मेरी यह रचना दैनिक भास्कर-मधुरिमा में प्रकाशित की गयी हैं.21/12/2011
गुलाबी सर्दी की दोपहर को
आँगन में बैठी
ऊँघ रही थी..
आँगन में बैठी
ऊँघ रही थी..
दरवाज़े पर आहट हुई..
देखा कोई लंबी दाढ़ी वाला ...
देखा कोई लंबी दाढ़ी वाला ...
बूढा सा राहगीर...
कहने लगा सपने लाया हूँ...
लोगी क्या ??
लोगी क्या ??
मुझे हैरानी हुई..
सपनों का सौदागर !!!
सपनों का सौदागर !!!
उत्सुकतावश पूछ बैठी
कहो क्या मोल है ?
कहो क्या मोल है ?
मुस्कुरा कर वो बोला
अनमोल सपनों का भला क्या मोल !!!
मुफ्त ही बाँट रहा हूँ.
अनमोल सपनों का भला क्या मोल !!!
मुफ्त ही बाँट रहा हूँ.
मैंने कुछ सकुचा के पूछा..
सुखद से सुखद स्वप्न भी मुफ्त ???
सुखद से सुखद स्वप्न भी मुफ्त ???
उसने जवाब दिया
हाँ....हर स्वप्न मुफ्त ,
हाँ....हर स्वप्न मुफ्त ,
क्यूँकि किसी के भी
पूरा होने का कोई बंधन नहीं..
कोई शर्त नहीं..
पूरा होने का कोई बंधन नहीं..
कोई शर्त नहीं..
फिर उनका क्या मोल ??
जो चाहे देखो.....
जो चाहे देखो.....
-अनु
सपने तो अनमोल होते ही है इनको देखने वाली आँखों पर निर्भर करता है की वो कैसे इनको साकार करने के लिए अपने स्वामी को उत्प्रेरित करती है और सपनो के अनमोलता नई उचाई देती है . ले लीजिये विविधता पूर्ण सपने और स्वप्नदर्शी बनिए .
ReplyDeleteकल 19/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
चलिए,आज ही आजमाता हूँ नया नुस्खा !
ReplyDeleteस्वप्न या ख्वाब अपनी मर्जी के तो मोल कैसा ...
ReplyDeleteदेखते हैं हम भी :)
छपने की बधाई !
सपने तो सपने होते है चाहे छोटा हो या बड़ा होते अनमोल है ..बहुत सुन्दर अनु..शुभकामनाएं..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...बिलकुल नया ख़याल लगा .......अगर यह सपने ही किस के दोबारा उठकर जीने की वजह बन जाते हैं...तो वाकई अनमोल हैं
ReplyDeletejo bandhan mukt ho vo to vaise hi anmol hai.
ReplyDeletesunder abhivyakti.
अरे ये तो सैन्टा कलॉज़ के ख्वाब हैं... मोल नहीं अनमोल हैं .......पहले मुफ्त मे मिल जायेंगे फिर इन्हें पूरा करने के लिये अथक परिश्रम करना होगा ...तभी धुन के पक्के होते है सपने देख्ने वाले....
ReplyDeleteसुंदर रचना शुभकामनायें अनु.
पूरा होने का कोई बंधन नहीं..
ReplyDeleteकोई शर्त नहीं..
इस लिए अनमोल स्वप्न है .... बहुत खूब
वाह अनु जी अच्छी रचना हैं मधुरिमा में छपने के लिए बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteसपने में भी अगर सपनों का सौदागर आ जाए....तो उसे खाली हाथ वापस नहीं भेजना..! उससे सपने लेकर उसकी झोली भी भर देना...और अपनी भी... :-))
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति अनु जी !
वाह ... बहुत खूब ... आभार
ReplyDeleteमधुरिमा में प्रकाशन के लिए बधाई ... यूँ ही लेखनी का जादू चलता रहे
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeleteक्या बात है!
ReplyDeleteआज से हम भी जुड़ गये आपके दिल के कनेक्शन में ,
ReplyDeleteपढने आपके जब्बात को आयेंगे आपके ब्लॉग सेक्शन में.
