पश्मीना शाल लपेटे
कार में
काँच बंद
हीटर ऑन किये
काँच बंद
हीटर ऑन किये
ठिठुर रही थी मैं
उस सर्द और सूनी रात...
उस सर्द और सूनी रात...
नज़र पड़ी फुटपाथ पर,
एक नन्ही सी बच्ची
चंद चीथड़ों में लिपटी
अपनी माँ के सीने से लगी
सो रही थी सुकून से...
ज़ेहन में ख़याल आया
ज़ेहन में ख़याल आया
जाने कैसे उन्हें नींद आती होगी ??
सर्दी नहीं सताती होगी ??
सर्दी नहीं सताती होगी ??
शायद नहीं सताती.
उनके पास
एक दूसरे के
एक दूसरे के
प्यार की गरमाहट जो है....
मेरी सर्द उंगलियां
कस गयीं स्टीयरिंग व्हील पर
आँखों पर धुंध सी छा
गयी.
रात ठिठुरते,करवटें बदलते गुज़री...
रात ठिठुरते,करवटें बदलते गुज़री...
-अनु