कल रात
चाँद यूँ ठहरा
मेरे पहलु में आकर
जैसे आया हो
कभी न जाने के लिए...
मैं
चाँद
और मोहब्बत...
बंद कर लिए किवाड़ हमने
कभी न खोलने के लिए....
कसमें खायीं
चाँद ने मेरी,
मैंने चाँद की
मोहब्बत ने
मेरी और चाँद की भी.
कसमें..
कभी न तोड़ने के लिए...
आखिर दिल क्या चाहता है ?
सच्चा इश्क ? ?
याने-
चाँद रात
नर्म लहजा
जज़्बात
करीबियां
और चंद झूठी कसमें !!
-अनु
चाँद यूँ ठहरा
मेरे पहलु में आकर
जैसे आया हो
कभी न जाने के लिए...
मैं
चाँद
और मोहब्बत...
बंद कर लिए किवाड़ हमने
कभी न खोलने के लिए....
कसमें खायीं
चाँद ने मेरी,
मैंने चाँद की
मोहब्बत ने
मेरी और चाँद की भी.
कसमें..
कभी न तोड़ने के लिए...
आखिर दिल क्या चाहता है ?
सच्चा इश्क ? ?
याने-
चाँद रात
नर्म लहजा
जज़्बात
करीबियां
और चंद झूठी कसमें !!
-अनु