इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Monday, June 22, 2015

लड़कियाँ


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हंसती हुई लड़कियों के भीतर
उगा होता है एक दरख़्त
उदासियों का,
जिनमें फलते हैं दर्द
बारों महीने...
और ठहरी हुई उदास आँखों वाली
लड़कियों के भीतर
बहता है एक चंचल झरना
मीठे पानी का...

आसमान की ओर तकती लड़कियों में
नहीं होती एक भी ख्वाहिश
एक भी उम्मीद ,
कि उसने नाप रखी है
अपने मन से
क्षितिज तक की दूरी....
और पलकें झुकाए
अंगूठे से ज़मीन कुरेदती लड़की
दरअसल
बुन रही होती है एक साथ
कई कई रूपहले सपने
मन ही मन में
गुपचुप गुपचुप|
सिले हुए होंठों वाली लड़कियां
गुनगुनाती हैं
नहीं सुनाई पड़ने वाले
एकाकी प्रेम गीत
जिन्हें वे खुद ही गुनती हैं, खुद ही सुनती है...
और सड़कों पर उतरीं
नारे लगाती,विरोध करती , चिल्लाती लड़कियां
होती हैं एकदम ख़ामोश !
इनके भीतर पसरा होता है एक निर्वात
कि उनकी आवाज़ कहीं तक पहुँचती नहीं !!
लड़कियां नायिकाएं नहीं होती....
कहानियों का सबसे झूठा किरदार होती हैं लड़कियां !!
~अनुलता ~

आप सभी के ब्लॉग पर अपनी अनुपस्थिति के लिए क्षमा चाहती हूँ....उम्मीद है अब इतने बड़े अंतराल न होंगे....

Thursday, February 26, 2015

world book fair

इस बार "विश्व पुस्तक मेला " देखने दिल्ली जाना हुआ.....
अपने पहले काव्य संग्रह "इश्क़ तुम्हें हो जाएगा "को प्रकाशक "हिन्दयुग्म" के स्टाल पर सजा हुआ देखने का अपना ही सुख था... कुछ प्रिय पाठकों  को हस्ताक्षरित प्रति देते समय जो अनुभूति हुई वो अविस्मर्णीय है!

काव्य संग्रह इन्फीबीम और अमेज़न में उपलब्ध है...

http://www.infibeam.com/Books/ishq-tumhen-ho-jayega-hindi-anulata-raj-nair/9789381394861.html

http://www.amazon.in/Ishq-Tumhen-Jayega-Anulata-Nair/dp/9381394865/ref=pd_rhf_pe_p_img_1

मेले में बहुत से ब्लॉगर और फेसबुक से जुड़े मित्रों से मिलना हुआ....साहित्यिक गतिविधियों का आनंद लिया |
अब अगले बरस के इंतज़ार में.....






Wednesday, January 14, 2015

"पेशावर"


एक दर्द सा बहता आया है
कुछ चीखें उड़ती आयीं है
दहशत की सर्द हवाओं के संग
खून फिजां में छितराया है....

कुछ कोमल कोमल शाखें थीं
कुछ कलियाँ खिलती खुलती सीं
एक बाग़ को बंजर करने को
ये कौन दरिंदा आया है ?

हैरां हैं हम सुनने वाले
आसमान भी गुमसुम है,
कतरा कतरा है घायल
हर इक ज़र्रा घबराया है.....

टूटे दिल और सपने छलनी
इक खंजर पीठ पे भोंका है
घुट घुट बीतेंगी अब सदियाँ
ज़ख्म जो गहरा पाया है....

 11 जनवरी 2014 दैनिक भास्कर "रसरंग " में प्रकाशित
http://epaper.bhaskar.com/magazine/rasrang/211/11012015/mpcg/1/

नए पुराने मौसम

मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...