इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Tuesday, December 2, 2014

दर्द का कोई आकार नहीं होता
दुःख का कोई रंग नहीं
महकती नहीं उदासियाँ 

मन के सारे भेद खोल देती है
एक आह !
उलझे बालों की लटें
कसी मुट्ठियाँ
और भिंचे दांत !!

उतरे चेहरे,
शिकन पड़ा हुआ माथा
पपडाए होंठ
आवाज़ की लर्जिश
और गुलाबी डोरों वाली आँखे
कर देती हैं चुगलियाँ !

वरना रंजो ग़म की दास्तानें यूँ सरेआम नीलाम न होतीं.....
~अनुलता ~

14 comments:

  1. दर्द का प्रतिबिम्ब - बहुत सुन्दर!!

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. बहुत बढ़िया अनु, ..

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  4. बहुत सुन्दर अनु जी ! सच है दर्द का ना कोई आकार होता है ना ही उसे नापने के लिये कोई पैमाना ! मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति !

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  5. दर्द का कोई आकार नहीं होता

    दुःख का कोई रंग नहीं
    महकती नहीं उदासियाँ

    सच कहा आपने दर्द का कोई आकार नहीं होता।
    सुंदर पंक्तियां।

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  6. आह ये चुगलियाँ ... जो न होतीं
    क्या खूब बयाँ किया है दर्द .

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  7. dard ka koi aakar va rang nahi hora.... bahut sunder dard ka bayaan.....umda rachna

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  8. dard ka koi aakar va rang nahi hota.... bahut sunder dard ka bayaan.....umda rachna

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  9. मन पर और कई बार आँखों पर भी बस नहीं होता ...
    सामने ले आते हैं सभी भाव ...

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  10. उतरे चेहरे,
    शिकन पड़ा हुआ माथा
    पपडाए होंठ
    आवाज़ की लर्जिश
    और गुलाबी डोरों वाली आँखे
    कर देती हैं चुगलियाँ !

    वरना रंजो ग़म की दास्तानें यूँ सरेआम नीलाम न होतीं.....

    अद्भुत।।।

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  11. सूंदर अभिव्यक्ति

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