नागवार गुज़रा मुझे
उसका यूँ चले जाना....
चोट लगी, दिल पर
और अहम् पर भी ...
लहुलुहान से मन ने मन्नतें मांगी
न सुनी उसने, न मेरे खुदा ने...
न वो आया, न खुदा आया...
कड़वा हो चला मन ,बहुत तिलमिलाया...
टोने टोटके जादू जंतर सब फूंके..
मगर सब दिल को बहलाने के चोचले निकले..
न सुनी उसने, न मेरे खुदा ने...
न वो आया, न खुदा आया....
थक हार कर अनमने से मेरे मन ने भी
उसका यूँ चले जाना....
चोट लगी, दिल पर
और अहम् पर भी ...
लहुलुहान से मन ने मन्नतें मांगी
रोया गिड़गिडाया मेरा आहत ह्रदय..
आंसू बहाते बहाते मंदिरों की सीढियां भी धो आया..न सुनी उसने, न मेरे खुदा ने...
न वो आया, न खुदा आया...
कड़वा हो चला मन ,बहुत तिलमिलाया...
पीपल पर मन्नत के धागे बांधे
तांत्रिक-पंडित तंत्र-मंत्र सबकी राह पकड़ी..टोने टोटके जादू जंतर सब फूंके..
मगर सब दिल को बहलाने के चोचले निकले..
न सुनी उसने, न मेरे खुदा ने...
न वो आया, न खुदा आया....
थक हार कर अनमने से मेरे मन ने भी
मुझे मेरे अच्छे व्यवहार के कारण
ReplyDeleteशायद जल्द रिहा कर दिया गया था
गहन भाव लिए ... उत्कृष्ट लेखन ...आभार ।
कड़वा हो चला मन ,बहुत तिलमिलाया...
ReplyDeleteपीपल पर मन्नत के धागे बांधे
तांत्रिक-पंडित तंत्र-मंत्र सबकी राह पकड़ी..
टोने टोटके जादू जंतर सब फूंके..
मगर सब दिल को बहलाने के चोचले निकले..
न सुनी उसने, न मेरे खुदा ने...
न वो आया, न खुदा आया.... तभी मुक्ति का बोध हुआ .... उम्र जैसे जैसे गुजरेगी सुकून मिलेगा और खुदा के न सुनने का सबब राहत देगा
सुन्दर ।
ReplyDeleteप्रभावी प्रस्तुति ।।
मुक्त कर दिया उसको मेरी यादों ने........
ReplyDeleteऔर मुझको भी मिली आज़ादी, मोहब्बत की उम्र कैद से .........
मुझे मेरे अच्छे व्यवहार के कारण
शायद जल्द रिहा कर दिया गया था.
वाह!!!!!बहुत सुंदर रचना,अच्छी प्रस्तुति...बधाई
MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
किसी को मुक्त कर देने से ज्यादा कोई दूसरा सुख नहीं होता ... धीरे धीरे अपनी मुक्ति का मार्ग भी ऐसे ही खुलता है ...
ReplyDeleteये रिहाई बहुत जरुरी थी , जाने क्यूँ दिल ने उसकी बांट जोही थी,
ReplyDeleteउसको तो वापस नहीं आना था लौटकर, फिर क्यूँ उसके बिना तेरी साँसें अधूरी थी....
excellent ... no words for this poem... seedhe dil se connection hai iska... :)
मुक्त कर दिया उसको मेरी यादों ने........
ReplyDeleteऔर मुझको भी मिली आज़ादी, मोहब्बत की उम्र कैद से .........
यह समाज की जकड़न में मन की आजादी है...बहुत गहन भाव!
ना खुदा चाहिए ना विसाले सनम ., यादों को खुरच भ्रम से निकल आये हम . सुघड़ लेखन .
ReplyDeleteशायद मुक्त करना ही मुक्त हो जाना होता है...!
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति!
यादों से मुक्त कर दिया ---------बहुत ही सुन्दर भाव
ReplyDeleteवेदना कि पराकाष्ठा .....!!
ReplyDeleteदर्द से बाहर निकलने की कोशिश है, लेकिन फिर भी ..दर्द बहुत है कविता में ....!!
सुंदर रचना ...
वाह वाह!
ReplyDeleteवाह जी बढ़िया.
ReplyDeleteइतनी आसान मोहब्बत में रिहाई नहीं होती,
ReplyDeleteप्यार में दम हो तो रुसवाई नहीं होती !
ये रिहाई ब-मुश्किल मिलती है
ReplyDeleteसुंदर कविता
उम्मीद का आखिरी सिरा भी जब छूट जाता है ....तो नाउम्मीदी एक और रास्ता खोल देती है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, बधाई.
Deleteकल 19/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
आपका बहुत शुक्रिया यशवंत....
DeleteHeart touching poetry sheer feeling possessive. Thanks for support ,respect for my blog.
ReplyDeleteगहरे भाव ... उत्तम रचना- बधाई.
ReplyDeletewah....bahut achchi lagi.
ReplyDeletehello anu ji
ReplyDeletewow sunder post , nice nlog .........gulabi si mahak thumhare naam jaisi .........:) yah blog jyada pasand aaya ......orignal hamesha kohinoor hota hai ..........:) nice to see your this look .............lovely ....fall in love with ur blog's roses ...:)))))))))))
सामाजिक कुप्रथाओ के नाम पर किसी का जीवन बर्बाद करना बहुत ग़लत है...बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteगहरे भाव् लिये रचना के लिए बधाई |
ReplyDeleteआशा
थक हार कर अनमने से मेरे मन ने भी
ReplyDeleteभुला दिया उसको...
भुला दिया उसके ता-उम्र साथ के वादे को
मुक्त कर दिया उसको मेरी यादों ने........
और मुझको भी मिली आजादी, मोहब्बत की उम्र कैद से .........
नई भावभूमि पर लिखी गई बिल्कुल नई तरह की कविता।
जब मुश्किल से गिरिफ्तार होता तो इतनी आसानी से कोई रिहा कहाँ होता
ReplyDeleteन वो आया, न खुदा आया...
ReplyDeletegahan abhivyakti Anu ji.
Shubhkaamnayen.
Saadar
मुहब्बत की उम्र क़ैद से आज़ादी मिल जाये तो बात ही क्या है .... लोग न जाने क्यों घटती संवेदनाओं पर ही सारी उम्र बिता देते हैं ... नयी राह बनती अच्छी रचना
ReplyDeleteमुक्त कोई हुआ... आज़ादी किसी को मिली.... वाह! सुन्दर प्रयोग!
ReplyDeleteबढ़िया रचना हेतु सादर बधाई स्वीकारें...
इस राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जायेगा...
ReplyDeleteतुम्हें जिसने दिल से भुला दिया उस भूलने की दुआ करो...
रिश्तों से चिपकने में नहीं...उन्हें स्वतन्त्र छोड़ देने में ही उसकी सार्थकता है...
नो कमेंट्स :)
ReplyDeleteसादर
आकाश