इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Friday, February 24, 2012

झूठा ही सही...पल भर को कोई हमें प्यार कर ले.

कल रात......
एक सफ़ेद बादल का टुकड़ा खिडकी से भीतर चला आया.....मेरे सिरहाने बैठा कुछ पल को....फिर हौले से बाहें पकड़ कर ले चला मुझे अपने साथ......मैं भी जैसे उतावली थी कहीं भाग जाने को.....चल पड़ी साथ उसके,नील गगन में कहीं......आसमां के बिछौने में सुला दिया दिया उसने मुझे...खुद तकिया बन गया मेरा.....बहुत सुखद था यूँ किसी का प्यार करना...किसी का ध्यान पूरी तरह अपनी ओर पाना..
मीठी सी नींद आने लगी...टिमटिमाते तारों से कहीं खलल ना पड़े,सो उसने उन्हें छुप जाने का हुक्म दिया.....कहीं चाँद के पीछे...कितनी परवाह है उसे मेरी........
फिर वो सुनाने लगा किसी सुन्दर परी जैसी राजकुमारी की कहानी....जो अभी अभी  भाग गयी है अपने महल से किसी आवारा बादल के साथ......
मैंने कहा सुनो....मुझे जगाना नहीं....इसी ख्वाब के साथ सोने दो मुझे....सदा के लिए......ख्वाब में ही सही,कभी  मोहब्ब्त का एहसास तो करूँ.....

"खिड़कियाँ देर से खोलीं,ये बड़ी भूल हुई 
हम तो समझे थे,कि बाहर भी अँधेरा है." 













-अनु 








14 comments:

  1. खिड़कियाँ देर से खोलीं,ये बड़ी भूल हुई
    हम तो समझे थे,कि बाहर भी अँधेरा है."

    Aksar Sbhi Der Kar Dete Hain.... Sunder Post

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  2. शुक्रिया मोनिका जी...

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  3. खूबसूरत अश'आर !
    बधाई!

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  4. @
    """खिड़कियाँ देर से खोलीं,ये बड़ी भूल हुई
    हम तो समझे थे,कि बाहर भी अँधेरा है."

    वाह, क्या बात कही है!

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  5. खुबसूरत पोस्ट।
    होली मुबारक .गुलाल ,मुबारक,अबीर और गुझिया खाओ रंग लगाओ ..

    मैं क्या करूं मुझे आदत है मुस्कुराने की ,

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  6. चाँद , बादल और खिड़की ... बस और क्या चाहिए ...

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  7. खिड़कियाँ देर से खोलीं,ये बड़ी भूल हुई
    (जैसे यहाँ आने में मुझे भी थोड़ी देर हो गई )
    हम तो समझे थे,कि बाहर भी अँधेरा है."
    अक्सर समझने में भूल हो जाती है .... !!

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  8. घूंघट के पट खोल रे ...
    तोहे पिया मिलेंगे ...
    बहुत सुन्दर ख़ाब अनु ...

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  9. अनु जी.... क्या बात है-

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  10. "खिड़कियाँ देर से खोलीं,ये बड़ी भूल हुई
    हम तो समझे थे,कि बाहर भी अँधेरा है."

    :( :(

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  11. मैं पूरी जिम्मेदारी से ये बात कहना चाहता हूँ कि आपकी कुछ रचनाएं आम रचनाओं से बहुत ऊपर हैं मतलब गुलज़ार साब वाले level के करीब , ये भी उनमे से ही है |

    सादर
    -आकाश

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  12. Wah kya likha hai aapne.Sachi mohabbat bade kaam ki cheez hai.....Anulata ji love u..:)

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