आमिर आपका प्रशंशक बनकर देता है शुभकामना ,
आपका ब्लॉग हमे तो लगता आपके दिल का आइना.
All the Best Annu.............
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
A vida sem sonhos perde a alegria..
ReplyDeleteabraço do Brasil!!
this is Portuguese which means-
Deletelife without dreams lose the joy ....
Hug from Brasil.
:-)
सपने देखने तो जरुर चाहिए आखिर वे अनमोल जो हैं..
ReplyDeleteसुन्दर रचना.
छपने की बधाई :)
अनमोल सपने .... पूरे हुए तो वाह , न हुए तो चलो सपनों ने दिल तो बहलाया
ReplyDeleteसपने देखने में क्या बुरा है..
ReplyDeleteमिले तो अपना नहीं तो सपना.
बहुत बहुत प्यारी और सुन्दर रचना..:-)
पूरा होने का कोई बंधन नहीं
ReplyDeleteकोई शर्त नहीं
फिर उनका क्या मोल
जो चाहे देख लो...
वाह! ऐसे तो कभी सोचा ही नहीं था!!
जबरदस्त-प्रस्तुति
ReplyDeleteमन-भावन सपने सजे, मजे दार हैं मित्र ।
वैसे तो अनमोल हैं, लेकिन बात विचित्र ।
लेकिन बात विचित्र, मुफ्त बांटे सौदागर ।
तरह तरह के भेद, छाँट लो बढ़िया सादर ।
दिवास्वप्न हैं व्यर्थ, बिछाओ प्रेम-विछावन ।
ले लो गहरी नींद, देख सपने मनभावन ।।
बहुत सुन्दर रविकर जी...
Deleteआपके दिए चार चाँद की तो सदा प्रतीक्षा रहती है मेरी रचनाओं को :-)
what fun if there is no guaranty ?
ReplyDeleteवाह ..
ReplyDeleteवहां पे मैं होती तो ..
ढेर सारे अच्छे सपने ले लेती उससे ..
ताकि सपने में भी कभी बुरे हालात न आए ..
समग्र गत्यात्मक ज्योतिष
वाह . बहुत खूब .
ReplyDeleteजिंदगी में आधी खुशियाँ तो सपनों में ही मिलती हैं . :)
बिना सपनों के जिंदगी व्यर्थ है
ReplyDeleteस्वप्न आपको आपके अंदर जिंदा रखती है ....
उत्कृष्ट सोच से सजी रचना ..
सादर !!
सपने सचमुच अनमोल होते हैं!
ReplyDeleteसपने बुने जाते है
ReplyDeleteसपने देखे जाते है
सुनता आया था
सपने बेचे भी जाते है
आज पता चल गया !
अनमोल सपनों का भला क्या मोल
ReplyDeleteसपने तो सचमुच अनमोल होते है,,,,,,
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
Really nice poem Annu ji. Thanx for sharing with us.
ReplyDeleteजब तक मात्र ख्वाब हैं तब तक ही ख्वाब हैं और अनमोल हैं यदि कोई पूरा हुआ तो फिर हकीकत बन जाता है ... भूत सुंदर रचना
ReplyDeleteLoved it....Big Hug :)
ReplyDeleteअजी आपका इशारा कहीं सोनिया के पूडल मोहना की तरफ तो नहीं है मेरा मतलब गोदिया पपी सपने यह अंडर परफोरमर भी बहुत बेचा किए .
ReplyDeleteअनु जी बहुत अच्छा लिखा है ,
बहुत ठीक किया है ,
कहते हैं न...
ReplyDeleteसपना कभी न अपना :)
सपनों में कल्पनाएँ होती हैं और कल्पनाएँ तो भविष्य का रफ स्केच होती हैं | सपने खूब और खूब देखने चाहिए , लेकिन यह किसी के बस में कहाँ | यह तो बस बादल की तरह तैरते तैरते कब आँखों में आ बसते हैं , पता नहीं चलता | सपनों जैसा ही नर्म एहसास कराती आपकी एक और उत्कृष्ट रचना |
ReplyDeleteThis poem is fresh and I wish somebody sells me lovely dreams. Beautiful to the core. :)
ReplyDeleteCongratulations on being published, though it is very late:)
anu jee...
