के ...यादों के झुरमुट से आज भी तो दिखता है चाँद .......बस तुम ही तो नहीं हो तभी तो यादों में बसा है ... बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  13. वाह अनु जी, क्या बात है !!!
    बहुत प्यारी अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  14. वो रात गुजर गयी......
    बादल उड़ गए...
    चाँद जाने कहाँ गया???
    और तुम भी तो!!!! sundar

    ReplyDelete
  15. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति.........

    ReplyDelete
  16. बहुत खूबसूरत कविता, बधाई.

    ReplyDelete
  17. kaafi achhaa..kaafii..badhaai..

    ReplyDelete
  18. वो रात गुजर गयी......
    बादल उड़ गए...
    चाँद जाने कहाँ गया???
    और तुम भी तो,,,,,,,भावपूर्ण सुंदर पंक्तियाँ,,,,,,,

    सुंदर प्रस्तुति,,,,,

    RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,

    ReplyDelete
  19. भूमिका में भी काव्य का सा रस ..और कविता तो है ही खूबसूरत.
    शानदार.

    ReplyDelete
  20. " रात " ठहरी कब है ???

    ReplyDelete
  21. प्यारी सी रचना ...

    ReplyDelete
  22. बीती हुई सुनहरी यादें मन को आह्लादित करते हुए क्षण कभी भुलाए नहीं जाते विचारों के प्रवाह के साथ उतरजाते हैं कागजों पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  23. कोमल मखमली भाव , वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

    ReplyDelete
  24. वो रात गुजर गयी......
    बादल उड़ गए...
    चाँद जाने कहाँ गया???
    और तुम भी तो!!!!
    छुप गये हो
    मेरे मन की बदली के आगोश मे ....?

    तभी तो कलम पर उतर आये हैं आज उसी बदली के भीने भीने भाव ......
    :))) बहुत सुंदर रचना ....
    इस तपती गर्मी मे ठंदक सी .....

    ReplyDelete
  25. well.. nothing to say ..lost in words ..you have amazing expressions .[ नाम का असर है ] :)

    बहुत ही अच्छी , कुछ अपनी सी नज़्म ..

    ReplyDelete
  26. भावमयी करती..बेहतरीन रचना...

    ReplyDelete
  27. सुहानी चांदनी रातें ( यादें ) हमें सोने नहीं देती !

    बहुत सुन्दर लिखा है . निशब्द कर दिया .

    ReplyDelete
  28. स्मृतियों को संजोना कोई आपसे सीखे
    सच में भाव विभोर करने वाली रचना

    ReplyDelete
  29. एहसास कों पंख दे दिये हों और मुक्त गगन में छोड़ दिया हो उड़ने के लिए ...
    ये सब कोई कोरी कल्पना नहीं होती ... सच भी होता है ...

    ReplyDelete
  30. dard hai chupa kahin....

    kavita ko ant bahut hi acha diya "aur tum bhi to"

    hamesha ki tarah aapke blog pe aana saarthak hua :)

    ReplyDelete
  31. विस्तृत आकाश
    समेटे चाँद को
    जैसे तुम्हारे आगोश में
    सिमटी थी मैं.....

    very impressive.

    .

    ReplyDelete
  32. और "किसी पागल चित्रकार की मास्टरपीस पेंटिंग की तरह" ही एकदम परफेक्ट है यह पोस्ट..
    पढ़ने के बाद खुद के भी बीते दिन अनायास ही याद आ जाते हैं!!

    ReplyDelete
  33. जो भी है,बस यही इक पल है।

    ReplyDelete
  34. सुन्दर भावपूर्ण प्यारी सी रचना ..अनु सस्नेह...

    ReplyDelete
  35. वो रात गुजर गयी......
    बादल उड़ गए...
    चाँद जाने कहाँ गया???
    और तुम भी तो!!!!

    ....लेकिन उन पल की यादें हमेशा साथ रहती हैं...बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  36. वो रात गुजर गयी......
    बादल उड़ गए...
    चाँद जाने कहाँ गया???
    और तुम भी तो!!!!
    behad sundar rachna anu ji,

    ReplyDelete

नए पुराने मौसम

मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...