वो उदास आँखों वाली लड़की
सुर्ख फूल
सब्ज़ पत्ते
नर्म हवा
रुकी रुकी बारिश
और मिट्टी की सौंधी महक को चाहने वाली,
माहताब से बदन वाली
वो लड़की...
उदास रहती थी
पतझड़ में.
उसे सूखी ज़मीन और नीला आसमान ज़रा नहीं भाते
उसकी आँखों को चूमे बिना ही
चखा है मैंने
कोरों पर जमे नमक को...
एक रात नींद में वो मुस्कुराई
और बादल उसके इश्क में दीवाना हो गया....
यकीन मानों
खिली धूप में
बेमौसम बारिश
यूँ ही ,बेमकसद नहीं हुआ करती....
(न कोई अनमेल ब्याह,न अपवर्तन के नियम....)
नीले आसमान पर
लडकी के लिए मैंने लिखी जो दुआ
वही तो है ये इन्द्रधनुष...
अनु
(ये रचना कादम्बिनी के अगस्त अंक २०१३ में छपी )
सुर्ख फूल
सब्ज़ पत्ते
नर्म हवा
रुकी रुकी बारिश
और मिट्टी की सौंधी महक को चाहने वाली,
माहताब से बदन वाली
वो लड़की...
उदास रहती थी
पतझड़ में.
उसे सूखी ज़मीन और नीला आसमान ज़रा नहीं भाते
उसकी आँखों को चूमे बिना ही
चखा है मैंने
कोरों पर जमे नमक को...
एक रात नींद में वो मुस्कुराई
और बादल उसके इश्क में दीवाना हो गया....
यकीन मानों
खिली धूप में
बेमौसम बारिश
यूँ ही ,बेमकसद नहीं हुआ करती....
(न कोई अनमेल ब्याह,न अपवर्तन के नियम....)
नीले आसमान पर
लडकी के लिए मैंने लिखी जो दुआ
वही तो है ये इन्द्रधनुष...
अनु
(ये रचना कादम्बिनी के अगस्त अंक २०१३ में छपी )