ReplyDeletesapne liye aapne phir?
मुफ्त में जो मिले उसे कौन छोड़ता है :-)
Deleteक्या पता कोई पूरा हो जाए...
उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteआइये पाठक गण स्वागत है ।।
लिंक किये गए किसी भी पोस्ट की समालोचना लिखिए ।
यह समालोचना सम्बंधित पोस्ट की लिंक पर लगा दी जाएगी 11 AM पर ।।
बेहद सुन्दरता से वर्णन किया है
ReplyDelete(अरुन शर्मा = arunsblog.in)
really di , if u buy kindly get one for me . lovely poem .
ReplyDeleteits free dear...u can get as many as u want.
Delete:-) and hope they all come true.
<3
बहुत सुंदर कविता। हम स्वप्न भी तोल मोल कर देखने लगे हैं।
ReplyDeleteSapne hi to insaan ko jinda rakhti hain..
ReplyDeletebahut hi sundar rachna..
यह तो विज्ञान गल्प कविता (साईंस फिक्शन पोएट्री ) हो गयी -क्या पता ऐसी जुगतें भविष्य में मिलने लगें को लोगों को उनके मनचाहे सपने दिन में दिखा सकें -सपने पूरे ही हो जायं इसकी कोई गारंटी कभी नहीं रही .... :-)
ReplyDeleteAtyant hi sunder rachna!
ReplyDeleteसही कहा वाकई anmol sapno ka koi mol nahi . sundar prastuti .badhai anu जी.
ReplyDeleteare waah ...bahut acchi abhiwayakti.... tere bin pr aapka intjaar ....
ReplyDeleteअच्छी रचना .
ReplyDeleteअच्छी रचना .
ReplyDeleteदिवास्वप्न मत देखिए, करके आँखें बन्द।
ReplyDeleteमन से पूरे कीजिए, किये हुए अनुबन्ध।।
स्वप्न बादल
ReplyDeleteनेह की सरिता को सींचा
स्वप्न की
नियति समन्दर
.हर स्वप्न मुफ्त ,
ReplyDeleteक्यूँकि किसी के भी
पूरा होने का कोई बंधन नहीं..
कोई शर्त नहीं..
फिर उनका क्या मोल ??
जो चाहे देखो.....
.....वाह! लाज़वाब अभिव्यक्ति....
बेहद खूबसूरत ,बहुत बढ़िया प्रस्तुति!आभार .
ReplyDeleteसादर
आपका सवाई
ऐसे नबंरो पर कॉल ना करे. पढ़ें और शेयर
Beautiful!!
ReplyDeleteसपने तो सुहाने होंगे ही, उनके पूरा होने की शर्त जो नहीं है... :)
ReplyDeleteकृपया अपने ब्लॉग से टिप्पणी-नियंत्रण हटा लें...
ReplyDeleteबिना छाने चाय भी कहाँ पीते हैं गायत्री जी...
Deleteबेफिक्र रहें....हर टिप्पणी जो मेरी रचना पर की गयी है बाकयेदा पब्लिश होगी...चाहे कड़क निंदा ही क्यूँ न हो :-)
सादर
बहुत ही अच्छी.... जबरदस्त अभिवयक्ति....
ReplyDeleteफैशन के इस दौर में गारंटी की इच्छा ना करें.
ReplyDeleteउम्दा!
आशीष
--
इन लव विद.......डैथ!!!
wow...great thought....thankyou for being on my blog :)
ReplyDeleteaapki 200th follower :)
ReplyDeleteso sweet of u saumya.
Deletebless u :-)
सुन्दर,किन्तु अपूर्ण का भाव देती रचना.
ReplyDeleteबहुत ही ज्यादा सुन्दर , (और यहाँ तो हमारे आपके शीर्षक भी मिल गए)
ReplyDelete:)
सादर