इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Friday, May 25, 2012

वो पनीली आँखें.....

[भास्कर भूमि में प्रकाशित  http://bhaskarbhumi.com/epaper/index.php?d=2012-05-26&id=8]

स्तब्ध सी !
शून्य में ताकती
सूनी सूनी सी
वो खाली आँखें...


सूखे होंठों वाले
उदास चेहरे पर टंकी
डबडबाई सी
वो  पनीली आँखें...


बंजर  पड़ी
ह्रदय भूमि को
जब तब
आंसुओं से सींचती,
जाने क्यों कभी
हँसती नहीं
वो नीली आँखें...


शायद कुछ छिपा रखा है
मन की सिलवटों के पीछे..
पढ़ न ले कोई
उसकी  कहानी,
इसलिए अकसर 
झुका रखती है
वो पथरीली  आँखें....


जाने कैसा  
भाग्य लिए जन्मीं, 
तब से अब तक 
बस बरसीं जब तब .....
सूख गयीं अब तो
वो कंटीली आँखें....


अपने हर स्वप्न को
मरते देखती
अपनी ही आँखों से... 
उस मासूम सी
लड़की की
वो सीली आँखें...


-अनु 


"ह्रदय तारों का स्पंदन"
साहित्य प्रेमी संघ के तत्वाधान में प्रकाशित "ह्रदय तारों का स्पंदन"'का विमोचन हुआ है|मैं भी इस संकलन का हिस्सा हूँ|इसमें ३० कवियों की  कृतियाँ  शामिल है|
इस लिंक पर आकर अपना बहुमूल्य मत प्रकट कर अनुगृहित करें|
आभार.

36 comments:

  1. अपने हर स्वप्न को
    मरते देखती
    अपनीं ही आँखों से...
    उस मासूम सी
    लड़की की
    वो सीली आँखें
    बेहतरीन भाव संयोजित किये हैं आपने ...आभार

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  2. शायद कुछ छिपा रखा है
    मन की सिलवटों के पीछे..
    पढ़ न ले कोई
    उसकी कहानी,
    इसलिए अकसर
    झुका रखती है
    वो पथरीली आँखें....भावप्रवण रचना , झुकी आँखों की तहरीरें भी पढ़ी जाती हैं

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  3. खूब पढ़ा है आपने उन आँखों की सच्चाई को ......सुन्दर !

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  4. बेहतरीन । समझ नहीं आ रहा है कि रचना ज्यादा खूबसूरत है या रचल ( नीली आँखों वाली अंग्रेज़ युवती ) ।
    तस्वीर पर खरी उतर रही है यह सुन्दर कविता । बधाई जी ।

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  5. अपने हर स्वप्न को
    मरते देखती
    अपनीं ही आँखों से...
    उस मासूम सी
    लड़की की
    वो सीली आँखें.......बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति..सस्नेह अनु..

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  6. बेहतरीन भाव, आभार

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  7. जाने क्या क्या कह गईं ये आँखें...बहुत सुन्दर .

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  8. ये सीली सीली आँखें गजब ढा रही हैं .... सारी उपमाएँ दे दीं हैं आँखों को ... बहुत सुंदर रचना ...

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  9. ...ये आँखें चुप रहकर भी बहुत कुछ कहती हैं,
    हर बार ,हर तरह !

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  10. जाने कैसा
    भाग्य लिए जन्मीं,
    तब से अब तक
    बस बरसीं जब तब .....
    सूख गयीं अब तो
    वो कंटीली आँखें....

    Bahut behtareen bhaav !

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  11. भावपूर्ण...
    भावों का समंदर होता है आँखों में, सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है आँखों को!
    संकलन में प्रकाशित होने हेतु बधाई:)

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  12. आंखें दिल का आईना होती हैं... लेकिन इतनी खूबसूरत आंखों में इतनी उदासी क्यों.. कुछ ज्यादा ही दर्द भर दिया है आपने इन आंखों में.. अरे थोड़ी हंसी भी डालिए :)

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  13. अपने हर स्वप्न को
    मरते देखती
    अपनीं ही आँखों से...
    उस मासूम सी
    लड़की की
    वो सीली आँखें...बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति.....

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  14. ''उदास आंखों से सहिल को देख्ने वाले ...
    हर इक मौज की आगोश मे किनारा है ...!''
    सब कूछ आंखों मे ही होता है ...
    मन का विशाल समुंदर ...यहीं बहता है ...!!
    दर्द हो या खुशी सब यहीं बसता है ...!!
    सुंदर अभिव्यक्ति ....
    कविता के संकलन की बहुत बहुत बधाई ...!!

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  15. Bohot hi pyara....beautiful post :)

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  16. शायद कुछ छिपा रखा है
    मन की सिलवटों के पीछे..

    जी हाँ हर आँख के पीछे एक स्वप्न तो है ही
    सुन्दर रचना

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  17. कितना कुछ कह गईं ये पनीली नीली आँखें...
    लाजवाब रचना....

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  18. पढ़ न ले कोई
    उसकी कहानी,
    इसलिए अकसर
    झुका रखती है
    वो पथरीली आँखें....
    ,बेहतरीन रचना,,,,,

    MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,

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  19. bahut achche bhaavon ko khoobsoorati sanjoya hai aap ne

    badhai
    -ckh-

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  20. आँखों की विभिन्न भंगिमाएं और परिकल्पनाए चित्र के माध्यम से सटीक उकेरा गई आपने . लेकिन सागर वाली गहराई ढूढते रह गए हम . कविता संकलन आपकी कविता से सम्मानित हुआ होगा .

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    Replies
    1. दुःख का सागर था आशीष जी......गहराई बाहर से नज़र कहाँ आती....

      और हम तो इस कविता संकलन का नन्हा सा हिस्सा है बस :-)

      शुक्रिया

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  21. आँखों की भाषा को परिभाषा में ढाल दिया..बहुत सुंदर रचना अनुजी !!

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  22. अच्छा लिखा, लोग, लोगों का भावनात्मक शोषण बडी मासूमी के साथ कर रहे है. बेहरबानी करके इलाज बताइए कि इन से निजात कैसे मिलेगी.

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  23. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना.सुन्दर प्रस्तुति.


    दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में .....

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  24. आँखों के कितने ढंग से प्रस्तुत किया है...
    भाव में बहती...सुन्दर रचना....
    सुन्दर ,सुन्दर,सुन्दर :-)

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  25. बहुत ही सुन्दर अनु जी
    ये पनीली आँखें इतना कुछ छुपाये हुए हैं अपने भीतर
    सुन्दर शब्द चित्रण

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  26. बहुत बहुत शुक्रिया यशवंत....

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  27. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति!

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  28. बहुत मार्मिक अनु जी... सौभाग्य निखरे और स्वप्न पुनः जीवंत हों, साकार हों..
    सादर
    मधुरेश

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  29. आपकी आँखों के नूर, पनीलेपन और सीलेपन में हम भी बह गए ! बहुत ही प्रभावशाली रचना ! बधाई !

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  30. पढ़ न ले कोई
    उसकी कहानी,
    इसलिए अकसर
    झुका रखती है
    वो पथरीली आँखें....... बेहद खूबसूरती से संजोया है आँखों डूबते उतरते भावों को .....सुन्दर रचना के लिए बधाई!

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