इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Thursday, February 23, 2012

खेल....

आपके सामने है मेरे दिल का एक पन्ना ....
धीरे धीरे सारी किताब पढ़  लेंगे...तब जान भी जायेंगे मुझे....कभी  चाहेगे...कभी नकारेंगे... यही तो जिंदगी है...!!!


अपनी जिंदगी के साथ बड़ी बद्सलूकियाँ की मैंने...कभी कहा नहीं माना उसका.तंग करती रही उसको सदा......नयी नयी चुनौतियां देती रही .
उसके प्रति क्रूरता शायद मेरा स्वभाव बन गया था...और नियमों को तोडना मेरी आदत.
ऐसी विचित्र हरकतें करती मैं खुद कौन सा सुखी थी..आखिर जिंदगी मेरी थी..जब उसे चैन नहीं तो मुझे कहाँ चैन मिलता???
मगर बहुत हुआ अब!!जिंदगी को तंग किया सो किया...अब मौत को ज़रा ना सताऊंगी.जिस रोज देगी दस्तक,उसी पल बिना गिला-शिकवा किये  चल दूँगी उसके साथ.
जिंदगी को आखरी शिकस्त देने का ऐसा सुनहरा मौका मैं  चूकुंगी भला!!!!

-अनु


6 comments:

  1. जीवन तो हर रंग लिए होता है........ स्वागत आपका

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  2. आपके पन्ने पढ़े... भाव यूँ सहेज लिए जाते हैं तो कभी बाद में अपना लिखा हुआ ही खुद को बहुत सुकून देता है...
    लिखते रहिये!
    शुभकामनाएं!

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  3. ज़िंदगी को शिकस्त यूं ही तो दी जा सकती है .... दर्द को भी चुनौती से लिखा है ...

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  4. M happy dat u found ma blog otherwise i cud nvr find dis lovely blog of urs.. read evry line, heard evry unsaid word... smelled ol da love, shed evry tear of pain... keep writing... May Ramji bless u :)

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  6. जिंदगी भले ही सुकून से गुजर रही है ,
    पर आज भी मेरा हर पल एक चुनौती है ,
    और सुकून आता है मुझे ,
    उस चुनौती को स्वीकार करने में |
    सुकून मिलता है मुझे ,
    उस चुनौती को पूरा करने में |
    शायद इसीलिए ,
    जिंदगी 'सुकून' से गुजर रही है ||
    -आकाश

    ये शायद आपकी पहली रचना है (अगर मैं गलत हूँ तो मैं क्षमा चाहता हूँ ), लेकिन किसी अनुभवी लेखक से कम नहीं है |

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